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राबड़ी आवास विवाद: नीतीश सरकार का सख्त रुख, गृह मंत्री बोले- सरकारी घर किसी की बपौती नहीं

Rabri Devi Residence: बिहार सरकार का सख्त रुख, जानिए पूरा मामला
Rabri Devi Residence: बिहार सरकार का सख्त रुख, जानिए पूरा मामला (File Photo)
बिहार में राबड़ी देवी के सरकारी आवास विवाद पर नीतीश सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने आरजेडी द्वारा आवास खाली न करने की धमकी को अराजकता बताया और स्पष्ट किया कि सरकारी आवास किसी की बपौती नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला नहीं मिल सकता। राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के अनुसार 39 हार्डिंग रोड का बड़ा आवास आवंटित किया गया है। आरजेडी ने इसे भाजपा के दबाव में लिया गया फैसला बताते हुए अदालत जाने की बात कही है।
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बिहार की राजनीति में एक बार फिर राबड़ी देवी के सरकारी आवास को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नीतीश कुमार की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास खाली करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आवास खाली न करने की धमकी दी है। इसी बीच बिहार के गृह मंत्री और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आरजेडी को करारा जवाब देते हुए साफ कर दिया है कि सरकारी आवास किसी की निजी संपत्ति नहीं है।

सम्राट चौधरी का सख्त संदेश

बिहार के डिप्टी मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को एक टेलीविजन कार्यक्रम में राष्ट्रीय जनता दल के रुख पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी आवास की असली मालिक जनता होती है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह किसी की बपौती नहीं है जिसे मनमर्जी से रखा जा सके। गृह मंत्री ने कहा कि लालू प्रसाद यादव के परिवार से उनका कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं है, लेकिन नियम और कानून सबके लिए एक समान हैं।

सम्राट चौधरी ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला नहीं मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद के अनुसार जो आवास निर्धारित किया गया है, वह उन्हें आवंटित कर दिया गया है। इसलिए पुराने आवास को खाली करना जरूरी है।

आवास बदलना सामान्य प्रक्रिया

गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बिहार में पदों के अनुसार सरकारी आवास बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 28 वर्षों में उन्हें भी छह बार अपना सरकारी आवास बदलना पड़ा है। यह एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है और इसमें किसी को भी अपवाद नहीं दिया जा सकता।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि खुद तेजस्वी यादव ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास देने के मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट निर्णय दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का अधिकार नहीं है। ऐसे में जब अदालत ने तय कर दिया है तो किसी को यह अधिकार कैसे मिल सकता है।

आरजेडी की धमकी को अराजकता बताया

राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने हाल ही में कहा था कि जो करना है करें, लेकिन राबड़ी देवी का डेरा खाली नहीं किया जाएगा। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सम्राट चौधरी ने इसे अराजकता का बोल करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेडी के लोग अराजकता और गुंडागर्दी की भाषा बोलते हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि कोई यह कैसे कह सकता है कि सरकारी आवास नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिहार में कानून व्यवस्था का राज है और नियमों का पालन सभी को करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने ही राबड़ी देवी को आवास दिया था और अब उन्हें एक दूसरा आवास आवंटित कर दिया गया है।

बड़ा घर देने की बात

सम्राट चौधरी ने यह भी बताया कि सरकार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष को पूरा सम्मान देना चाहती है। उन्होंने कहा कि राबड़ी देवी को जो नया आवास दिया जा रहा है, वह पहले वाले से बड़ा है। यह सरकार की तरफ से विपक्ष के नेता को सम्मान देने का प्रयास है।

विवाद की पृष्ठभूमि

पिछले दिनों नीतीश सरकार के भवन निर्माण विभाग ने पटना के 39 हार्डिंग रोड स्थित आवास को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए निर्धारित कर दिया। इस फैसले के बाद लालू परिवार को 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास खाली करना होगा। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पिछले लगभग 20 वर्षों से इस आवास में रह रहे हैं।

यह आवास लालू परिवार के लिए भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। यहीं से लालू प्रसाद यादव ने अपनी राजनीति को नई ऊंचाइयां दी थीं। परिवार के सभी राजनीतिक फैसले इसी आवास से लिए जाते रहे हैं। इसलिए इस आवास को छोड़ना लालू परिवार के लिए आसान नहीं है।

आरजेडी का आरोप

राष्ट्रीय जनता दल ने राज्य में नई सरकार के गठन के बाद हुए इस फैसले को भाजपा के दबाव में लिया गया निर्णय बताया है। पार्टी का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में काम कर रहे हैं और यह फैसला राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।

आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने संकेत दिए हैं कि पार्टी इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार जो चाहे करे, लेकिन राबड़ी आवास को किसी भी हालत में खाली नहीं किया जाएगा।

राजनीतिक गणित

यह विवाद बिहार की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच लंबे समय से राजनीतिक गठबंधन और अलगाव का सिलसिला चलता रहा है। फिलहाल नीतीश कुमार भाजपा के साथ हैं और आरजेडी विपक्ष में है।

इस मामले में सरकार की सख्ती से यह संदेश जा रहा है कि नीतीश सरकार किसी के साथ रियायत नहीं बरतेगी। वहीं आरजेडी की तरफ से कड़ा रुख अपनाकर यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि पार्टी सरकार के दबाव में नहीं आएगी।

आगे क्या होगा

अब देखना यह है कि क्या लालू परिवार सरकार के आदेश का पालन करता है या फिर अदालत का रास्ता अपनाता है। सम्राट चौधरी के सख्त बयान के बाद यह साफ हो गया है कि सरकार अपने फैसले पर अडिग है। वहीं आरजेडी भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही है।

यह विवाद आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। सरकारी आवास के इस मुद्दे पर जनता की राय भी अहम होगी। क्या जनता इसे सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला मानेगी या फिर इसमें राजनीतिक रंग देखेगी, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

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