बिहार की राजनीति में एक बार फिर लालू परिवार और राजद (RJD) से जुड़ा नया विवाद चर्चा में है। महुआ विधानसभा सीट को लेकर उठे सवालों के बीच आरजेडी विधायक डॉ. मुकेश रोशन का रिएक्शन सुर्खियों में आ गया है। जब पत्रकारों ने उनसे तेज प्रताप यादव के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बिना कुछ कहे हाथ जोड़ लिए। यह चुप्पी अब बिहार की सियासत में बड़ा संकेत मानी जा रही है।
महुआ सीट पर फिर से गर्माई राजनीति
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने कुछ महीने पहले यह घोषणा की थी कि वह 2025 के विधानसभा चुनाव में हसनपुर नहीं बल्कि अपनी पुरानी सीट महुआ से चुनाव लड़ेंगे। यह ऐलान होते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी, क्योंकि फिलहाल महुआ सीट से आरजेडी के ही विधायक डॉ. मुकेश रोशन हैं।
तेज प्रताप का यह बयान आते ही डॉ. मुकेश रोशन भावनात्मक हो गए थे। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे आंसू पोंछते हुए दिखाई दिए थे।
तेज प्रताप यादव का नया राजनीतिक सफर
अब हालात और भी बदल चुके हैं। तेज प्रताप यादव न केवल राजद से दूरी बना चुके हैं बल्कि उन्होंने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) भी बना ली है। उन्होंने साफ कहा है कि चाहे जो भी हो जाए, वे महुआ सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। इस बयान ने आरजेडी के भीतर नई चिंता पैदा कर दी है।
तेज प्रताप ने अपने समर्थकों से कहा कि “महुआ मेरी कर्मभूमि रही है, मैं यहीं से फिर जनादेश लूंगा।” इस घोषणा के बाद से आरजेडी के अंदर खींचतान तेज हो गई है और महुआ की सीट सियासी गर्मी का केंद्र बन गई है।
राबड़ी आवास के बाहर पत्रकारों से बातचीत
शनिवार को पटना में जब राबड़ी देवी के आवास के बाहर आरजेडी विधायक डॉ. मुकेश रोशन मीडिया से रूबरू हुए, तो पत्रकारों ने उनसे कई सवाल पूछे। उन्होंने पहले तो कहा कि “अबकी बार तेजस्वी यादव ही बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे, जनता ने मन बना लिया है।”
लेकिन जैसे ही एक पत्रकार ने तेज प्रताप यादव से जुड़ा सवाल पूछा, डॉ. रोशन मुस्कराए, दोनों हाथ जोड़कर कहा, “अब रहने दीजिए…” और आगे कुछ कहने से बच गए। यह दृश्य कैमरों में कैद हो गया और कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
संकेत या दबाव – क्या है इस चुप्पी के मायने?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि डॉ. मुकेश रोशन की यह प्रतिक्रिया कई बातों का संकेत देती है।
पहला — उन्हें पार्टी स्तर पर यह स्पष्ट निर्देश मिल चुका है कि तेज प्रताप यादव के मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी न करें।
दूसरा — यह भी संभव है कि पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता कि किसी बयान से विवाद और गहराए।
एक वरिष्ठ आरजेडी नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “तेज प्रताप अब अलग पार्टी बना चुके हैं। ऐसे में राजद किसी भी तरह की सार्वजनिक बहस नहीं चाहता जिससे माहौल और बिगड़े।”
तेज प्रताप की चुनौती और आरजेडी की रणनीति
तेज प्रताप यादव की पार्टी भले ही नई हो, लेकिन उनकी लोकप्रियता महुआ में अब भी मजबूत मानी जाती है। आरजेडी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की बन गई है। पार्टी फिलहाल इस सीट को लेकर आंतरिक समीक्षा कर रही है कि 2025 में किस उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाए।
तेजस्वी यादव की रणनीति साफ है — वे किसी भी कीमत पर पार्टी की एकता को बनाए रखना चाहते हैं। लेकिन महुआ की सीट पर होने वाले सियासी टकराव से यह दिख रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में राजद को अपने ही परिवार के भीतर से सबसे बड़ी चुनौती मिल सकती है।
डॉ. मुकेश रोशन का हाथ जोड़ना केवल विनम्रता नहीं बल्कि सियासी समझदारी का संकेत भी माना जा रहा है। बिहार की राजनीति में जहां हर इशारा एक संदेश बन जाता है, वहां महुआ की यह “चुप्पी” शायद बहुत कुछ कह रही है। आने वाले महीनों में यह साफ हो जाएगा कि क्या महुआ सीट पर तेज प्रताप और मुकेश रोशन आमने-सामने होंगे या कोई समझौते का रास्ता निकलेगा।