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जमालपुर की प्रतिष्ठा का द्वंद्व: ललन सिंह ने नचिकेता मंडल के लिए मोर्चा खोला

Jamalpur Seat Battle
Jamalpur Seat Battle – जमालपुर विधानसभा सीट पर ललन सिंह ने खोला युद्ध (File Photo)
अक्टूबर 17, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सारगर्भित राजनीति में जमालपुर (विधानसभा संख्या 166) सीट इस बार गर्म कटार युद्धक्षेत्र बनकर उभरी है। जदयू के पुराने शक्तिशाली नेता और पूर्व ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार का इस बार टिकट कट जाना, और नचिकेता मंडल को उम्मीदवार बनाना, इस क्षेत्र में मतदाताओं के रुझान व दल-दबाव को झकझोरने जैसा कदम है। उसी को लेकर केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह खुलकर मैदान में उतरे और नचिकेता मंडल के समर्थन में पहुँचे। इस घटना ने राजनीतिक तापमान और भी बढ़ा दिया है।

जमालपुर की पृष्ठभूमि और शैलेश कुमार का वर्चस्व

जमालपुर विधानसभा सीट, मुंगेर जिले का एक संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र है, जहाँ पिछली कई चुनावों में शैलेश कुमार की मजबूत पकड़ रही है। क्षेत्र में उनकी सुदृढ़ नेटवर्किंग और ग्रामीण इलाकों पर प्रभाव ने उन्हें लंबे समय तक अनभेद्य की तरह रखा।

लेकिन इस बार जदयू ने राजनीतिक दांव लगाकर इस समीकरण को बदला — नचिकेता मंडल को टिकट देकर युवा और संगठननिष्ठ चेहरे को आगे किया गया। इस फैसले ने शैलेश कुमार समर्थकों और विरोधी दोनों में हलचल मचा दी है।

टिकट कटने का विवाद और मुखर नाराज़गी

शैलेश कुमार के टिकट कटने ने उनके समर्थकों में आक्रोश फैला दिया। स्थानीय राजनीति में यह निर्णय प्रतिष्ठा पर चोट माना गया। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि पार्टी ने नयापन लाने के लिए यह चाल चली है।

शैलेश कुमार की अनकही नाराज़गी इशारों में दिख रही है कि वे इस बार निर्दलीय रूप से भी चुनाव लड़ सकते हैं। इसने जमालपुर की रण-भूमि को और विवादों से घिरा बना दिया है।

ललन सिंह का दांव — नचिकेता के समर्थन में मैदान में उतरना

आज केंद्रीय मंत्री ललन सिंह जमालपुर पहुंचे और उन्होंने नचिकेता मंडल को खुलेआम समर्थन दिया। उनका कहना है कि इस बार एनडीए 210 सीटों पर जीत दर्ज करेगा और बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनेगी। इस समर्थन ने इलाके में राजनीतिक दबाव और मानसिक असर दोनों बढ़ा दिए हैं।

ललन सिंह ने तेजस्वी यादव की “नौकरी देने” वाली नीति पर तीखी टिप्पणी की और कहा कि अगर वो जीत जाएँ, तो वे भूमि और नौकरी लिखवा लेंगे और बिहार में खुद ही ज़मीन के मालिक बन जाएंगे। इस बयान ने विपक्षी दल को चुनौती देने वाली राजनीति की भाषा को सामने लाया।

चुनावी रण को बनाए चुनौतियाँ और मतदाताओं की भूमिका

जमालपुर सीट इस बार केवल स्थानीय नेता की टक्कर नहीं, बल्कि दल प्रतिष्ठा, युवा बदलाव और मध्यमार्गी सोच का परख है।

  • क्या शैलेश कुमार का अपना जनाधार टूटेगा, या वे नए सबक के साथ जनता को प्रभावित कर पाएँगे?

  • नचिकेता मंडल कितना संगठन और जमीन स्तर पर पकड़ बना पाते हैं?

  • ललन सिंह का हस्तक्षेप स्थानीय समर्थकों को किस दिशा में झुकाएगा?

  • विरोधी उम्मीदवार, जैसे तेजस्वी-समर्थक या अन्य दलों के चेहरों का प्रभाव इस संघर्ष में कितना गहरा होगा?

इन सवालों के बीच, मतदाताओं का मोह-भंग या समर्थन निर्णायक भूमिका निभाएगा।

निष्कर्ष – प्रतिष्ठा बनाम बदलाव

जमालपुर जनता इस समय दो प्रतिष्ठानों — शैलेश कुमार का पुराने भरोसे वाला विकल्प और नचिकेता मंडल के नए चेहरे — के बीच झूल रही है। ललन सिंह की सक्रियता इस संघर्ष को और तीव्र करती है। इस सीट का परिणाम यह तय करेगा कि स्थायित्व कायम रखने की शक्ति है या नवोन्मेष को स्वीकृति मिलेगी।

यदि जनता परिवर्तन के पक्ष में जाए, तो नयापन इस सीट की नई पहचान बनेगा। यदि पुराने भरोसे को ही बल मिले, तो शैलेश कुमार की शक्ति बरकरार रहेगी, और जदयू को यह संदेश भी मिलेगा कि पार्टी को पाटियों, गठबन्धन और नेतृत्‍व के बीच संतुलन बनाए रखना है।

इस युद्धक्षेत्र की जीत चाहे किसी भी मोर्चे की हो, यह साबित कर देगी कि राजनीति में प्रतिष्ठा और परिवर्तन का संगम ही अंतिम निर्णायक है।


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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.

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