नीतीश कुमार की नई सरकार के गठन के साथ ही विभागों का बंटवारा भी पूरी तरह से तय कर दिया गया है। 20 नवंबर को पटना स्थित गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। शपथ ग्रहण समारोह के अगले ही दिन राज्य में मंत्रालयों का जिम्मा सौंपा गया। इस बार विभागों का बंटवारा खास रहा क्योंकि एनडीए सरकार में कई ऐसे नाम सामने आए जिन्हें पहली बार बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली। इनमें सबसे प्रमुख नाम उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के हैं।
विभागों के बंटवारे में बड़े बदलाव
नीतीश कैबिनेट में सबसे अहम और मजबूत विभाग गृह मंत्रालय को माना जाता है। इस बार गृह विभाग की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दी गई है। पिछले कार्यकाल में उनके पास वित्त विभाग था, लेकिन इस बार उन्हें सुरक्षा और कानून व्यवस्था जैसी जिम्मेदारियों से लैस मंत्रालय सौंपा गया है। दूसरी ओर, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को भूमि राजस्व और खनन मंत्रालय दिया गया है। यह पोर्टफोलियो भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि बिहार में भूमि विवाद और खनन से जुड़ी गतिविधियाँ लगातार सुर्खियों में रहती हैं।
इस बदलाव को एनडीए के नए सियासी समीकरणों और प्रशासनिक प्राथमिकताओं के रूप में देखा जा रहा है। गृह विभाग की बागडोर ऐसे नेता को सौंपना जो संगठन के भीतर मजबूत पकड़ रखते हों, सरकार के सुरक्षा ढांचे को नए सिरे से आकार देने की रणनीति समझी जा रही है। वहीं, भूमि राजस्व और खनन क्षेत्र में कड़े फैसलों और सख्त नीति की संभावनाओं को भी इससे जोड़ा जा रहा है।
सम्राट चौधरी को मिल गई महत्वपूर्ण भूमिका
सम्राट चौधरी बिहार में एनडीए का एक महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरे हैं। हाल ही में उनकी सक्रिय भूमिका ने उन्हें संगठन और सत्ता दोनों में जानदार स्थान दिया है। गृह विभाग का प्रभार मिलने के बाद उनसे अपेक्षा है कि राज्य की कानून व्यवस्था मजबूत होगी और पुलिस प्रशासन अधिक उत्तरदायी बनेगा। गृह विभाग के अंतर्गत राज्य पुलिस बल, कारागार, आपदा प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियाँ और कानून व्यवस्था की सीधी चुनौती उनके सामने होगी।
सम्राट चौधरी के नेतृत्व में यह उम्मीद की जा रही है कि बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। खास तौर पर अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई, साइबर अपराध नियंत्रण, नशा उन्मूलन के मामले और संगठित अपराध से निपटने को प्राथमिकता मिलने की संभावनाएं हैं। बिहार में पिछले कुछ वर्षों से अपराध के आंकड़े राजनीतिक बहस का केंद्र बने हुए हैं। ऐसे में गृह विभाग का बड़ा पद उनके लिए एक परीक्षा और मौका दोनों साबित होगा।
विजय सिन्हा के लिए बड़ी जिम्मेदारी
दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को भूमि राजस्व और खनन जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिली है। बिहार में भूमि विवाद एक बड़ी समस्या है। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा, भूमि विवाद में बढ़ती हिंसा और राजस्व से जुड़े मामलों में देरी जैसी चुनौतियाँ इस मंत्रालय के सामने रहती हैं। इसके अलावा बिहार के खनन क्षेत्र में अवैध खनन, रेत का कारोबार और खनन माफिया से जुड़े आरोप कई वर्षों से बिहार की राजनीतिक और प्रशासनिक सुर्खियों में रहे हैं।
विजय सिन्हा को यह विभाग मिलने से संकेत मिलता है कि राज्य सरकार खनन में पारदर्शिता और भूमि प्रबंधन में सुधार को प्राथमिकता देने वाली है। माना जा रहा है कि नए सख्त फैसले और नीतिगत बदलाव इस विभाग में देखने को मिल सकते हैं।
विभागों के बंटवारे का राजनीतिक संदेश
इस बंटवारे में राजनीतिक संदेश भी छिपा हुआ है। एनडीए के भीतर संतुलन बनाने के साथ ज़िम्मेदारी का दायरा इस तरह तय किया गया है कि सत्ता की मज़बूती और प्रशासनिक प्रभाव दोनों एक साथ कायम रहें। नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने अनुभवी राजनीति कौशल के साथ ऐसा बंटवारा किया है जिसमें संगठन के प्रभावशाली नेताओं को अहम पद दिए गए हैं। इससे एनडीए सरकार आने वाले समय में मजबूत होती दिखाई दे रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव और राज्य में मजबूत संगठनात्मक ढांचे की तैयारी के उद्देश्य से भी ऐसे मंत्री पद दिए गए हैं जो राजनीतिक रूप से प्रभावशाली और प्रशासनिक रूप से निर्णायक भूमिका निभा सकें।
बिहार के प्रशासनिक ढांचे में नई प्राथमिकताएँ
नीतीश कुमार की नई कैबिनेट के गठन के साथ ही प्रशासनिक ढांचा भी नए सिरे से तय किया जा रहा है। विभागों के बंटवारे में इस बार ऐसे नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी गई हैं, जो केवल राजनीतिक प्रभाव नहीं बल्कि प्रशासनिक सख्ती के लिए भी जाने जाते हैं। गृह और भूमि राजस्व जैसे विभागों का नेतृत्व वरिष्ठ उपमुख्यमंत्रियों को सौंपा जाना इस बात का संकेत है कि सरकार सुरक्षा, खनन, भूमि विवादों और अवैध कब्जों जैसे मुद्दों पर अधिक निर्णायक कार्यवाही करना चाहती है। यह बदलाव आने वाले महीनों में सरकार की कार्यशैली को स्पष्ट करेगा।
अपराध और खनन माफिया पर सख्ती की तैयारी
बिहार में लंबे समय से अपराध और खनन माफियाओं की गतिविधियाँ राजनीतिक और प्रशासनिक विवाद का विषय रही हैं। विशेष रूप से अवैध खनन, नदियों में रेत उठाने का अवैध कारोबार और भूमि कब्जा जैसे मुद्दे न केवल राजस्व हानि का कारण बने बल्कि सुरक्षा चुनौतियों को भी बढ़ाते रहे हैं। विभागों की नई जिम्मेदारी मिलने से यह उम्मीद बढ़ी है कि अब खनन और राजस्व से जुड़े अपराधों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई देखने को मिलेगी। सरकार का यह कदम राज्य के आर्थिक संसाधनों को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।