मोकामा हत्याकांड का असर, प्रशासन ने उठाए सख्त कदम
मुजफ्फरपुर से रिपोर्ट।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा हत्याकांड का असर अब राज्य के अन्य जिलों में भी दिखाई देने लगा है। चुनावी माहौल में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और भयमुक्त मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने लाइसेंसी हथियार धारकों के लिए नई व्यवस्था लागू कर दी है।
लाइसेंसी हथियार धारकों को हथियार जमा करने का आदेश
प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि जिले के सभी लाइसेंसी हथियार धारक अपने हथियार संबंधित थाना या अधिकृत आर्म्स दुकानों में जमा करें।
निर्देश के मुताबिक,
“शनिवार की शाम तक सभी लाइसेंसी हथियार जमा कराने होंगे, और जमा रसीद थानाध्यक्ष को सौंपनी होगी।”
पुलिस ने बताया कि यह कदम चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या दहशत फैलाने की संभावनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है।
3400 से अधिक लाइसेंसी हथियारों पर सख्त निगरानी
जिले में करीब 3400 लाइसेंसी हथियार धारक हैं। पुलिस का कहना है कि हाल ही में सभी हथियारों का सत्यापन कराया गया था, लेकिन मोकामा की घटना के बाद प्रशासन ने निगरानी और सख्त करने का निर्णय लिया है।
पुलिस पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यालय से प्राप्त आदेश के बाद सभी थानाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में लाइसेंसधारकों से संपर्क करें और सुनिश्चित करें कि सभी हथियार सुरक्षित रूप से जमा हो गए हैं।
चुनाव के बाद वापस मिलेंगे हथियार
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चुनाव समाप्त होने के बाद धारकों को अपने हथियार वापस मिल जाएंगे।
इस प्रक्रिया के तहत, हथियार जमा करने के बाद धारक को एक रसीद दी जा रही है, जिसे दिखाकर चुनाव पश्चात हथियार वापस लिया जा सकता है।
सदर थानाध्यक्ष अस्मित कुमार ने बताया,
“सभी लाइसेंसी धारकों को फोन कर हथियार जमा कराने के लिए कहा गया है। कई लोगों ने हथियार जमा करा दिए हैं और शेष लोग शनिवार तक ऐसा करेंगे।”
वहीं नगर थानाध्यक्ष कमलेश कुमार ने जानकारी दी कि अब तक छह लाइसेंसी हथियार जमा कराए जा चुके हैं, बाकी धारक भी पालन कर रहे हैं।
फोन पर आ रहे हैं निर्देश, कई नेताओं और व्यापारियों को कॉल
मुख्यालय से जारी मौखिक निर्देश के बाद जिले के कई लाइसेंसधारकों को संबंधित थाने से कॉल प्राप्त हुए हैं। इनमें कई स्थानीय नेता, चिकित्सक, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।
हालांकि, अब तक इस संबंध में किसी लिखित आदेश की प्रति सार्वजनिक नहीं की गई है। फिर भी, थानों को मौखिक रूप से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी धारक हथियार अपने पास न रखे।
लाइसेंस नवीकरण में आई दिक्कतें
कई लाइसेंसधारकों ने यह भी बताया कि जिले में एक भी आर्म्स दुकान के लाइसेंस का नवीकरण नहीं हुआ है, जिससे उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि हथियार कहां जमा करें।
हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि
“ऐसे धारक अपने संबंधित थाने में ही हथियार जमा करा सकते हैं।”
इस कदम से जहां प्रशासन चुनाव को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में बढ़ा है, वहीं लाइसेंसधारकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
प्रशासन का उद्देश्य – भयमुक्त और शांतिपूर्ण चुनाव
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई किसी एक घटना या व्यक्ति को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि समग्र सुरक्षा दृष्टिकोण से की जा रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार,
“चुनाव प्रचार के दौरान या मतदान के दिन लाइसेंसी हथियारों का दुरुपयोग कर दहशत फैलाने की आशंका थी। इसे रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।”
निष्कर्ष: सुरक्षा के नाम पर सख्ती, जनता में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत
मोकामा की घटना ने प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। हथियार जमा कराने का यह आदेश न सिर्फ़ कानून-व्यवस्था के लिहाज से अहम है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि बिहार चुनाव 2025 में प्रशासन किसी भी तरह की हिंसक गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा।
अब देखना यह होगा कि यह सख्ती किस हद तक शांति और भयमुक्त मतदान का माहौल तैयार कर पाती है।