Pandarak Train Accident: Marriage के लिए निकले परिवार की खुशियां मातम में बदलीं
बाढ़ अनुमंडल के पंडारक प्रखंड स्थित मेकरा ममरखाबाद हॉल्ट पर शनिवार को हुआ हादसा पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो गया। नालंदा जिले के टाडापर गांव से दूल्हे के लिए लड़की देखने निकला परिवार खुशियों से भरी यात्रा पर था, लेकिन रेलवे ट्रैक पर हुई एक Train Accident in Pandarak ने उन सपनों को मातम में बदल दिया।
हादसे की पूरी कहानी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टाडापर गांव से लगभग 25 लोग गोपकीता गांव जा रहे थे। वे अपनी गाड़ियां ममरखाबाद हॉल्ट के पास खड़ी कर रेलवे पटरी के किनारे पैदल ही आगे बढ़ रहे थे। लेकिन जैसे ही वे ट्रैक पर पहुंचे, अचानक दोनों दिशाओं से एक साथ ट्रेन आ गई। दोतरफा ट्रेनों की तेज रफ्तार देखकर सभी लोग घबरा गए और इधर-उधर भागने लगे।
लेकिन अफरा-तफरी में तीन लोगों की जान चली गई। गोविंदा मांझी, जीतो मांझी और रीतलाल मांझी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल जगलाल मांझी को स्थानीय इलाज के बाद बेहतर उपचार के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया।
वेब स्टोरी:
खुशियों से मातम तक का सफर
परिवार का कहना है कि यह यात्रा उनके बेटे की शादी के लिए लड़की देखने की थी। सभी रिश्तेदार और ग्रामीण उत्साह से भरे हुए थे। लेकिन कुछ ही मिनटों में यह खुशी मातम में बदल गई। गांव के लोग इस हादसे को “किस्मत का क्रूर मजाक” कहकर याद कर रहे हैं।
प्रशासन और रेलवे की भूमिका
हादसे के तुरंत बाद रेलवे और स्थानीय प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और जांच शुरू कर दी गई। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि रेलवे प्रशासन ने ट्रैक पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई। Train Safety in Bihar एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है।
हादसों पर काबू क्यों नहीं?
यह कोई पहला मामला नहीं है जब पटरी पार करने के दौरान मासूम जिंदगियां खत्म हो गई हों। Bihar और Patna सहित कई छोटे हॉल्ट और ग्रामीण इलाकों में अभी भी सुरक्षित क्रॉसिंग या बैरिकेड्स का इंतजाम नहीं है। Railway Safety Measures की कमी लोगों को बार-बार जिंदगी और मौत के बीच खड़ा कर देती है।
रेलवे के सूत्र बताते हैं कि छोटे हॉल्ट पर लोगों की आवाजाही बढ़ने से दुर्घटनाओं का खतरा ज्यादा रहता है। कई बार लोग जल्दबाजी में नियमों की अनदेखी करते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसी घटनाओं को केवल “असावधानी” बताकर टाल दिया जाएगा?
पीड़ित परिवार और गांव में मातम
गांव में लौटते ही पूरे इलाके में मातम छा गया। शादी की तैयारियां अब शोक सभा में बदल गईं। ग्रामीणों ने बताया कि जगलाल मांझी अपने बेटे की शादी की प्लानिंग कर रहे थे। रिश्तेदारों ने कहा कि “आज खुशियों का दिन होना चाहिए था, लेकिन अब यह दिन हम कभी भूल नहीं पाएंगे।”
हादसे से सबक
यह हादसा हमें याद दिलाता है कि रेलवे ट्रैक पर लापरवाही कितनी खतरनाक हो सकती है। साथ ही यह भी कि रेलवे और प्रशासन को ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा मानकों को और सख्ती से लागू करना चाहिए। Train Accidents in Bihar केवल आंकड़े नहीं, बल्कि टूटते परिवारों की कहानियां हैं।