Owaisi Bihar Politics 2025: सीमांचल में महागठबंधन की पकड़ पर संकट, मुस्लिम वोटबैंक पर ओवैसी और प्रशांत किशोर की नई सियासी चाल

Owaisi Bihar Politics 2025
Owaisi Bihar Politics 2025: सीमांचल में मुस्लिम वोटबैंक पर ओवैसी और प्रशांत किशोर की सियासी नजर, महागठबंधन की पकड़ पर सवाल (File Photo)
नवम्बर 7, 2025

Owaisi Bihar Politics 2025: सीमांचल में महागठबंधन की सियासी जंग

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में पहले चरण के मतदान के बाद राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है। अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जैसे जिलों में 24 विधानसभा सीटों पर एनडीए और महागठबंधन दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस बार मुकाबले में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और जनसुराज के नेता प्रशांत किशोर ने नए समीकरण खड़े कर दिए हैं।

सीमांचल का बदलता सियासी परिदृश्य

महागठबंधन के पारंपरिक मुस्लिम वोटबैंक में दरार के संकेत मिल रहे हैं। एक ओर जहां एनडीए 2020 जैसी सफलता दोहराने की कोशिश में है, वहीं ओवैसी और प्रशांत किशोर मुस्लिम युवाओं के बीच नई राजनीतिक सोच के प्रतीक बनकर उभरे हैं। प्रशांत किशोर की ‘भागीदारी की राजनीति’ और ओवैसी की ‘मुस्लिम पहचान की राजनीति’ ने चुनावी मैदान को और पेचीदा बना दिया है।

एनडीए की रणनीति और नए समीकरण

एनडीए इस बार सीमांचल में एआईएमआईएम और जनसुराज के उभार को महागठबंधन के लिए चुनौती के रूप में देख रहा है। भाजपा और जदयू के नेताओं का मानना है कि अल्पसंख्यक वोटों का बिखराव उनके पक्ष में माहौल बना सकता है। वहीं एनडीए स्थानीय विकास के मुद्दों को प्रमुखता देकर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

महागठबंधन की चिंता

Owaisi Bihar Politics 2025: महागठबंधन के लिए सीमांचल सिर्फ एक चुनावी क्षेत्र नहीं, बल्कि सत्ता की कुंजी है। 2020 में एनडीए ने यहां 12 सीटें जीतकर महागठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। इस बार तेजस्वी यादव और राहुल गांधी दोनों ही लगातार इस क्षेत्र में रैलियां कर रहे हैं। कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं को सीमांचल में तैनात कर दिया है ताकि मुस्लिम वोटों में बिखराव न हो सके।

मुस्लिम युवा नए विकल्प की तलाश में

किशनगंज के मोहम्मद असलम जैसे युवा कहते हैं कि “जो दल हमारे नाम पर वोट लेते रहे, उन्होंने हमारे इलाके की गरीबी नहीं बदली।” वहीं अररिया के फिरोज आलम का कहना है कि “ओवैसी जैसे नेता समुदाय की राष्ट्रीय आवाज हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।”
इन विचारों से यह स्पष्ट है कि मुस्लिम युवाओं का एक वर्ग पारंपरिक राजनीति से ऊब चुका है और नए विकल्पों की ओर देख रहा है।

बुजुर्गों की नसीहत और महागठबंधन की उम्मीद

हालांकि मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग अब भी मानते हैं कि महागठबंधन ही भाजपा को रोकने का एकमात्र रास्ता है। वे युवाओं को ओवैसी और प्रशांत किशोर के “वोट कटवा” प्रभाव से सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। महागठबंधन नेताओं का भी यही तर्क है कि अल्पसंख्यक मतों में एकता ही उनके लिए जीत की गारंटी है।

सीमांचल की सियासत का गणित | Owaisi Bihar Politics 2025

सीमांचल के चार जिलों में मुस्लिम आबादी 40 से 65 प्रतिशत के बीच है। यह क्षेत्र दशकों से कांग्रेस और राजद का गढ़ रहा है, लेकिन 2020 में एनडीए ने इस समीकरण को पलट दिया था। अब सवाल यह है कि क्या ओवैसी और किशोर इस पारंपरिक राजनीतिक परिदृश्य को और हिला पाएंगे या महागठबंधन एकजुट वोटों के सहारे वापसी करेगा।

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