बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन में सुलह की कोशिशें तेज़, कांग्रेस ने JMM पर दिए स्पष्ट संकेत
डिजिटल डेस्क, पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब चुनावी सरगर्मी चरम पर है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस के बीच चल रहे मतभेदों पर कांग्रेस ने सफाई देते हुए कहा है कि गठबंधन में कोई दरार नहीं है और सभी दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
“मतभेद नहीं, विचार-विमर्श चल रहा है” — कांग्रेस
कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने कहा कि गठबंधन के भीतर मतभेद जैसी कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा—“यह एक साझा मंच है, जहां विभिन्न दलों की अपनी राय और दृष्टिकोण होते हैं। लेकिन अंततः लक्ष्य एक है— भाजपा-जदयू गठबंधन को सत्ता से बाहर करना। JMM के नेताओं से बात चल रही है और हेमंत सोरेन बिहार में महागठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करेंगे।”
राकेश सिन्हा ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हमेशा गठबंधन धर्म निभाया है और आवश्यकतानुसार त्याग भी किया है। उनके अनुसार, “अगर कोई हमें समर्थन न करने का आरोप लगाता है, तो यह तथ्यों से परे है।”
भाजपा का पलटवार: “महागठबंधन ने बिहार को शर्मसार किया”
भाजपा नेता गुरु प्रकाश पासवान ने कांग्रेस और राजद पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा—
“ये दल दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने का दिखावा करते हैं, लेकिन व्यवहार में भेदभाव करते हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के साथ हुआ व्यवहार इसका प्रमाण है। महागठबंधन का एकता का दावा खोखला है। 14 तारीख को मतदाता इसका जवाब देंगे।”
भाजपा ने महागठबंधन को “महा-लठबंधन” बताते हुए कहा कि इन दलों के बीच नीतिगत एकता नहीं, बल्कि केवल सत्ता की भूख है।
JMM का दर्द: “हमें दरकिनार किया गया”
महागठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता से पहले JMM नेता मनोज पांडे ने कहा कि पार्टी को चुनावी रणनीति में नज़रअंदाज़ किया गया।
उन्होंने कहा—
“हमने गठबंधन की मर्यादा बनाए रखी, लेकिन हमें चुनाव योग्य नहीं समझा गया। हेमंत सोरेन ने कई बार बड़ा दिल दिखाया, पर बिहार के नेताओं में वैसी व्यापकता नहीं दिखी। यह हमारे लिए निराशाजनक है।”
मनोज पांडे के इस बयान से गठबंधन में असंतोष की झलक जरूर दिखाई दी, लेकिन कांग्रेस ने तत्परता से इस स्थिति को संभालने की कोशिश की।
बिहार की जनता के बीच ‘महागठबंधन बनाम NDA’ की जंग
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला राजद-कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन और भाजपा-जदयू गठबंधन के बीच है।
नामांकन प्रक्रिया के अनुसार—
-
राजद ने 143 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं,
-
कांग्रेस 61 सीटों पर मैदान में है,
-
भाजपा और जदयू दोनों ने 101-101 उम्मीदवार खड़े किए हैं,
-
वहीं लोजपा(रामविलास), हम और आरएलएम जैसे छोटे दल भी अपने हिस्से की सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इस चुनाव में जातीय समीकरणों और गठबंधन की मजबूती का बड़ा असर दिखने वाला है।
“जनता अब समझ चुकी है सच्चाई” — दिलीप जायसवाल
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने महागठबंधन पर व्यंग्य करते हुए कहा—
“बिहार की जनता अब महागठबंधन को ‘महा-लठबंधन’ कहने लगी है। सीट बंटवारे से लेकर उम्मीदवार चयन तक, इन दलों ने जो चेहरा दिखाया, उससे मतदाता समझ गए हैं कि ये लोग शासन नहीं कर सकते।”
दशरथ मांझी के बेटे का दर्द: “राहुल गांधी ने वादा किया था, टिकट नहीं मिला”
‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के पुत्र भागीरथ मांझी ने कांग्रेस पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा—
“मैं दिल्ली में चार दिन रहा, राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की, लेकिन टिकट नहीं मिला। सबको टिकट दिया गया, लेकिन हमें नजरअंदाज़ किया गया।”
इस बयान ने कांग्रेस की टिकट वितरण नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
गठबंधन में मतभेद के बावजूद एकता की कोशिश
बिहार चुनाव का यह चरण राजनीतिक तापमान को बढ़ा चुका है।
जहां कांग्रेस गठबंधन की एकता का संदेश देने में लगी है, वहीं भाजपा गठबंधन की असहमति को भुनाने की कोशिश कर रही है।
आगामी दिनों में प्रचार अभियान और भी तेज़ होने की संभावना है, और बिहार की राजनीति का समीकरण हर पल बदलता नज़र आ रहा है।