महागठबंधन के भीतर चल रहे सीट बंटवारे के संकट के बीच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने 143 उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी कर दी। पार्टी ने इस बार 36 मौजूदा विधायकों का टिकट काटते हुए नए और पुराने चेहरों का संतुलन बनाने की कोशिश की है। आरजेडी ने अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (एम-वाई) वोट बैंक को केंद्र में रखते हुए उम्मीदवार चयन किया है।
महागठबंधन में मतभेद बरकरार
हालांकि महागठबंधन के घटक दलों के बीच अब तक औपचारिक सीट बंटवारे का समझौता नहीं हो पाया है, फिर भी आरजेडी ने चुनावी प्रक्रिया में तेजी दिखाते हुए अपनी सूची जारी कर दी। पार्टी का यह कदम तब आया जब दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया का अंतिम दिन था। पहले चरण के उम्मीदवारों ने पिछले सप्ताह ही नामांकन दाखिल कर दिए थे, भले ही उस समय पार्टी ने औपचारिक रूप से सूची सार्वजनिक नहीं की थी।
तेजस्वी यादव फिर राघोपुर से मैदान में
आरजेडी नेता और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर अपने पारंपरिक गढ़ राघोपुर से चुनावी मैदान में उतरेंगे। उनके साथ पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी पुनः मौका दिया गया है। इनमें पूर्व मंत्री आलोक मेहता, चंद्रशेखर, युसूफ सलाउद्दीन और चंद्रहास चौपाल जैसे नाम शामिल हैं।
36 विधायकों की छुट्टी, युवाओं को मौका
इस बार आरजेडी ने 36 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है। पार्टी ने कई युवा चेहरों को मौका दिया है, जिनमें युवराजेश यादव—जो आरजेडी युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं—को दिनारा से उम्मीदवार बनाया गया है। इस फैसले से स्पष्ट संकेत है कि पार्टी नई पीढ़ी को राजनीति में आगे लाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
‘एम-वाई’ समीकरण पर सटीक दांव
आरजेडी ने अपनी परंपरागत मुस्लिम-यादव (M-Y) रणनीति को इस बार भी केंद्र में रखा है। सूची में लगभग 35 उम्मीदवार यादव समुदाय से हैं जबकि 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इसके अलावा पार्टी ने सामाजिक संतुलन साधते हुए 20 अनुसूचित जाति (SC), 1 अनुसूचित जनजाति (ST) और 24 महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आरजेडी का ‘सोच-समझकर खेला गया दांव’ है, जिसका उद्देश्य अपने मूल वोट बैंक को फिर से सक्रिय करना है।
कांग्रेस से ‘फ्रेंडली फाइट’ के संकेत
सूत्रों के अनुसार, आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर मतभेद पूरी तरह सुलझ नहीं पाए हैं। ऐसे में छह सीटों पर दोनों दलों के बीच ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति बनी हुई है। आरजेडी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर कांग्रेस पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की है।
लालू यादव की छाया में तेजस्वी की रणनीति
तेजस्वी यादव ने टिकट वितरण में अपने पिता लालू प्रसाद यादव की पारंपरिक शैली को आधुनिक राजनीतिक समीकरणों के साथ जोड़ा है। उनका फोकस युवाओं, महिलाओं और पिछड़े तबकों पर है। आरजेडी का यह संतुलन पार्टी की छवि को “नए युग की राजनीति” की दिशा में ले जाने का प्रयास माना जा रहा है।
वोट बैंक की मजबूती की ओर कदम
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, आरजेडी की यह सूची बताती है कि पार्टी का प्राथमिक उद्देश्य एम-वाई वोट बैंक को फिर से मजबूत करना है। पिछले चुनाव में एनडीए के सामने आरजेडी को कई सीटों पर कड़ी चुनौती मिली थी। इस बार पार्टी अपनी पारंपरिक ताकत के साथ साथ युवाओं और महिलाओं के वोट को भी साधने की कोशिश कर रही है।
आगामी चुनाव में संभावनाओं की गणना
आरजेडी की रणनीति जहां जातीय और सामाजिक समीकरणों पर केंद्रित है, वहीं महागठबंधन के अन्य घटक—विशेषकर कांग्रेस और वाम दल—अभी भी अपने प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सीट बंटवारे के मसले पर महागठबंधन में एकजुटता कितनी बन पाती है।
तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी जिस आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है, वह पार्टी के भीतर एक नए उत्साह का संकेत देता है। हालांकि अंतिम परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या ‘एम-वाई समीकरण’ बिहार की बदलती राजनीति में अब भी उतना ही असरदार साबित हो पाता है जितना कभी हुआ करता था।
Disclaimer:
यह समाचार विभिन्न विश्वसनीय मीडिया रिपोर्टों, पार्टी बयानों और आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित है। आरजेडी या महागठबंधन से संबंधित राजनीतिक रुझान परिस्थितियों और आगामी निर्णयों के अनुसार बदल सकते हैं।