छठ महापर्व की शुरूआत श्रद्धा और उत्साह के साथ
बिहार में लोक आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ महापर्व पूरे भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाने की तैयारी जोरों पर है। समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड अंतर्गत आदर्श ग्राम पंचायत राज मोतीपुर में श्रद्धा, स्वच्छता और सौंदर्य का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। पूरे पंचायत में तालाबों, पोखरों और घाटों को दीपों, रंग-बिरंगी रोशनियों और फूलों से सजाया गया है।

मोतीपुर पंचायत जगमगाएगा भक्तिमय रौशनी से
मोतीपुर पंचायत इस बार सचमुच एक भक्तिमय प्रकाश पर्व का रूप ले चुका है। पंचायत क्षेत्र के सभी छठ घाटों और तालाबों की सफाई और सजावट पूरी कर ली गई है। घाटों के किनारे आकर्षक लाइटें और रंगीन झालरों की साज-सज्जा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही है।
चंडाही पोखर में बना आकर्षक सेल्फी प्वाइंट
इस बार मोतीपुर पंचायत ने श्रद्धालुओं और युवाओं के लिए एक विशेष सेल्फी प्वाइंट बनाया है, जो स्थानीय आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसे हाजीपुर के प्रसिद्ध केले और भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की झलक से सजाया गया है। यहां लोग पूजा के साथ यादगार तस्वीरें भी ले सकेंगे।
भगवान सूर्य की प्रतिमा और गंगा आरती का विशेष आयोजन
मुख्य छठ घाट पर भगवान सूर्य की भव्य प्रतिमा स्थापित की जा रही है, जहां श्रद्धालु डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। विशेष बात यह है कि इस बार छठ घाट पर गंगा आरती का भव्य आयोजन होगा। इसके लिए बनारस से आए विद्वान पंडितों को आमंत्रित किया गया है।
आरती के दौरान दीपों की हजारों लौ से घाट परिसर जगमगा उठेगा और वातावरण में भक्ति संगीत और शंखध्वनि गूंजेगी।
पंचायत की मुखिया और समाजसेवियों की अग्रणी भूमिका
मोतीपुर पंचायत की मुखिया प्रेमा देवी और समाजसेवी रंजीत सहनी ने बताया कि छठ पर्व को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए पूरे पंचायत में स्वच्छता अभियान चलाया गया है। यह अभियान स्थानीय लोगों के श्रमदान और स्वच्छता कर्मियों के सहयोग से पूरा किया गया।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आधुनिक व्यवस्था
मुखिया प्रेमा देवी ने बताया कि सभी छठ घाटों पर लाइट और साउंड सिस्टम लगाया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। साथ ही, सुरक्षा बलों की तैनाती, अस्थायी चिकित्सीय कैंप और पेयजल स्टॉल भी लगाए गए हैं।
मोतीपुर पंचायत का यह आयोजन दिखाता है कि बिहार में छठ महापर्व न केवल एक धार्मिक पर्व, बल्कि सांस्कृतिक एकता और जनसहभागिता का प्रतीक भी है। गंगा आरती, सजावट और श्रद्धा के इस संगम से पूरा इलाका आस्था और आनंद के रंग में रंग चुका है।