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Bihar Politics: मोकामा में चुनाव प्रचार के दौरान मारा गया गैंग्स्टर-राजनीतिज्ञ, शव के पोस्टमार्टम हेतु मेडिकल बोर्ड गठन

Gangster turned Politician Dular Chand Yadav Death
Gangster turned Politician Dular Chand Yadav Death – मोकामा बिहार चुनाव हिंसा (File Photo)
अक्टूबर 31, 2025

पटना (रूरल) से जारी रिपोर्ट के अनुसार, दूलर चन्द यादव नामक गैंस्टर-परिवर्तित राजनीतिज्ञ की मोकामा (पटना जिला) क्षेत्र में मतदान अग्रिम प्रचार के दौरान गोलीबारी एवं वाहन द्वारा कुचलने से मृत्यु हो गई है। घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन ने शव की स्वचालित सफाई एवं निष्क्रियरण को रोकते हुए एक मेडिकल बोर्ड गठित किया है जो पोस्टमार्टम की प्रक्रिया का पर्यवेक्षण करेगा।

हत्याकांड का घटनाक्रम

दूलर चन्द यादव, जो पूर्व में गैंस्टर के रूप में सक्रिय थे और बाद में राजनीति-छाया में आ गए थे, हाल ही में जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पियूष प्रियदर्शी के नाम समर्थन कर प्रचार कर रहे थे। घटनास्थल मोकामा ताल एवं उससे जुड़े गांवों के बीच थी, जहाँ दो राजनीतिक गुटों के काफिले में टकराव हुआ। आरोप है कि यादव को पहले गोली लगी और बाद में वाहन द्वारा रैंपओवर (चालक द्वारा कुचलना) किया गया।

पुलिस ने कहा है कि प्रारंभिक जांच में उन्हें जानकारी मिली है कि यादव को पैर में गोली लगी थी और मृत्यु वाहन के नीचे आने से हुई। वे अभी तक हत्या-मामले की गहराई से पड़ताल कर रहे हैं।

राजनीति एवं कानून-व्यवस्था पर प्रभाव

घटना ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के माहौल को कलंकित कर दिया है। विशेष रूप से मोकामा सीट पर अनंत सिंह एवं वीणा देवी जैसे राजनीतिक हस्तियों का प्रभाव रहा है, तथा यादव के इस हत्या ने इलाके में ‘मसल मैन’ राजनीति एवं बाहुबलियों के दौर की याद ताजा कर दी है।

तेजस्वी यादव ने इसे कानून-व्यवस्था के पैमाने पर गंभीर प्रश्न बताया है और बूथ-प्रचार के दौरान बंदूक तथा बाहुबलियों के चलन पर चिंता जताई है।

पोस्टमार्टम एवं तत्संबंधित कदम

घटना के अगले दिन, प्रशासन ने शव को स्थानीय सरकारी अस्पताल (बरह उपविभागीय अस्पताल) भेजा है जहाँ एक मेडिकल बोर्ड की निगरानी में पोस्टमार्टम प्रक्रिया चल रही है। पुलिस एवं प्रशासन ने भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं ताकि इससे आगे संभावित हिंसा से निपटा जा सके।

पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि वे शव को तुरंत नहीं सौंपने दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने कहा कि वे प्रथम जन्मे पुत्र के आने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं पुलिस ने हत्या के आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी है।

चुनावी प्रचार में उठे सवाल

यह घटना उस समय सामने आई है जब बिहार विधानसभा चुनाव की पहली चरण की वोटिंग सिर्फ कुछ दिन दूर है। ऐसे में प्रचार-प्रसार, काफिले, रोड शो व विरोधी गुटों के बीच टकराव आम है। इस प्रकार की हिंसा ने चुनाव-उपयुक्त माहौल पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाया है।

विश्लेषकों का मानना है कि मोकामा जैसे इलाकों में बाहुबलियों का इतिहास गहरा है और यहां की राजनीति आज भी ‘कठपुतली राजनीति’ व ‘मसल मैन’ की रणनीति से ग्रसित है। इस घटना ने उन संवादों को फिर से सक्रिय कर दिया है जिनमें कहा जाता है कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए चुनावी हिंसा एवं बाहुबलियों की भूमिका पर रोक लगानी होगी।

आगे की चुनौतियाँ

  • निष्पक्ष जांच: मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद यह देखा जाएगा कि क्या मामला सिर्फ गोलीबारी है या वाहन रैंपओवर द्वारा हत्या भी शामिल है। न्याय सुनिश्चित करना प्रशासन की बड़ी जिम्मेदारी होगी।

  • प्रचार-शांतिपूर्ण होना: चुनाव के चलते जो प्रचार हो रहा है, उसमें अंकुश व सुरक्षा मानदंड लागू होनी चाहिए ताकि जनता भय-मुक्त माहौल में मतदान कर सके।

  • बहुबलि-राज की समाप्ति: इस घटना ने फिर याद दिलाया है कि सिर्फ चुनाव लड़ना नहीं बल्कि सत्ता के लिए मसल-मैन का इस्तेमाल करना वर्तमान दौर की बड़ी समस्या है। राज्य सरकार एवं आयोग को इस पर प्रभावी कदम उठाने होंगे।

 


यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।


 

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