कुम्हरार विधानसभा में कायस्थ समाज का विरोध, भाजपा पर बढ़ा दबाव
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कायस्थ समाज के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और शाहाबाद-मगध क्षेत्र प्रभारी ऋतुराज सिन्हा को चित्रगुप्त पूजा पंडालों में कायस्थ समाज के लोगों ने घेरकर विरोध जताया। यह विरोध टिकट बंटवारे को लेकर पैदा हुई असंतोष की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।
कायस्थ समाज के लोगों का आरोप है कि पार्टी ने उनके प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज कर वर्तमान विधायक अरूण सिन्हा का टिकट काटकर वैश्य समाज के संजय गुप्ता को प्रत्याशी घोषित किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान समाज के लोग यह चेतावनी भी दे रहे थे कि अगर भाजपा ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो चुनाव में इसका असर पार्टी पर पड़ेगा।
टिकट बंटवारे का भाजपा नेतृत्व का तर्क
भाजपा का दावा है कि पार्टी ने कायस्थ समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान किया है। पटना साहिब से सांसद रविशंकर प्रसाद, पथ निर्माण मंत्री एवं बांकीपुर विधायक नितिन नवीन, विधान परिषद उप मुख्य सचेतक एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी संजय मयूख सभी कायस्थ समाज से हैं। पार्टी के अनुसार, इन पदों पर कायस्थों का प्रतिनिधित्व उनकी आबादी की तुलना में पर्याप्त है।
भाजपा का यह तर्क चुनावी रणनीति और सामाजिक समीकरणों का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी ने यह भी बताया कि पिछले चुनावों में कुम्हरार सीट पर उनका प्रदर्शन मजबूत रहा है, इसलिए उम्मीदवार चयन में व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है।
कायस्थों का मतदाताओं पर दबदबा
कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में कायस्थ समाज का चुनावी प्रभाव हमेशा से निर्णायक रहा है। कुल मतदाताओं की संख्या लगभग सवा चार लाख है, जिसमें कायस्थ समाज का दावा है कि वे सबसे बड़ी जनसंख्या है। इसके अतिरिक्त भूमिहार, यादव, राजपूत, कोइरी, कुर्मी, ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, कुम्हरार सीट पूरी तरह शहरी क्षेत्र में आती है और यहां का मतदाता परंपरागत रूप से भाजपा को समर्थन देता रहा है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों में भाजपा की पकड़ मजबूत रही है। 2020 में भाजपा ने राजद के उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार को 26 हजार से अधिक मतों से हराया था।
चित्रगुप्त पूजा पंडाल में विरोध का दृश्य
इस वर्ष चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र के ककड़बाग में स्थित पंडालों में कायस्थ समाज के लोग ऋतुराज सिन्हा का विरोध करते दिखे। उन्होंने न केवल अपनी नाराजगी व्यक्त की, बल्कि भाजपा को चुनाव में सबक सिखाने की चेतावनी भी दी। इस विरोध ने स्थानीय राजनीति में एक नया बहस का विषय पैदा कर दिया है और पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है।
कायस्थ समाज का कहना है कि यदि पार्टी ने उनकी अनदेखी की, तो इस बार वे दूसरे दलों के उम्मीदवारों को समर्थन देकर भाजपा को सबक सिखा सकते हैं। यह चुनावी रणनीति और सामाजिक समीकरणों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
कुम्हरार में भाजपा की चुनौती
कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को अब केवल सामान्य चुनावी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना है, बल्कि समाजगत दबाव और असंतोष का भी प्रबंधन करना होगा। कायस्थ समाज के प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया है कि टिकट बंटवारा केवल राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि समाजिक संवेदनाओं से जुड़ा हुआ मसला भी है।
भविष्य के चुनाव परिणाम यह दर्शाएंगे कि भाजपा अपनी पारंपरिक सीटों पर पकड़ बनाए रख पाती है या कायस्थ समाज की नाराजगी के कारण उसका असर चुनाव में पड़ता है। चुनाव के परिणाम बिहार की राजनीति और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।