छठ पर्व के बीच बिहार में सियासी तापमान चरम पर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, प्रदेश की राजनीति उबाल पर है। छठ महापर्व की पावन बेला में जहां पूरा राज्य आस्था में डूबा है, वहीं नेताओं के बयानों की आंच भी कम नहीं हो रही। विपक्षी दल जहाँ सरकार पर बेरोज़गारी, अपराध और पलायन के मुद्दों पर निशाना साध रहे हैं, वहीं एनडीए ‘जंगलराज की वापसी’ का डर दिखाकर मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहा है।
तेजस्वी यादव बने सियासी निशाने पर
राजनीतिक पटल पर राजद नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्हें ‘नायक’ कहने वाले बयानों के बाद बीजेपी नेताओं ने उन पर तीखा हमला बोला है। बिहार के मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता जीबेश कुमार ने कहा, “तेजस्वी यादव किसी भी रूप में नायक नहीं हो सकते। जो अपने परिवार को नहीं संभाल पाए, वो राज्य को क्या संभालेंगे? उनके पास न तो स्पष्ट विज़न है, न ही मज़बूत नेतृत्व।”
बीजेपी के इस बयान ने चुनावी बहस को और गरम कर दिया है। सोशल मीडिया से लेकर नुक्कड़ तक हर जगह तेजस्वी यादव और उनकी छवि को लेकर चर्चा जारी है।
वक्फ बोर्ड विवाद ने बढ़ाई गरमी
तेजस्वी यादव के हालिया ‘वक्फ बोर्ड’ संबंधी बयान पर भी विपक्षी दलों के अलावा सहयोगी दलों ने नाराज़गी जताई है। राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के नेता मलूक नागर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “तेजस्वी यादव को संविधान का सम्मान करना चाहिए। वह खुद उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, उनके परिवार ने तीन-तीन बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि वक्फ बोर्ड से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया है। ऐसे में इस तरह की बयानबाज़ी अनुचित है और यह केवल संवैधानिक संस्थाओं का अपमान है।”
इस बयान के बाद सियासी गलियारों में यह बहस छिड़ गई है कि क्या तेजस्वी यादव जानबूझकर धार्मिक मुद्दों को हवा दे रहे हैं या फिर यह सिर्फ एक रणनीतिक गलती है।
राजद के चुनावी वादों पर बीजेपी का पलटवार
राजद के हालिया घोषणापत्र में रोजगार और महंगाई से जुड़े वादों को लेकर बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “ये लोग सिर्फ जुमलेबाज हैं। कांग्रेस, राजद और उनका इंडिया गठबंधन केवल चुनाव से एक हफ्ता पहले तक जुमलेबाजी करेंगे, क्योंकि इनके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। जनता अब इनके झूठे वादों में नहीं फँसेगी और दो-तिहाई बहुमत से NDA को विजयी बनाएगी।”
जायसवाल का यह बयान बीजेपी की रणनीति को भी स्पष्ट करता है, जो इस बार “जंगलराज बनाम सुशासन” की कहानी को जनता के बीच प्रमुख मुद्दा बनाकर पेश करना चाहती है।
चिराग पासवान का कड़ा बयान — ‘जंगलराज नहीं लौटेगा’
लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “राजद की विचारधारा सत्ता पाने के लिए किसी भी स्तर तक गिरने की है। हमारे उम्मीदवारों पर हमले कर यह दिखाया जा रहा है कि कुछ वर्गों को आज भी मुख्यधारा में आने से रोका जा रहा है। लेकिन NDA ऐसे असामाजिक तत्वों से कभी समझौता नहीं करेगा। हमारी सरकार हर दोषी पर सख्त कार्रवाई करेगी और बिहार में कभी भी ‘जंगलराज’ की वापसी नहीं होने देगी।”
चिराग पासवान का यह बयान NDA के अंदर उनकी भूमिका को और मज़बूत बनाता है। वह युवाओं और दलित वर्ग में अपनी अलग पहचान बनाकर NDA की छवि को और धार देने में जुटे हैं।
छठ पर्व बना राजनीतिक संवाद का माध्यम
बिहार के सबसे बड़े पर्व छठ के दौरान भी नेता अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं से मिल रहे हैं। कहीं घाटों पर आशीर्वाद लेने की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, तो कहीं चुनावी रथों से जनता को संदेश दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर नेताओं की गतिविधियाँ तेजी से फैल रही हैं, जिससे यह चुनाव अब डिजिटल और भावनात्मक दोनों स्तरों पर रोचक होता जा रहा है।
सियासत और श्रद्धा का संगम
छठ पर्व के बीच बिहार की सियासत अपने चरम पर है। जहां जनता आस्था में लीन है, वहीं नेता विश्वास जीतने की कवायद में लगे हैं। तेजस्वी यादव और NDA के बीच की यह सियासी जंग आने वाले दिनों में और तीखी होने की संभावना है। बिहार का मतदाता अब देख रहा है कि कौन उनके लिए सच्चा “नायक” बनकर उभरता है — तेजस्वी यादव या फिर NDA का गठबंधन।