डिजिटल डेस्क, पटना | अपडेटेड: 30 सितम्बर 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में वापसी कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। मंगलवार को उन्होंने फेसबुक पर पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ अपनी तस्वीरें साझा करते हुए एक पोस्ट किया, जिसने देखते ही देखते सोशल मीडिया पर बवंडर खड़ा कर दिया।
फेसबुक पोस्ट से गरमाई राजनीति
पवन सिंह ने फेसबुक पर गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा संग तस्वीरें साझा करते हुए लिखा –
“जातिवादी राजनीति के पोषकों के दिल पे आज ई फोटो देख के सांप लोट रहा होगा। लेकिन जिनके दिल में विकसित बिहार का सपना बसता है, वो कब तक एक-दूसरे से दूर रह सकते हैं।”
आगे उन्होंने लिखा –
“आज माननीय अमित शाह जी, जेपी नड्डा जी और उपेंद्र कुशवाहा जी से मुलाकात हुई। उन्होंने दिल से आशीर्वाद दिया। मोदी जी और नीतीश जी के सपनों का बिहार बनाने में आपका बेटा पवन पूरा पावर लगाएगा।”
यह पोस्ट कुछ ही मिनटों में वायरल हो गई और यूजर्स ने जमकर कमेंट्स करने शुरू कर दिए।

यूजर्स बोले – “पावर खत्म ना होई”
पवन सिंह की पोस्ट पर फैन्स और समर्थकों ने ढेरों प्रतिक्रियाएँ दीं। एक यूजर ने लिखा – “पावर खत्म ना होई…” जबकि दूसरे ने कमेंट किया – “जियो बिहार के शान।”
किसी ने लिखा – “तोहार दिल बहुत बड़ा बा…” तो वहीं कई लोगों ने उन्हें “पावर स्टार” कहकर संबोधित किया। एक अन्य यूजर ने मज़ाकिया लहजे में लिखा – “अबकी बार पावर बिहार, पावर स्टार।”
चुनावी समीकरण में बड़ा बदलाव
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पवन सिंह की बीजेपी में वापसी महज औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसके कई गहरे मायने हैं।
याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था। लेकिन पवन सिंह काराकाट सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। पार्टी से असहमति के चलते उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा, परंतु हार का सामना करना पड़ा।
इस फैसले का खामियाज़ा NDA को भी भुगतना पड़ा था और खुद उपेंद्र कुशवाहा भी चुनाव हार गए थे। ऐसे में अब भाजपा और पवन सिंह के बीच सुलह को बड़े राजनीतिक समीकरण का हिस्सा माना जा रहा है।

आरा से लड़ सकते हैं चुनाव
सूत्रों की मानें तो पवन सिंह को आरा विधानसभा सीट से NDA उम्मीदवार के रूप में उतारा जा सकता है। भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े ने भी कहा –
“पवन सिंह भाजपा में थे और भाजपा में ही रहेंगे।”
अगर ऐसा होता है तो शाहाबाद क्षेत्र (भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर) की 22 विधानसभा सीटों पर भाजपा को फायदा मिल सकता है।
सियासी संदेश और जनता की नब्ज
भोजपुरी फिल्मों और गीतों में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले पवन सिंह का असर सिर्फ मनोरंजन जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि उनका जनाधार ग्रामीण और युवा वोटरों में गहराई तक फैला हुआ है। यही कारण है कि भाजपा उनकी लोकप्रियता को चुनावी लाभ में बदलने की कोशिश कर रही है।
राजनीति में वापसी का उनका अंदाज़ भी बिल्कुल फिल्मी रहा – पहले विरोधियों पर कटाक्ष, फिर शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात की तस्वीरें और अंत में “पावर स्टार” का आशीर्वाद पाने वाला अंदाज़।
नतीजतन, बिहार की सियासत में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा पवन सिंह की ही हो रही है।