मोकामा में सियासी हलचल तेज
मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद सियासत का तापमान बढ़ गया है। बाहुबली छवि वाले अनंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हत्या के बाद से पूरे इलाके में तनाव का माहौल है। पुलिस जांच में जुटी है, वहीं विरोधी दलों ने मोर्चा खोल दिया है।
अनंत सिंह की सफाई
हत्या के बाद मीडिया से बात करते हुए अनंत सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा,
“हमसे बड़ा शरीफ़ कौन है? गाड़ियों का काफिला था, लेकिन किसी को छुआ तक नहीं। ये सब सियासी साज़िश है।”
अनंत सिंह ने यह भी कहा कि विपक्ष उन्हें फँसाने की कोशिश कर रहा है ताकि उनका राजनीतिक प्रभाव खत्म किया जा सके।
दुलारचंद यादव की हत्या से भड़की सियासत
जन सुराज समर्थक और दबंग नेता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद से पूरे मोकामा क्षेत्र में माहौल बिगड़ गया है। समर्थक नाराज़ हैं, और कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। विपक्ष ने सरकार और प्रशासन पर कार्रवाई में ढिलाई का आरोप लगाया।
पुलिस जांच और सियासी दबाव
पटना पुलिस ने इस केस को गंभीरता से लिया है। जांच के लिए विशेष टीम बनाई गई है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पुलिस लगातार अनंत सिंह के करीबियों से पूछताछ कर रही है।
डीएसपी स्तर के अधिकारी मौके पर तैनात हैं। किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरे क्षेत्र में पुलिस बल बढ़ाया गया है।
जनता में मिश्रित प्रतिक्रिया
मोकामा के लोगों में इस घटना को लेकर दो तरह की राय है। कुछ लोग मानते हैं कि अनंत सिंह को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है, जबकि कुछ लोग कहते हैं कि हर बार उनके नाम पर हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि हाल के दिनों में इलाके में तनाव बढ़ गया है। व्यापार पर असर पड़ रहा है।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोकामा सीट बिहार की राजनीति में हमेशा चर्चित रही है। अनंत सिंह यहां की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। उन पर लगने वाले आरोप न केवल उनके करियर को प्रभावित करते हैं, बल्कि सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच भी राजनीतिक खींचतान को बढ़ाते हैं।
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि यह मामला लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष के लिए मुद्दा बन सकता है।
मोकामा का इतिहास और बाहुबली राजनीति
मोकामा हमेशा से बाहुबली राजनीति का गढ़ रहा है। अनंत सिंह ने लंबे समय तक यहां अपनी पकड़ बनाए रखी।
अब जब दुलारचंद यादव जैसे नेता की हत्या हुई है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या मोकामा फिर से पुराने दौर में लौट रहा है।
स्थानीय लोग अब सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
क्या कानून का शिकंजा कस पाएगा?
पुलिस की जांच जारी है। अब यह देखना होगा कि क्या अनंत सिंह की सफाई सच्चाई में बदलती है या कानून का शिकंजा और कसता है।
राजनीतिक दबाव और जनता की निगाहें दोनों इस केस पर टिकी हैं। आने वाले दिनों में इसका असर बिहार की राजनीति पर तय है।