Bhagalpur: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के जश्न के बीच भागलपुर से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो पूरे समाज के लिए उम्मीद की किरण और प्रेरणा का स्रोत बन गई है। यह कहानी है नौगछिया पुलिस जिला के तीनटंगा गांव के रहने वाले मुकेश मंडल की, जिनकी ऊंचाई भले ही सिर्फ 3 फीट है, लेकिन हौसले और सपनों की उड़ान आसमान से भी बड़ी है।
Mukesh Mandal का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा रहा। उनका कद छोटा होने की वजह से अक्सर लोग उनका मज़ाक उड़ाते, ताने कसते और यह तक कह देते कि जीवन में वे कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। लेकिन मुकेश ने इन सब नकारात्मकताओं को अपनी ताकत बना लिया। वे कहते हैं— “लोगों के ताने मुझे और मजबूत करते रहे। मैंने तय कर लिया था कि मैं अपनी मेहनत से सबको जवाब दूंगा।”
वेब स्टोरी:
पढ़ाई से मिली नई दिशा
मुकेश ने हायर एजुकेशन पूरी करने के बाद पारा मेडिकल की पढ़ाई चुनी। यह फैसला आसान नहीं था, क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। लेकिन माता-पिता और परिवार ने उनका हौसला बढ़ाया। वहीं कॉलेज और ट्रेनिंग के दौरान शिक्षकों और सीनियर्स ने भी उन्हें पूरा सहयोग दिया। यही कारण रहा कि मुकेश ने कठिनाइयों के बावजूद कभी हार नहीं मानी और पूरी लगन के साथ पढ़ाई पूरी की।
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नौकरी से बनी मिसाल
आज मुकेश मंडल भागलपुर मॉडल सदर अस्पताल में ड्रेसर के पद पर कार्यरत हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने पहली बार नौकरी ज्वॉइन की तो गांव के लोग उन्हें देखने अस्पताल आए। सभी को विश्वास नहीं हो रहा था कि तीन फीट कद का लड़का अब अस्पताल में मरीजों की सेवा करेगा। यह पल मुकेश और उनके परिवार के लिए गर्व से भर देने वाला था।
मुकेश बताते हैं— “बचपन से मुझे कद को लेकर चिढ़ाया गया। लेकिन अब वही लोग मेरी तारीफ करते हैं। मुझे खुशी है कि मैं अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल कर पाया।”
गांव और परिवार का गर्व
मुकेश की उपलब्धि से उनके माता-पिता, परिवारजन और पूरा गांव गर्व से गदगद है। वे मानते हैं कि मुकेश ने न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का काम किया है।
उपेंद्र मंडल, जो भागलपुर मॉडल सदर अस्पताल में सीनियर ड्रेसर हैं, कहते हैं— “मुकेश ने साबित कर दिया कि शारीरिक सीमाएं इंसान की सफलता की राह में रुकावट नहीं बनतीं। असली ताकत हौसले और मेहनत में होती है।”
युवाओं के लिए प्रेरणा
आज मुकेश मंडल उन सभी युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो परिस्थितियों से जूझ रहे हैं लेकिन सपनों को साकार करने का जज़्बा रखते हैं। उनका जीवन यह संदेश देता है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी बाधा इंसान को रोक नहीं सकती।
भागलपुर (Bihar, Bhagalpur) की गलियों से उठी यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज के लिए सीख है— कभी भी हालात से हार मत मानो, क्योंकि हौसले और आत्मविश्वास से सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।