बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक बढ़त और बदलते राजनीतिक संकेत
मतगणना के रुझानों ने बदली बिहार की सियासी तस्वीर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतगणना रुझानों ने राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव दर्ज किया। कुल 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता होती है। मतगणना के अंतिम दौर में एनडीए स्पष्ट रूप से 200 से अधिक सीटों के लक्ष्य को पार करता दिखा, जिससे यह साफ हो गया कि जनता ने इस बार निर्णायक जनादेश दिया है।
बीजेपी और जदयू दोनों ने अपने-अपने स्तर पर मजबूत प्रदर्शन किया। बीजेपी ने 101 और जदयू ने 101 सीटों पर उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की। इसके साथ ही चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम और जीतन राम मांझी की हम पार्टी ने भी गठबंधन को मजबूती प्रदान की।
महागठबंधन का सिमटना और प्रमुख चेहरों का प्रदर्शन
दूसरी ओर महागठबंधन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया। आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी सहित पूरे गठबंधन को मिलकर भी 35 सीटों का आंकड़ा पार करने में कठिनाई होती दिखाई दी।
तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी और अनंत सिंह जैसे कई दिग्गज नेताओं ने अपनी-अपनी सीटों पर जीत दर्ज की, परंतु समग्र रूप से महागठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
गया जिले में महिला नेतृत्व का उभार
इस चुनाव का एक उल्लेखनीय पहलू गया जिले में महिला नेतृत्व का उभरकर सामने आना रहा। बेलागंज, बाराचट्टी और इमामगंज – इन तीनों प्रमुख सीटों पर महिला प्रत्याशियों ने शानदार विजय प्राप्त कर संदेश दिया कि बिहार की राजनीति में अब महिलाओं की भूमिका और अधिक सशक्त हो रही है।
जदयू की मनोरमा देवी ने बेलागंज में जोरदार जीत हासिल की। वहीं हम पार्टी की प्रत्याशी ज्योति मांझी ने बाराचट्टी और दीपा मांझी ने इमामगंज से जीतकर जिले में एनडीए की पकड़ और मजबूत कर दी।
यह भी उल्लेखनीय है कि ज्योति मांझी जीतन राम मांझी की समधन तथा दीपा मांझी उनकी बहू हैं। हम पार्टी ने जिन छह सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से पांच पर विजय दर्ज कर उसने अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता का दमदार प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विपक्ष को सख्त नसीहत
चुनावी रुझानों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी नकारात्मक राजनीति के चलते न केवल स्वयं कमजोर हो रही है, बल्कि अपने सहयोगियों को भी साथ गिरा रही है।
उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के वोटबैंक को कमजोर कर सत्ता में लौटने की कोशिश करती है, इसलिए उसके साथ गठबंधन करने वाले दलों को सावधान रहने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य ने न केवल राजनीतिक बहस को नया मोड़ दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि आगामी महीनों में बिहार की राजनीति में सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए रणनीतिक समीकरण और अधिक जटिल हो सकते हैं।
बिहार के भविष्य के संकेत
चुनाव परिणामों से स्पष्ट संदेश यह है कि बिहार की जनता बदलाव, स्थिरता और विकास आधारित राजनीति को प्राथमिकता दे रही है। एनडीए की भारी जीत यह संकेत देती है कि राज्य में आगे भी केंद्र–राज्य समन्वय को मजबूती मिलने की संभावना है।
महिला नेतृत्व का उभार, नए चेहरों का प्रदर्शन और गठबंधन राजनीति की नई दिशा आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीतिक संरचना को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है।