बिहार विधानसभा चुनाव की स्थिति और दोनों गठबंधनों की रणनीति
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन प्रक्रिया के प्रथम और द्वितीय चरण सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। इस चुनाव में राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही प्रमुख राजनीतिक गठबंधन अपने-अपने दलों के लिए सीटों के बंटवारे पर गंभीर मंथन कर रहे हैं। एनडीए के सभी दलों की सीटें पिछले चुनाव की तुलना में घट गई हैं, जबकि महागठबंधन में वामदल और वीआईपी को लाभ हुआ है।
एनडीए की सीटों में कमी और कारण
एनडीए में भाजपा और जदयू सहित अन्य दलों की सीटों में कमी का मुख्य कारण आपसी तालमेल की कमी और नए दलों के प्रवेश को माना जा रहा है। भाजपा इस बार 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जो पिछली बार की 110 सीटों की तुलना में कम है। जदयू की सीटें 115 से घटकर 101 रह गई हैं। एनडीए में इस बार हम पार्टी को 6 सीटें, रालोमो को 6 और लोजपा (रा) को 29 सीटें मिली हैं।
विशेष रूप से यह देखा गया कि एनडीए के भीतर नए दलों के प्रवेश ने सीटों के पुनर्वितरण को प्रभावित किया है। लोजपा (रा) ने पिछले चुनाव में एनडीए से अलग होकर 134 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार एनडीए में वापसी के साथ 29 सीटें ही मिली हैं।
महागठबंधन में सीटों का लाभ और कांग्रेस का बलिदान
महागठबंधन में राजद को पिछले चुनाव की तुलना में केवल एक सीट कम मिली है, जो इसे 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर देती है। कांग्रेस ने नौ सीटों का बलिदान किया और इस बार केवल 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वाम दलों के लिए यह चुनाव काफी लाभकारी रहा है। भाकपा-माले की सीटें 19 से बढ़कर 20, सीपीआइ की सीटें 6 से बढ़कर 9 और सीपीएम की सीटें 4 से बढ़कर 6 हो गई हैं।
वीआईपी ने महागठबंधन में रहते हुए इस बार 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर पाया है, जबकि पिछली बार एनडीए के साथ रहते हुए केवल 11 सीटें थीं। इस कारण महागठबंधन की स्थिति मजबूत दिख रही है और राज्य की राजनीति में इसका प्रभाव बढ़ा है।
नए दलों की आमद और राजनीतिक समीकरण
दोनों प्रमुख गठबंधनों में नए दलों के प्रवेश ने बिहार की राजनीतिक तस्वीर को बदल दिया है। एनडीए ने चिराग पासवान की लोजपा (रा) के लिए स्थान सुनिश्चित किया, जबकि महागठबंधन ने मुकेश सहनी की वीआईपी को शामिल किया। दोनों गठबंधन अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रहे हैं ताकि चुनाव में पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति बनाए रखी जा सके।
सीटों का विश्लेषण
एनडीए (2025 बनाम 2020)
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भाजपा: 101 – 110
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जदयू: 101 – 115
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लोजपा: 29 – 134 (एनडीए से अलग)
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हम: 06 – 07
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रालोमो: 06 – 104
महागठबंधन (2025 बनाम 2020)
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राजद: 143 – 144
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कांग्रेस: 61 – 70
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भाकपा-माले: 20 – 19
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वीआईपी: 15 – 11 (एनडीए के साथ)
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सीपीआइ: 09 – 06
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सीपीएम: 06 – 04
इस विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि एनडीए के सभी घटक दलों की सीटें घट गई हैं, जबकि महागठबंधन में वामदल और वीआईपी का लाभ हुआ है। आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों गठबंधनों को अपनी रणनीति और उम्मीदवार चयन पर गंभीर पुनर्विचार करना होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक समीकरण पहले से अधिक जटिल हो गए हैं। एनडीए को अपनी सीटों में कमी के बावजूद संगठन और तालमेल बनाए रखना होगा। वहीं, महागठबंधन वामदल और वीआईपी की मदद से चुनाव में अपने प्रभाव को और मजबूत करने का प्रयास करेगा। यह चुनाव बिहार की राजनीति में नए रुझान और दलों के बीच संतुलन की दिशा निर्धारित करेगा।