जदयू ने 105 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची फाइनल की
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने अपने 105 प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो दिनों की बैठक के बाद उम्मीदवारों की सूची पर मुहर लगाई। इस सूची में पहले चरण के चुनाव वाले क्षेत्रों के प्रत्याशियों की घोषणा पहले की जा सकती है।
जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा भाजपा और अन्य घटक दलों से सहमति के बाद प्रत्याशियों के नाम और सिंबल बांटेंगे।
बैठक और निर्णय प्रक्रिया
नीतीश कुमार ने दो चरणों में पार्टी की कोर कमेटी के नेताओं के साथ बैठक की।
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पहली बैठक सुबह 10 बजे से शुरू हुई, जिसमें प्रत्याशियों के नामों पर विस्तार से चर्चा हुई। सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन पर भी विचार किया गया।
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दूसरी बैठक शाम चार बजे से आयोजित हुई, जिसमें चुनाव प्रचार की रणनीति पर चर्चा हुई। इसमें तय हुआ कि नीतीश कुमार कहां सभाएं करेंगे, कहां रोड शो होगा और किस तरह से अभियान को प्रभावी बनाया जाएगा।
चुनावी रणनीति और गठबंधन
जदयू ने अपने 105 प्रत्याशियों की सूची तैयार करते समय भाजपा और अन्य घटक दलों से भी सहमति ली। नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि पार्टी दो-तीन सीटों में बदलाव की संभावना भी छोड़ रही है।
जदयू के इस कदम से बिहार में एनडीए की स्थिति और मजबूत होगी। पार्टी ने सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन के साथ जातीय और लैंगिक प्रतिनिधित्व का भी ध्यान रखा है।
जसुपा की पहली सूची और चुनावी मुकाबला
वहीं, जन सुराज पार्टी (जसुपा) ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है। जसुपा ने 51 प्रत्याशियों की घोषणा की, जिसमें सात महिलाएं और एक मंगलामुखी शामिल हैं।
जसुपा का दावा है कि जातियों की संख्या और सामाजिक समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बताया कि शुरुआती योजना में 100 से अधिक उम्मीदवारों के नाम शामिल थे, लेकिन अंतिम निर्णय 51 प्रत्याशियों पर ही हुआ।
जदयू ने 105 प्रत्याशियों के साथ चुनावी मैदान में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी ने सामाजिक संतुलन, क्षेत्रीय आवश्यकताओं और गठबंधन की सहमति को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति तैयार की है।
जसुपा और अन्य छोटे दलों के साथ मुकाबला भी रोमांचक रहने की संभावना है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह कदम एनडीए और महागठबंधन के बीच सघन प्रतिस्पर्धा को और बढ़ाएगा।