विकास-उन्मुख बिहार की रूपरेखा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मुज़फ़्फरपुर में आयोजित एक जनसभा में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य पेश किया — “हम ऐसा बिहार बनाएँगे जहाँ दूसरे राज्य के लोग काम करने आएँ”। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक चुनावी नारा नहीं, बल्कि प्रदेश की वास्तविक एवं स्थायी आर्थिक चुनौतियों पर आधारित प्रतिज्ञा है। मध्य भारत के इस महत्वपूर्ण जिले में उनका यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव 2025 की पृष्ठभूमि में अहम माना जा रहा है।
उनके इस बयान से स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस इस बार केवल राजनीतिक प्लेटफार्म नहीं, बल्कि रोजगार-विकास, युवा आकांक्षाएँ और राज्य की प्रतिष्ठा को भी मुद्दे बना रही है।
अनुदेश: रोजगार एवं बदलाव
राहुल गांधी ने सभा में कहा कि बिहार में युवाओं को काम नहीं मिलने, शिक्षा-प्रशिक्षण व्यवस्था कमजोर रहने और उद्योग/उद्यम सृजन कम होने की वजह से पलायन बढ़ रहा है। इसलिए यदि बिहार को उत्तर-पूर्व भारत, बंगाल, असम, उत्तर-प्रदेश समेत अन्य राज्यों के श्रमिकों के लिए आकर्षक स्थल बनाना है, तो सशक्त रोजगार नीति और उद्योग निवेश होना परमावश्यक है।
उन्होंने शासन-प्रशासन को निर्देश दिया कि विधानसभा चुनावोत्तर सरकार-निर्माण के बाद ऐसे उद्योग एवं सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन मिले जिनमें युवाओं की भागीदारी बढ़ सके और ‘आउटसोर्सिंग रोजगार’-मॉडल को राज्य में विकसित किया जा सके।
मुज़फ़्फरपुर सभा का राजनीतिक संदेश
मुज़फ़्फरपुर में आयोजित सभा में यह संदेश भी साफ था कि कांग्रेस इस सीट तथा आसपास के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। सभा के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि राज्य-सरकार को अपनी प्राथमिकताएँ बदलनी होंगी — केवल घोषणा-पत्रों तक सीमित नहीं रहना होगा, बल्कि धरातल पर युवाओं के लिए अवसर निर्माण करना होगा।
इस दिशा में उन्होंने युवा-शिक्षा, कौशल विकास, लघु-उद्योग और कृषि-संवर्धन को सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल करने का आह्वान किया। उनके अनुसार, यदि बिहार को श्रमिकों-दृष्टि से बाहरी राज्यों का ‘आकर्षक गंतव्य’ बनाना है, तो यह जरूरी है कि मजदूरी-मान, जीवन-स्तर, सामाजिक-प्रति सुरक्षा तथा आवास-सुविधाएँ ऐसे हों कि लोग यहाँआने के लिए प्रेरित हों।
चुनावी पृष्ठभूमि एवं प्रभाव
इस बयान का चुनावी महत्व कम नहीं है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान कांग्रेस सहित विपक्षी मोर्चों के लिए ये रोजगार-मुद्दा विशेष रूप से संवेदनशील है। राज्य में युवा-बेरोजगारी, पलायन, कृषि-आधारित सीमित अवसर आदि विषय लंबे समय से जनता के सामने हैं। राहुल गांधी ने इन्हें सीधे मुद्दा बनाते हुए कहा कि “हम बदलाव को गति देंगे”।
साथ ही, यह बात भी उल्लेखनीय है कि मुज़फ़्रपुर तथा आसपास के क्षेत्रों में कांग्रेस ने इस बार विशेष ध्यान दिया है — सभा के बाद मीडिया बयानों में यह स्पष्ट हो गया कि यह सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि रणनीतिक शुरुआत है।
चुनौतियाँ एवं आगे का रास्ता
हालाँकि, प्रस्तावित लक्ष्य की प्राप्ति आसान नहीं होगी। बिहार में आज भी कई ऐसे संरचनात्मक बाधाएँ हैं — औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, बिजली-पानी-सड़क जैसी बुनियादी सेवाओं की समस्या, शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था का पिछड़ापन, तथा सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन। यदि राज्य को वास्तव में दूसरे राज्यों के श्रमिकों के लिए आकर्षक बनाना है, तो यह सारे आयाम साथ में चलने होंगे।
राहुल गांधी ने सभा में यह अन्तःस्वीकार भी किया कि केवल घोषणाओं से काम नहीं चलेगा — “हमें दिखाना होगा कि हम सक्षम हैं, हम जीतेंगे, और हम बदल देंगे” — उनका यह वक्तव्य युवा-जनसमूह में उत्साह जगाने वाला था।
प्रेरणा-मूलक अपील
सभा के समापन में उन्होंने उपस्थित जनता से प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि वे “बाहर देखने की प्रवृत्ति” छोड़ें, अपने राज्य को अपने हाथों से आगे बढ़ाएँ, और रोजगार-उद्यम की दिशा में सक्रिय हों। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर राज्य-स्तर पर रोजगार योजना, उद्योग निवेश स्कीम और युवा-प्रोत्साहन कार्यक्रम शीघ्र लागू होंगे।
उनका यह कहना था: “जब हम ऐसा बिहार बनाएँगे जहाँ दूसरे राज्य के लोग काम करने आएँ, तो हमारा आत्म-विश्वास बढ़ेगा, हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और हमारा जनता-जीवन बेहतर होगा।”
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।