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Bihar Chunav 2025: वक्फ विधेयक पर तेजस्वी पर हमला – भाजपा ने कहा, “जो परिवार नहीं संभालते वे राज्य कैसे संभालेंगे

Bihar chunav 2025
Bihar chunav 2025 — तेजस्वी के 'वक्फ' बयान पर सियासी तूफान, BJP और RJD आमने-सामने (File Photo)
अक्टूबर 27, 2025

बिहार में छठ की धूम के बीच विधानसभा चुनावी गर्माहट और भी तेज हो चुकी है। Bihar chunav 2025 अब सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं रह गया; यह सरोकारों, संवैधानिक बहस और पहचान के मुद्दों का टकराव बनता जा रहा है। वक्फ (Waqf) संशोधन कानून पर आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव के तीखे बयान ने विपक्ष और सत्ता के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जंग छेड़ दी है, जिससे सियासी रंगत और कड़ा हो गई है।

राजनीतिक परिदृश्य पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों की नज़र में वक्फ बिल पर तेजस्वी के शब्द इस चुनावी मुहिम को नई दिशा दे रहे हैं। राजद के तेवर—जो इस कानून को संविधान विरोधी बताकर उसे खारिज करने की बातें कर रहे हैं—ने भाजपा-जद(यू) के सुर कड़े कर दिए हैं और दोनों ग्रुपों के बीच तीखी जुबानी टक्कर सामने आ रही है। भाजपा और उसके नेताओं ने तेजस्वी के बयानों पर तीखा पलटवार किया है और आरोप लगाया है कि यह भाषण देश और समाज में विभाजन की राजनीति को भड़काने वाला है।

नेताओं के हमले और जुबानी जंग

भाजपा के नेताओं ने तेजस्वी को ‘नायक’ बताने वाले बयान और उनके परिवार के मुद्दों पर हमलावर रुख अपनाया। भाजपा ने RJD पर आरोप लगाया कि वे भावनात्मक, परिचयात्मक और पहचान के आधार पर विभाजन की राजनीति कर रहे हैं — और इससे मुद्दे विकास से हटकर सांप्रदायिक विमर्श की ओर मोड़ दिए गए हैं। विपक्ष ने भी जवाब में कहा कि यह केंद्र की नीतियों की आलोचना और अल्पसंख्यक अधिकारों के रक्षार्थ की आवाज है।

लोक-भावनाएँ और मतदाता पर प्रभाव

गांव-नगर दोनों जगह जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ वर्ग विकास, नौकरी और कानून-व्यवस्था पर उलझे रहने के कारण चुनावी घोषणापत्र पर ध्यान दे रहे हैं, तो कुछ वर्ग वक्फ जैसे संवेदनशील मसलों पर तेजस्वी के बयान के कारण अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। जनमत सर्वे और स्थानीय संवाद बताते हैं कि चुनावी निचोड़ अब केवल लोकल विकास तक सीमित नहीं रहेगा — पहचान, संवैधानिक प्रावधान और न्यायिक प्रक्रियाओं पर मतदाता की धारणा भी निर्णायक बनेगी।

सियासी रणनीतियाँ और अगले कदम

एनडीए और महागठबंधन दोनों ही मोर्चों पर अपनी-अपनी रणनीतियाँ तेज कर रहे हैं। NDA के वर्कर और नेता ‘जंगलराज’ व भ्रष्टाचार जैसे पुराने नारों को दुहरा रहे हैं, वहीं महागठबंधन धार्मिक और संवैधानिक प्रश्नों पर फोकस कर रहा है। चुनावी रैलियों, प्रेस कॉन्फ़्रेंस और मीडिया स्टेटमेंट्स के ज़रिये दोनों पक्ष अपने-अपने मतदर्शक समूहों को साधने में जुटे हैं।

चुनावी माहौल और लोकतांत्रिक परखा

Bihar chunav 2025 सिर्फ वोटों की गिनती नहीं, यह विचारों की परीक्षा और लोकतंत्र की कसौटी भी है। वक्फ कानून, रोजगार, अपराध और सत्ता के दावों ने इस चुनाव को बहुआयामी बना दिया है। अनोखा यह है कि हर मुद्दा संवैधानिक, सामाजिक और राजनीतिक परतों से गुजरकर जनता के सामने पहुंच रहा है। अगले कुछ हफ्तों में रैलियों, बहसों और जनसंपर्क से यह साफ होगा कि बिहार का मतदाता किन प्राथमिकताओं को अग्रसर मानता है—विकास, सुरक्षा, या पहचान और संवैधानिक सवालों का संरक्षण।

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