मोकामा से उठी चिंगारी, मुजफ्फरपुर में भड़की आग
बिहार की राजनीति में इन दिनों सन्नाटा नहीं बल्कि आक्रोश की आवाज़ें गूंज रही हैं। मोकामा के बाहुबली माने जाने वाले दुलारचंद यादव की हत्या के बाद इसका असर अब राज्य के दूसरे जिलों में भी दिखने लगा है। इसी क्रम में शुक्रवार को मुजफ्फरपुर के कुढनी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित प्रशांत किशोर के रोड शो में भारी विरोध दर्ज किया गया।
Dularchand Yadav Murder – बिहार की राजनीति में मचा सियासी बवंडर, मुजफ्फरपुर में प्रशांत किशोर के रोड शो में विरोध#BiharElection2025 #BiharElections #PrashantKishor #JanSuraaj pic.twitter.com/jTSFuej1yX
— Rashtra Bharat (@RBharatdigital) November 1, 2025
स्थानीय लोगों और यादव महासभा के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर ‘दुलारचंद यादव अमर रहे’ और ‘प्रशांत किशोर मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। यह विरोध अचानक नहीं था, बल्कि मोकामा में हुई हत्या के बाद से simmer हो रहे असंतोष का विस्फोट था।
‘मोकामा का शेर’ के नाम से प्रसिद्ध थे दुलारचंद यादव
बिहार की धरती ने हमेशा राजनीतिक रूप से प्रभावशाली और जनता से जुड़े नेताओं को देखा है। उन्हीं में से एक थे दुलारचंद यादव, जिन्हें स्थानीय लोग “मोकामा का शेर” कहा करते थे। वे यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर उनकी मजबूत पकड़ थी।
उनकी हत्या ने बिहार के जातीय और राजनीतिक समीकरणों को झकझोर दिया है। मोकामा से लेकर दरभंगा और अब मुजफ्फरपुर तक, हर जिले में यादव समाज और समर्थक संगठन न्याय की मांग करते दिख रहे हैं।
हत्या की गुत्थी अब तक उलझी, आरोप-प्रत्यारोप तेज
दुलारचंद यादव की हत्या को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। मोकामा के जनसुराज प्रत्याशी ने एक लाइव वीडियो में दावा किया कि हत्या में अनंत सिंह समर्थकों का हाथ है।
उनका कहना था कि जब वे प्रचार कर रहे थे, तभी दुलारचंद यादव पर हमला किया गया। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि यह हमला आपसी राजनीतिक रंजिश का नतीजा था।
पुलिस अभी जांच में जुटी है, लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
मुजफ्फरपुर में रोड शो बना विरोध का मंच
इसी पृष्ठभूमि में शुक्रवार को जनसुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर (PK) का रोड शो कुढनी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित किया गया। लेकिन जैसे ही उनका काफिला इलाके में पहुंचा, कुछ युवाओं का समूह सड़क पर उतर आया।
वे हाथों में बैनर लिए थे और नारे लगा रहे थे –
“दुलारचंद यादव अमर रहें! प्रशांत किशोर मुर्दाबाद!”
इस बीच, एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसमें विरोध प्रदर्शन की पूरी झलक दिखाई दे रही है। करीब चार मिनट तीस सेकंड लंबे इस वीडियो में भीड़ को रोड शो की गाड़ी रोकते हुए देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर तेज हुआ तूफान
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर राजनीतिक बहस और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। #DularchandYadavAmarRahe और #PKProtest जैसे हैशटैग ट्विटर (अब X) पर ट्रेंड करने लगे।
कई यूज़र्स ने प्रशांत किशोर से जवाबदेही मांगी कि मोकामा में उनके प्रचार अभियान से जुड़े नेता की हत्या पर वे अब तक चुप क्यों हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह घटना सिर्फ एक विरोध नहीं बल्कि बिहार की गहराती राजनीतिक संवेदनशीलता का संकेत है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अरविंद झा कहते हैं —
“मोकामा की राजनीति हमेशा से बाहुबल और प्रभाव की राजनीति रही है। दुलारचंद यादव जैसे नेताओं की हत्या राज्य में जातीय असंतुलन और राजनीतिक तनाव को फिर से उभार सकती है।”
वे आगे कहते हैं कि प्रशांत किशोर का ‘जनसुराज’ अभियान जनता के बीच भले सक्रिय हो, लेकिन ऐसी घटनाएं उनकी छवि पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।
दुलारचंद यादव की हत्या सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए एक गंभीर सवाल बन गई है।
जहाँ एक ओर न्याय की मांग उठ रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे सत्ता और चुनाव से जोड़कर देख रहा है।
मुजफ्फरपुर में हुआ विरोध स्पष्ट संकेत है कि बिहार में आने वाले दिनों में राजनीति और भी गरमाने वाली है।