Bihar Politics: बिहार की सीमांचल राजनीति में चुनावी तापमान चरम पर
बिहार की राजनीति में सीमांचल हमेशा से सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक समीकरणों के कारण विशेष महत्व रखता है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की समस्याएं अक्सर मुख्यधारा की राजनीति में उपेक्षित नजर आती रही हैं। इसी संदर्भ में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बेलवा और बहादुरगंज में जनसभाओं को संबोधित करते हुए सीमांचल की जनता से भावनात्मक अपील की।
उन्होंने दावा किया कि उनकी राजनीति किसी सरकार को बदलने की लड़ाई नहीं, बल्कि सीमांचल के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को बदलने की लड़ाई है। इस दौरान उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव पर कठोर राजनीतिक हमला बोला, जो वर्तमान चुनावी माहौल में नई राजनीतिक बहस को जन्म दे रहा है।
ओवैसी की अपील: सीमांचल के लोगों की तकलीफों को केंद्र में रखकर समर्थन मांग
बेलवा (किशनगंज) में आयोजित सभा में ओवैसी ने कहा कि सीमांचल के लोग दशकों से रोजगार की कमी के कारण पलायन करने को मजबूर रहे हैं। युवा पढ़ाई के बाद भी रोजगार नहीं पा रहे, किसान बिचौलियों के भरोसे हैं और बुनियादी ढांचे की हालत लंबे समय से उपेक्षा की शिकार है।
उन्होंने दावा किया कि मुख्यधारा की पार्टियों ने केवल वोट बैंक की राजनीति की है, लेकिन समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं दिया।
ओवैसी ने कहा कि सीमांचल में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार को लेकर ठोस योजनाएं बनाने की जरूरत है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि इस चुनाव में भावनाओं में नहीं, मुद्दों में निर्णय लें।
तेजस्वी यादव पर तीखा राजनीतिक प्रहार
सभा में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला भाग वह रहा जिसमें ओवैसी ने तेजस्वी यादव पर व्यक्तिगत व राजनीतिक हमला बोला।
उन्होंने कहा, “तेजस्वी उम्र से कच्चा, दिमाग से बच्चा और जुबान से बहुत बड़ा झूठा है।”
उनका यह बयान राजनीतिक विमर्श को सीधा टकराव की दिशा में ले जाता है।
ओवैसी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी ने इजहार असफी जैसे नेताओं को राजनीतिक रूप से धोखा दिया, और यह बात सीमांचल के लोग नहीं भूलेंगे।
उन्होंने जनता से कहा कि 11 तारीख को मतदान के माध्यम से इसका जवाब दिया जाए।
बहादुरगंज में भी दोहराया वही रुख
Bihar Politics: बहादुरगंज के लोहागाड़ा हाट में हुई सभा में भी ओवैसी ने अपना रुख स्पष्ट रखा।
उन्होंने कहा कि उन्हें चरमपंथी कहकर बदनाम करने की कोशिश की गई, जबकि उनके राजनीतिक लक्ष्य केवल अल्पसंख्यकों और वंचितों की आवाज को मजबूत करना है।
उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव मुसलमान विरोधी मानसिकता रखते हैं और सीमांचल की आबादी को केवल चुनाव के दौरान याद करते हैं।
सभा के दौरान उन्होंने पार्टी प्रत्याशियों के लिए समर्थन की अपील की।
परिवर्तन की राजनीति या चुनावी रणनीति?
ओवैसी के इन बयानों से स्पष्ट है कि सीमांचल में चुनावी प्रतिस्पर्धा इस बार केवल दो दलों के बीच नहीं, बल्कि बहुस्तरीय राजनीतिक समीकरणों का परिणाम होगी।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सीमांचल की जनता इस अपील को मुद्दों के आधार पर स्वीकारती है या जातीय तथा परंपरागत राजनीतिक रुझानों के अनुसार निर्णय लेती है।
चुनावी मैदान अब अधिक रोचक हो चुका है और आने वाले दिनों में यह मुकाबला और तेज होने की संभावना है।