ग्रामीणों की पीड़ा और मतदान बहिष्कार का ऐलान
नवादा जिले के रजौली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सिरदला प्रखंड के रामरायचक से कारीगिदी गाँव के निवासियों ने विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का ऐलान किया है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से उनकी पुल निर्माण की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया है। इस वजह से उनका आवागमन अत्यंत कठिन हो गया है और रोजमर्रा की जीवन व्यवस्था पर भी असर पड़ा है।
ग्रामीणों के अनुसार, तिलैया नदी पर पुल निर्माण की मांग कई बार संबंधित प्रशासन और नेताओं के सामने रखी गई, परंतु अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब तक इन प्रमुख पुलों का निर्माण नहीं होगा, तब तक वे मतदान के लिए किसी भी स्थिति में नहीं आएंगे।
पुल निर्माण की अनदेखी – ग्रामीणों का आक्रोश
रामरायचक से कारीगिदी के मार्ग पर स्थित पुल ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी समान है। बारिश के मौसम में यह मार्ग विशेष रूप से कठिन हो जाता है। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएँ रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुल निर्माण न होने के कारण उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने कहा, “हमने वर्षों से प्रशासन को पत्र लिखे हैं, कई बार बैठकें की हैं, पर किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। अब हमारे लिए वोट देना कोई अर्थ नहीं रखता। हम चाहते हैं कि प्रशासन हमारी आवाज़ सुने और पुल का निर्माण करे।”
प्रशासन की अनदेखी और ग्रामीणों की मांग
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार है, लेकिन बजट और अन्य प्रक्रियात्मक कारणों से निर्माण कार्य अभी तक आरंभ नहीं हो पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह बहाना स्वीकार्य नहीं है। उनका मानना है कि चुनाव के समय नेताओं द्वारा दिए गए वादे केवल चुनावी आकर्षण के लिए हैं और वास्तविक कार्यवाही में देरी हो रही है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि पुल निर्माण कार्य शीघ्र शुरू नहीं किया गया, तो भविष्य में भी वे चुनावी प्रक्रिया से दूर रहेंगे। इससे स्पष्ट है कि स्थानीय विकास और आधारभूत संरचना की उपेक्षा सीधे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
भविष्य की राह और प्रशासनिक कदम
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीणों की यह प्रतिक्रिया केवल आक्रोश का परिणाम नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक चेतना का संकेत भी है। यदि प्रशासन समय पर उचित कार्रवाई करता है और पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू करता है, तो ग्रामीणों का भरोसा लौट सकता है।
स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल यह आश्वासन दिया है कि जल्द ही परियोजना को प्राथमिकता दी जाएगी और संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाएगा। लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि केवल आश्वासन पर्याप्त नहीं है, उन्हें तत्काल क्रियान्वयन चाहिए।
रामरायचक और कारीगिदी के ग्रामीणों का वोट बहिष्कार का निर्णय यह दर्शाता है कि स्थानीय विकास और बुनियादी ढांचे की अनदेखी सीधे लोकतांत्रिक भागीदारी को प्रभावित कर सकती है। प्रशासन और राजनीतिक दलों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि केवल चुनावी वादे और घोषणाएँ पर्याप्त नहीं हैं, वास्तविक कार्यवाही ही लोगों का विश्वास जीत सकती है।
ग्रामीणों का यह आंदोलन एक जागरूक नागरिक प्रतिक्रिया है जो बताती है कि यदि जीवन की मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो लोकतंत्र के साक्षात् अनुभव में बाधा उत्पन्न होती है। यही समय है कि प्रशासन और नीति निर्माता इन समस्याओं को प्राथमिकता दें और पुल निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करें।