Bihar Chunav 2025: किशनगंज में शनिवार को एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली, जब दिगंबर जैन भवन से Gau Votadata Sankalp Yatra की शुरुआत हुई। इस यात्रा का शुभारंभ जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने किया। उन्होंने सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और विशेषकर गौ माता की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए यह संकल्प दिलाया कि समाज को अब राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर गौ माता के सम्मान को शीर्ष स्थान देना होगा।
सनातन संस्कृति और Gau Mata का मुद्दा | Bihar Elections 2025
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की संस्कृति, परंपरा और धार्मिक चेतना का मूल आधार गौ माता है। उन्होंने जोर दिया कि जिस राष्ट्र की पहचान उसकी गौ आधारित अर्थव्यवस्था और संस्कृति से रही हो, वहां गायों की उपेक्षा करना न केवल धर्म के खिलाफ है, बल्कि समाज की आत्मा को चोट पहुँचाना भी है। इसी दृष्टिकोण से उन्होंने Gau Votadata Sankalp Yatra की शुरुआत की है।
सभी सीटों पर Gau Bhakt निर्दलीय प्रत्याशी – Bihar Chunav 2025 में बड़ा एलान
Bihar Elections 2025: इस अवसर पर उन्होंने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले Bihar Assembly Election 2025, जिसे आम लोग Bihar Chunav 2025 भी कह रहे हैं, उसमें राज्य की सभी सीटों पर Gau Bhakt निर्दलीय उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे। उनका स्पष्ट कहना था कि राजनीतिक दल अक्सर गौ माता की बात तो करते हैं, लेकिन जब कानून और नीतियों की बात आती है, तब चुप्पी साध लेते हैं। इसलिए इस बार चुनाव में गाय को एक मजबूत राजनीतिक मुद्दा बनाने की आवश्यकता है।
स्वामी जी ने कहा, “गौ माता केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय समाज की आत्मा और राष्ट्र की धड़कन हैं। जब तक उन्हें राष्ट्र माता का दर्जा नहीं मिलता, तब तक हमारी राजनीति अधूरी है।”
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सनातनी मतदाताओं से अपील
शंकराचार्य ने इस दौरान सभी सनातनी हिन्दुओं से विशेष अपील की। उन्होंने कहा कि मतदाता यह तय करें कि उनका वोट केवल उसी उम्मीदवार को जाएगा, जो Gau Mata को राष्ट्र माता घोषित करने के लिए प्रतिबद्ध हो। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने वोट की ताकत को पहचानें और आने वाले चुनावों में गौ रक्षा को ही सबसे बड़ा मुद्दा बनाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि आगामी दिनों में इन निर्दलीय उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक की जाएगी और हर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार-प्रसार के माध्यम से Gau Mata की महत्ता को जनता तक पहुँचाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषण
इस घोषणा ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हर सीट पर Gau Bhakt उम्मीदवार उतरते हैं, तो यह पारंपरिक वोट बैंक की गणित को प्रभावित कर सकता है। फिलहाल बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों और विकास वादों के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इस बार Gau Mata को केंद्र में रखकर बनाई गई यह रणनीति खास तौर पर धार्मिक मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है। Bihar Elections 2025
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इससे मुख्य राजनीतिक दलों पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे गौ माता से जुड़े मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करें। वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दल इसे “धार्मिक ध्रुवीकरण” की राजनीति कह सकते हैं।
Kishanganj से शुरुआत क्यों?
किशनगंज, जो बिहार के सीमावर्ती जिलों में से एक है, अक्सर अपनी सामाजिक और धार्मिक विविधता के लिए जाना जाता है। ऐसे में Gau Votadata Sankalp Yatra की शुरुआत यहाँ से करना प्रतीकात्मक भी माना जा रहा है। यह संदेश देने का प्रयास है कि गौ माता का मुद्दा किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे बिहार और भारत की सांस्कृतिक आत्मा से जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष
किशनगंज से शुरू हुई यह Gau Votadata Sankalp Yatra आने वाले महीनों में Bihar Chunav 2025 के चुनावी परिदृश्य को नया मोड़ दे सकती है। शंकराचार्य की यह पहल केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन के रूप में देखी जा रही है। अब देखना यह होगा कि जनता और राजनीतिक दल इस मुद्दे पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।