Bihar Chunav 2025: बिहार के भीमबांध में लोकतंत्र की वापसी
मुंगेर। बिहार के तारापुर विधानसभा क्षेत्र के भीमबांध इलाके में गुरुवार को मतदान का माहौल बेहद उत्साहजनक रहा। यह मतदान ऐतिहासिक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि 20 वर्षों बाद मतदाता अपने ही गांव में मतदान करने पहुंचे। इस क्षेत्र में 2005 में नक्सली हिंसा के कारण मतदान केंद्र गांव से बीस किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया गया था।
नक्सल हिंसा के बाद का अंतराल
भीमबांध इलाके में 2005 में नक्सलियों ने तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू समेत सात पुलिसकर्मियों को बारूदी सुरंग में उड़ा दिया था। इसके बाद सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने मतदान केंद्र को दूर स्थानांतरित कर दिया था। इस कारण कई बुजुर्ग और महिलाएं मतदान करने से वंचित रह गई थीं।
मतदान केंद्र की वापसी और ग्रामीणों की खुशी
20 वर्षों के बाद इस बार भीमबांध के वन विभाग विश्रामालय स्थित बूथ संख्या 310 पर मतदान हुआ। इस केंद्र पर कुल 374 मतदाता हैं, जिनमें 170 महिलाएं और 204 पुरुष शामिल हैं। ग्रामीणों के चेहरे पर मतदान को लेकर प्रसन्नता और उत्साह साफ दिखाई दे रहा था।
पहली बार मतदान करने वाले युवाओं का उत्साह
पहली बार मतदान करने वाले युवा बादल प्रताप ने बताया कि अब गांव में मतदान केंद्र खुलने से युवाओं में लोकतंत्र के प्रति जागरूकता और उत्साह बढ़ा है। उन्होंने कहा कि गांव नक्सल प्रभावित होने के कारण विकास और शिक्षा में पिछड़ा रहा है। उनका मानना है कि मतदान के साथ ही सरकार को शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
महिला मतदाताओं की भागीदारी
महिला मतदाता नीलम देवी ने कहा कि वर्षों बाद अपने गांव में मतदान करने का अवसर मिला है, जिससे हम बेहद खुश हैं। उनका कहना था कि मतदान के इस अवसर ने गांव में लोकतंत्र की वापसी का संदेश दिया है।
सुरक्षा व्यवस्थाएँ और प्रशासन की भूमिका – Bihar Chunav 2025
सेक्टर मजिस्ट्रेट अशोक कुमार ने बताया कि नक्सल प्रभावित होने के कारण इस क्षेत्र में विशेष सुरक्षा व्यवस्थाएँ की गई हैं। केंद्रीय पुलिस बल की तैनाती और लगातार पेट्रोलिंग के कारण मतदाता शांति और सुरक्षा के साथ मतदान कर रहे हैं।
लोकतंत्र का महापर्व और ग्रामीण जीवन
मतदान के इस ऐतिहासिक अवसर ने ग्रामीण जीवन में भी उत्साह का संचार किया है। लोग अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए सुबह से ही मतदान केंद्र पहुंचे। यह घटना न केवल लोकतंत्र की जीत है, बल्कि वर्षों बाद इस क्षेत्र में सुरक्षा और प्रशासन की सक्रियता का प्रतीक भी बन गई है।
20 वर्षों के बाद भीमबांध में मतदान केंद्र की वापसी ने लोकतंत्र को मजबूत किया है और ग्रामीणों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। इस मतदान ने यह स्पष्ट कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी लोकतंत्र का उत्सव और जनता की भागीदारी कभी कम नहीं होती।