मुंगेर की राजनीति में बड़ा उलटफेर
संवाद सूत्र, मुंगेर।
बिहार की राजनीति एक बार फिर से नए मोड़ पर पहुंच गई है। आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुंगेर में ऐसा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है जिसने पूरे जिले की सियासी बिसात को हिला दिया है। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार संजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हाथ थाम लिया है। इस निर्णय ने न केवल प्रशांत किशोर की रणनीति को झटका दिया है, बल्कि एनडीए गठबंधन को एक नई ऊर्जा प्रदान की है।
भाजपा में शामिल होकर बदला चुनावी समीकरण
शहर के एक निजी होटल में आयोजित समारोह के दौरान संजय सिंह ने आधिकारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार कुमार प्रणय और एनडीए गठबंधन को खुला समर्थन देने की घोषणा की। यह कदम चुनाव से एक दिन पहले उठाया गया, जिसने स्थानीय राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
सूत्रों के अनुसार, संजय सिंह पिछले कुछ सप्ताहों से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में थे, परंतु उनके इस निर्णय की भनक किसी को नहीं लगी। जैसे ही यह खबर सार्वजनिक हुई, मुंगेर की राजनीतिक सरगर्मी चरम पर पहुंच गई।
स्थानीय जनाधार से भाजपा को मिल सकता है लाभ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संजय सिंह का स्थानीय जनाधार काफी मजबूत है। वे तीन बार जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता उल्लेखनीय है। भाजपा में उनके शामिल होने से एनडीए को निर्णायक बढ़त मिलने की संभावना है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जन सुराज पार्टी की संगठनात्मक पकड़ कमजोर थी, जबकि भाजपा की मशीनरी और संघ का समर्थन इस गठबंधन को मजबूती देगा। ऐसे में मुंगेर का चुनावी मुकाबला अब सीधे एनडीए और महागठबंधन के बीच सिमट गया है।
महागठबंधन में बेचैनी और मंथन
संजय सिंह के भाजपा में जाने की खबर ने महागठबंधन खेमे में बेचैनी पैदा कर दी है। आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही दलों के स्थानीय नेताओं में मंथन का दौर शुरू हो गया है। पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार, “संजय सिंह के जाने से हमारी रणनीति पर असर पड़ा है, अब हमें वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए नए सिरे से योजना बनानी होगी।”
कई स्थानीय मतदाता इसे मुंगेर की राजनीति में “गेमचेंजर” कदम बता रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस निर्णय से भाजपा को स्थानीय स्तर पर संगठन और समर्थन दोनों में मजबूती मिलेगी।
प्रशांत किशोर के लिए बड़ा झटका
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के लिए यह निर्णय बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रशांत किशोर लगातार बिहार में “जन सुराज यात्रा” के माध्यम से नई राजनीतिक धारा स्थापित करने की कोशिश में थे, लेकिन उनके अपने उम्मीदवार का भाजपा में शामिल होना पार्टी की साख पर सवाल खड़े करता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना बताती है कि जन सुराज पार्टी अभी संगठनात्मक रूप से सुदृढ़ नहीं हो पाई है। वहीं, भाजपा इसे अपनी रणनीतिक जीत मान रही है।
चुनावी नतीजों पर असर की संभावना
मुंगेर विधानसभा सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना खत्म होती दिख रही है। भाजपा में संजय सिंह के जुड़ने के बाद महागठबंधन के लिए यह सीट बचाना कठिन हो सकता है। यदि भाजपा इस समीकरण को सही ढंग से भुना लेती है, तो यह परिणाम पूरे जिले के राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
मुंगेर की राजनीति में संजय सिंह का भाजपा में शामिल होना केवल दल-बदल नहीं, बल्कि एक बड़ा सियासी संकेत है। यह बिहार की बदलती राजनीतिक मानसिकता को दर्शाता है, जहां स्थानीय लोकप्रियता और संगठनात्मक मजबूती का संतुलन जीत का निर्णायक सूत्र बनता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जनता इस नाटकीय बदलाव को किस रूप में स्वीकार करती है।