स्नान के दौरान तालाब में हुआ बड़ा हादसा
नालंदा जिले के हिलसा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सिपारा गांव में मंगलवार को एक भीषण हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। जानकारी के अनुसार, छठ पर्व के अवसर पर स्नान करने पहुंचे छह युवक तालाब में डूब गए, जिनमें से तीन की मृत्यु हो गई, दो की अब भी तलाश जारी है, जबकि एक युवक को ग्रामीणों ने बड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
यह हादसा दोपहर के समय हुआ जब सभी युवक मिलकर छठ पर्व के स्नान की तैयारी कर रहे थे। देखते ही देखते तालाब में पानी के अंदर हलचल मच गई और स्थानीय लोग शोर सुनकर मौके पर पहुंचे।
मृतकों की पहचान और लापता लोगों की खोज जारी
मृतकों में जहानाबाद जिले के निवासी शिवम कुमार, तथा नालंदा जिले के हिलसा की वर्षा कुमारी और सुनीता कुमारी के रूप में पहचान हुई है। वहीं दो अन्य युवाओं का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। ग्रामीणों की मदद से गोताखोरों को बुलाया गया है और बचाव अभियान देर शाम तक जारी रहा।
पुलिस प्रशासन ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही हिलसा थाना की टीम मौके पर पहुंची। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम भी राहत कार्य में लगी हुई है। आसपास के ग्रामीण भी तालाब के किनारे डटे हुए हैं और अपने परिजनों की सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं।

गांव में पसरा मातम और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
घटना के बाद सिपारा गांव में शोक की लहर दौड़ गई। जिन घरों से सुबह पूजा-अर्चना की तैयारियां हो रही थीं, वहीं अब मातम छाया हुआ है। मृतकों के परिजन रो-रोकर बेसुध हो रहे हैं। स्थानीय लोग परिजनों को सांत्वना देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि “यह तालाब बहुत गहरा है और हर साल छठ या अन्य अवसरों पर लोग यहां नहाने आते हैं। इस बार हादसा इसलिए हुआ क्योंकि पानी का स्तर अधिक था और युवकों को तैरना नहीं आता था।”
प्रशासन ने दी जांच के आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए नालंदा के जिलाधिकारी ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए हिलसा अनुमंडल अस्पताल भेज दिया है। वहीं लापता युवकों की तलाश के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी अलर्ट किया गया है।
प्रशासन ने जनता से अपील की है कि बिना सुरक्षा इंतज़ाम के किसी भी गहरे जलाशय में स्नान न करें। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों को भी चेतावनी दी गई है कि पर्व-त्योहारों के दौरान जलाशयों पर सुरक्षा की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
छठ पर्व की खुशियों में मातम की छाया
छठ महापर्व बिहार का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व माना जाता है, जिसमें सूर्यदेव की उपासना के लिए लाखों लोग नदियों और तालाबों में स्नान करते हैं। लेकिन इस घटना ने पर्व की पवित्रता के बीच दुख का माहौल बना दिया है। जहां एक ओर महिलाएं अर्घ्य की तैयारी में जुटी हैं, वहीं दूसरी ओर सिपारा गांव में तीन युवकों के असमय निधन से पूरे क्षेत्र में शोक व्याप्त है।
स्थानीय लोगों की मांग – तालाबों में सुरक्षा इंतज़ाम हों पुख्ता
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को हर बड़े तालाब पर चेतावनी बोर्ड, रस्से और स्थानीय गोताखोरों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
स्थानीय सरपंच ने भी कहा कि “हम इस दर्दनाक घटना से बहुत दुखी हैं और जिला प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि तालाबों में सुरक्षा उपाय तुरंत किए जाएं।”
नालंदा जिले की यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि उत्सवों के बीच सतर्कता कितनी आवश्यक है। प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसे हादसे भविष्य में न हों। तीन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है और दो अब भी अपने लापता सदस्यों की प्रतीक्षा में हैं। सिपारा गांव का यह दर्द पूरे बिहार के दिल को छू गया है।