छठ पर्व के अवसर पर नीतीश-चिराग की मुलाकात बनी सियासी चर्चा का केंद्र
आकाश श्रीवास्तव, पटना। बिहार की राजनीति में रविवार का दिन बेहद खास रहा जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक ही मंच पर दिखाई दिए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज चिराग पासवान के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने खरना प्रसाद ग्रहण किया और छठ महापर्व की शुभकामनाएं दीं।
दोनों नेताओं की यह मुलाकात न केवल सौहार्द का प्रतीक बनी बल्कि चुनावी माहौल के बीच राजनीतिक हलचल भी पैदा कर गई।

सादगी और सम्मान का मिला संगम
नीतीश कुमार ने परंपरागत ढंग से छठ का प्रसाद ग्रहण किया और कहा कि यह पर्व बिहार की संस्कृति, श्रद्धा और अनुशासन का प्रतीक है।
चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि छठ महापर्व बिहार की आत्मा से जुड़ा त्योहार है, और इसमें राजनीति से ऊपर उठकर समाज को एकजुट करने का संदेश निहित है।
दोनों नेताओं के बीच दिखी पुरानी गर्मजोशी
हालांकि बीते वर्षों में एलजेपी और जेडीयू के बीच कई बार राजनीतिक मतभेद देखने को मिले, लेकिन इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच पुरानी आत्मीयता साफ झलक रही थी।
मुस्कुराते हुए संवाद, आत्मीय अभिवादन और सहज माहौल ने संकेत दिया कि बिहार की राजनीति में कुछ नया आकार ले सकता है।
चुनावी मौसम में ‘प्रसाद की राजनीति’?
विधानसभा चुनाव के बीच हुई यह मुलाकात राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का नया विषय बन गई है।
राजनीतिक हलकों में इसे एक संभावित सियासी संकेत के रूप में देखा जा रहा है — क्या जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) के बीच नए सिरे से तालमेल की कोशिश शुरू हो चुकी है?
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें
नीतीश कुमार और चिराग पासवान की एक साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं।
लोग इसे “सियासी प्रसाद” की नई शुरुआत बताते हुए मज़ेदार प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
वहीं कुछ यूजर्स इसे बिहार की राजनीति में “संभावित सॉफ्ट रीअलाइनमेंट” का संकेत बता रहे हैं।
छठ महापर्व बना सियासी सद्भाव का प्रतीक
छठ पर्व हमेशा से बिहार की एकता, शुद्धता और सामूहिकता का प्रतीक रहा है।
नीतीश और चिराग की मुलाकात ने इस पर्व की उसी भावना को और गहराई दी है — जब राजनीति भी सामाजिक सद्भाव का माध्यम बन जाए।
मुख्यमंत्री ने प्रसाद ग्रहण करने के बाद कहा कि “छठ सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाला पर्व है।”
चिराग ने कहा — “यह मुलाकात सिर्फ शुभकामना नहीं, परंपरा का सम्मान है”
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री का उनके घर आना सम्मान की बात है।
उन्होंने कहा, “बिहार की राजनीति में मतभेद विचारों के हो सकते हैं, पर संस्कार और परंपराएं हमें जोड़ती हैं।”
नई संभावनाओं के संकेत?
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि इस मुलाकात से बिहार की सियासत में नई संभावनाएं जन्म ले सकती हैं।
चिराग पासवान ने हाल ही में कई मौकों पर राज्य सरकार के कार्यों की सराहना की थी, जिससे यह कयास और तेज हो गए हैं कि आने वाले दिनों में दोनों दल किसी साझा मंच पर फिर साथ दिख सकते हैं।
एनडीए समीकरण पर भी नजरें
यह मुलाकात एनडीए के भीतर भी चर्चा का विषय बन गई है। भाजपा के कई नेता इसे “राजनीतिक परिपक्वता और संवाद की पहल” के रूप में देख रहे हैं।
हालांकि आधिकारिक रूप से किसी गठबंधन या रणनीति की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस तरह की मुलाकातें चुनावी रणनीतियों की दिशा तय करती हैं।
निष्कर्ष: परंपरा के बहाने राजनीति में संवाद का सेतु
नीतीश कुमार और चिराग पासवान की यह मुलाकात एक ओर जहां छठ महापर्व की श्रद्धा और संस्कृति को सम्मान देती है, वहीं दूसरी ओर यह संकेत भी देती है कि राजनीति में संवाद का पुल हमेशा खुला रहता है।
बिहार की सियासत में जहां अक्सर कटुता और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिलते हैं, वहां यह दृश्य जनता के लिए सुकून और उम्मीद का संदेश है।