मोकामा में सियासी तूफान — सूरजभान सिंह का बड़ा दांव
बिहार की राजनीति में बुधवार का दिन बेहद उथल-पुथल भरा रहा।
पूर्व सांसद और रामविलास पासवान के करीबी रहे सूरजभान सिंह ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (पशुपति पारस गुट) से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया।
इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने तेजस्वी यादव की मौजूदगी में आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की,
जिसके बाद पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल मच गई है।
मोकामा में संभावित मुकाबला: सूरजभान बनाम अनंत सिंह
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, सूरजभान सिंह को राजद की ओर से मोकामा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
अगर ऐसा होता है, तो यह सीट एक बार फिर बाहुबलियों की सीधी जंग का अखाड़ा बन जाएगी।
एक तरफ होंगे —
राजद समर्थित सूरजभान सिंह
और दूसरी ओर —
जदयू के बाहुबली नेता अनंत सिंह
यह टक्कर सिर्फ वोटों की नहीं, बल्कि वर्चस्व और राजनीतिक प्रभाव की जंग मानी जा रही है।
तेजस्वी यादव ने दिया स्वागत संदेश
राजद नेता तेजस्वी यादव ने सूरजभान सिंह का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा —
“राजद में सूरजभान जी के आने से संगठन को बल मिला है।
मोकामा में जनता अब बदलाव चाहती है और हम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।”
तेजस्वी के इस बयान के बाद स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि
राजद मोकामा सीट पर पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है।
सूरजभान सिंह का राजनीतिक सफर
सूरजभान सिंह का नाम बिहार की राजनीति में लंबे समय से प्रभावशाली और विवादित छवि के रूप में जाना जाता है।
वे पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भरोसेमंद सहयोगी माने जाते थे और लोजपा को मजबूत करने में उनकी अहम भूमिका रही है।
उनका मोकामा और आसपास के इलाकों में मजबूत जनाधार है,
जो राजद के लिए वोट समीकरण साधने में मददगार साबित हो सकता है।
मोकामा: परंपरागत बाहुबली राजनीति का गढ़
मोकामा विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास बाहुबल और प्रभावशाली छवि वाले नेताओं से भरा रहा है।
अनंत सिंह यहां की राजनीति का पर्याय रहे हैं, जिन्होंने वर्षों तक इस क्षेत्र में पकड़ बनाए रखी।
अब सूरजभान सिंह के मैदान में उतरने से यह मुकाबला
“बाहुबल बनाम रणनीति” की लड़ाई में तब्दील होता दिख रहा है।
स्थानीय जानकारों के अनुसार, दोनों नेताओं के समर्थक पहले से अपनी तैयारियों में जुट गए हैं,
और आने वाले दिनों में मोकामा की फिज़ा पूरी तरह चुनावी रंग में रंग जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषण: दो ताकतों की जंग
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि
“मोकामा की सीट अब सिर्फ स्थानीय चुनावी मुद्दों तक सीमित नहीं रहेगी।
यह लड़ाई बिहार की सत्ता समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है।”
जहां राजद सूरजभान के ज़रिए अनंत सिंह के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में है,
वहीं जदयू इस सीट को हर हाल में कायम रखने की रणनीति बना रहा है।
मोकामा में 2025 का विधानसभा चुनाव अब बाहुबलियों का सीधा मुकाबला बनने जा रहा है।
सूरजभान सिंह के राजद में आने से तेजस्वी यादव को जहां राजनीतिक मजबूती मिली है,
वहीं नीतीश कुमार के लिए यह एक नई चुनौती साबित हो सकती है।
अब सबकी निगाहें टिकी हैं मोकामा पर —
जहां फैसला सिर्फ जनता का नहीं, बल्कि बिहार की सत्ता संतुलन का भी होगा।