बिहार मंत्रिमंडल 2025 में बड़ा बदलाव, नीतीश सरकार में नए चेहरों का दबदबा

Bihar Cabinet 2025
Bihar Cabinet 2025: नीतीश सरकार में नए चेहरों का दबदबा, पुराने मंत्रियों की विदाई (File Photo)
बिहार मंत्रिमंडल 2025 में नीतीश सरकार ने बड़े बदलाव किए। 10 नए चेहरों को मंत्री बनाकर एनडीए ने युवा नेतृत्व और नए संतुलन पर भरोसा जताया। वहीं 19 पुराने मंत्रियों को बाहर कर राज्य की राजनीति में नई दिशा का संकेत दिया गया।
नवम्बर 20, 2025

बिहार मंत्रिमंडल 2025 में नई तस्वीर, बदलाव से बना संतुलन

बिहार की राजनीति में मंत्रिमंडल का गठन हमेशा एक रणनीतिक कदम माना जाता है और इस बार भी नीतीश कुमार ने नई सरकार के गठन के साथ एक ऐसा संदेश दे दिया है जिसमें राजनीतिक संतुलन, जातीय समीकरण और गठबंधन की मजबूती सबसे अहम तत्व बन कर उभर रहे हैं। नई कैबिनेट में जहां नए चेहरों पर भरोसा जताया गया, वहीं लंबे समय से सत्ता में बैठे कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाते हुए यह तय कर दिया गया कि अब चेहरों से ज्यादा काम और सियासी उपयोगिता मायने रखेगी।

गांधी मैदान पटना में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कुल 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इन 26 में से 10 मंत्री ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार कैबिनेट में प्रवेश किया है। यह आंकड़ा इस बात को साबित करता है कि सरकार आत्मविश्वास के साथ युवा और नए चेहरों को मौका दे रही है। इसके साथ ही, 19 पुराने मंत्रियों का टिकट कटना इस बदलाव के महत्व को और बढ़ाता है।

जदयू का भरोसा पुराने चेहरों पर, भाजपा ने दिखाया नया तेवर

जदयू ने इस मंत्रिमंडल में अपने सभी पुराने चेहरों पर विश्वास बनाए रखा। इस पार्टी की रणनीति स्पष्ट रही कि अनुभवी नेता पार्टी की रीढ़ बने रहें, ताकि प्रशासनिक स्थिरता बनी रहे और सरकार के कार्यों में निरंतरता दिखाई दे। दूसरी ओर, भाजपा ने बिल्कुल उलट फैसला लिया। उसने 14 मंत्रियों में से सात नए चेहरों को मौका दिया। यह भाजपा की अपनी सियासी तस्वीर को नया स्वरूप देने की कोशिश हो सकती है, जो भविष्य के लिए संगठन को मजबूत आधार देगी।

भाजपा के नए मंत्रियों में सबसे ज्यादा चर्चा रामकृपाल यादव की हुई। दानापुर से रीतलाल यादव को हराकर आए रामकृपाल यादव पहले केंद्र में राज्य मंत्री रह चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार में यह उनका पहला कदम है। इस नियुक्ति ने यह साबित किया कि भाजपा इस गठबंधन में अपने प्रभाव को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

श्रेयोसी सिंह, संजय टाइगर और प्रमोद चंद्रवंशी पर सबकी निगाह

नए मंत्रियों में जमुई की विधायक और पूर्व निशानेबाज श्रेयसी सिंह का नाम भी खासा सुर्खियों में रहा। खेल की दुनिया से राजनीति में आने के बाद श्रेयसी सिंह ने यह साबित किया कि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ मजबूत हो रही है। इनके अलावा आरा से संजय टाइगर, खजौली से अरुण शंकर प्रसाद, पातेपुर से लखेन्द्र रोशन और विधान परिषद से प्रमोद चंद्रवंशी जैसे नाम भी इस बार चर्चा में रहे। पहली बार मंत्री पद पाकर ये सभी नेता बिहार की राजनीति में नई उम्मीद और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।नई कैबिनेट में शामिल नए चेहरों की सूची बताती है कि इस बार युवा नेताओं और पहली बार जीतकर आए विधायकों को ज्यादा अवसर दिया गया है। इससे साफ संकेत मिलता है कि राज्य की राजनीति में अब अनुभव के साथ-साथ ऊर्जा और नई सोच को भी महत्व मिलेगा। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि युवा मंत्री प्रशासनिक व्यवस्था में तेज गति लाकर सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

एलजेपी और रालोमो के चेहरे भी बने नायक

नई कैबिनेट में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-रामविलास से दो मंत्रियों को शामिल किया गया। इन दो मंत्रियों की खासियत यह है कि दोनों का नाम संजय है, जो इस कैबिनेट की रोचक बातों में एक है। महुआ से तेज प्रताप को हराने वाले संजय कुमार सिंह और बखरी से विधायक संजय कुमार को मंत्रिमंडल की कुर्सी मिली। यह कदम लोजपा-रा के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो से दीपक प्रकाश को भी मंत्री बनाया गया। दिलचस्प बात यह है कि दीपक प्रकाश किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं और उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। इसे पार्टी की मजबूती और परिवार की सियासी विरासत दोनों दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।

किन नेताओं का कटा पत्ता, क्यों नहीं मिला मौका

भाजपा के 13 और जदयू के 6 मंत्रियों को इस बार मौका नहीं मिला। इनमें रेणु देवी, नीतीश मिश्रा, महेश्वर हजारी, हरि सहनी, जिवेश मिश्रा और गया के दिग्गज प्रेम कुमार जैसे बड़े नाम शामिल हैं। प्रेम कुमार, जो नौवीं बार विधायक चुने गए हैं, उन्हें मंत्री न बनाया जाना संदेश देता है कि नई कैबिनेट में पद से ज्यादा नए संतुलन को प्राथमिकता दी गई है। सूत्र बताते हैं कि प्रेम कुमार को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है, जो इस कैबिनेट से बाहर रखे जाने का बड़ा कारण माना जा रहा है।

जदयू की ओर से शीला कुमारी, जयंत राज, रत्नेश सदा और विजय मंडल जैसे वरिष्ठ नामों को हटाया गया है। इससे स्पष्ट है कि जदयू भी संतुलन साधते हुए बदलाव चाहते हुए नई टीम के साथ आगे बढ़ना चाहती है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.