नीतीश कुमार की दसवीं पारी में बिहार की सत्ता पर फिर से एनडीए का कब्जा

Bihar Politics
Bihar Politics: बिहार की सत्ता में फिर लौटी एनडीए सरकार (File Photo)
एनडीए विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को फिर मुख्यमंत्री चुना गया है। 20 नवंबर को पटना में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में शपथ ग्रहण होगा। यह उनकी दसवीं पारी होगी, जिसमें जनता विकास और सुशासन की नई उम्मीदें लेकर आगे देख रही है।
नवम्बर 19, 2025

नीतीश कुमार का फिर से मुख्यमंत्री पद पर वापसी का ऐतिहासिक क्षण

एनडीए विधायकों की बैठक से तय हुआ नया नेतृत्व

पटना में आयोजित एनडीए विधायकों की बैठक ने राजनीतिक रूप से एक बड़ा संदेश दिया। बैठक में सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित किया गया। बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी विधायकों ने समर्थन दिया। इससे यह साफ हो गया कि बिहार की सत्ता में नीतीश कुमार एक बार फिर केंद्रीय भूमिका निभाएंगे।

हिंदुस्तान की राजनीति में नीतीश कुमार को इतने लंबे समय तक सक्रिय और प्रभावशाली बने रहने का श्रेय बिहार की सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक समझ को जाता है। इस बार एनडीए की भारी जीत ने स्पष्ट कर दिया कि जनता अभी भी उनसे स्थिर शासन और सुशासन की उम्मीद रखती है।


20 नवंबर को होगा शपथ ग्रहण समारोह

राजनीतिक चर्चाओं के बीच अब स्पष्ट हो गया है कि 20 नवंबर को पटना में भव्य शपथ ग्रहण समारोह होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेता मौजूद रहेंगे। राजधानी में तैयारी जोरों पर है और प्रशासनिक अधिकारी शपथ समारोह को लेकर सुरक्षा और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं।

यह समारोह केवल सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की जनता के लिए नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत भी होगा। सुशासन और स्थिर नेतृत्व के वादों के साथ नीतीश कुमार फिर से जनता के सामने खड़े होंगे।


नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर की उतार-चढ़ाव भरी कहानी

नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर का सबसे बड़ा आकर्षण उनका कई बार बदलता राजनीतिक समीकरण रहा है, जिसके केंद्र में हमेशा बिहार और उसके विकास को प्राथमिकता देने का दावा रहा है। उन्होंने पहली बार 2000 में मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन बहुमत न होने के कारण सात दिनों में इस्तीफा देना पड़ा।

2005 में वह आरजेडी शासन को चुनौती देते हुए सत्ता में लौटे। यहीं से ‘गुड गवर्नेंस’ का उनका मॉडल लोकप्रिय हुआ, जिसके नाम पर आज भी उनकी पहचान बनी हुई है। 2014 में उन्होंने चुनावी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और एनडीए से अलग हो गए।

इसके बाद 2015 में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ महागठबंधन बनाकर तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया। लेकिन 2017 में अचानक उन्होंने महागठबंधन छोड़कर फिर से एनडीए में वापसी की। 2022 में उन्होंने फिर गठबंधन बदला और महागठबंधन की ओर लौटा, फिर 2024 में दोबारा एनडीए से हाथ मिलाया। अब 2025 की जीत के साथ वह दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।


राजनीतिक पटल पर मजबूत होते एनडीए का भविष्य

एनडीए की इस ऐतिहासिक वापसी के साथ ही बिहार में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीदें बढ़ी हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि यह जीत केवल सत्ता का हस्तांतरण नहीं, बल्कि विकास की निरंतरता की ओर एक कदम है। नीतीश कुमार की प्रशासनिक दक्षता और भाजपा के संगठनात्मक समर्थन के बीच बनी यह साझेदारी आगामी वर्षों में राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा सुधार, बुनियादी ढांचा, जल-जीवन मिशन, कृषि नीतियों और औद्योगिक निवेश पर विशेष योजनाओं के जोर की संभावना दिखाई दे रही है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में नीतीश सरकार इन विषयों पर निर्णायक कदम उठाएगी।


बिहार की जनता की उम्मीदें और चुनौतियां

सत्ता में वापसी के साथ नीतीश कुमार के सामने जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने की चुनौती भी है। खासकर युवा पीढ़ी रोजगार और बेहतर शिक्षा व्यवस्था की मांग लेकर आगे बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल होने चाहिए।

बिहार को औद्योगिक रूप से सशक्त बनाने के लिए निवेश आकर्षित करना सरकार की चुनौती बन सकता है। यह तभी संभव है जब प्रशासनिक प्रक्रियाएं पारदर्शी और सरल हों। जनता उम्मीद कर रही है कि अनुभव और स्थिर नेतृत्व के साथ नीतीश कुमार इन मुद्दों पर ठोस कार्रवाई करेंगे।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.