पटना: बिहार में चुनावी माहौल के बीच विजय दशमी पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) द्वारा जारी किया गया विवादित AI वीडियो एक बार फिर राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। इस वीडियो में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को रावण के रूप में दर्शाया गया है, जिसके दस सिर हैं और उसे प्रतीकात्मक रूप से बिहार की जनता द्वारा नियंत्रित और जलाया जा रहा है।
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विजय दशमी के अवसर पर JDU ने विवादित AI वीडियो जारी किया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को रावण के रूप में दिखाया गया। वीडियो में जनता द्वारा “अग्नि” की भूमिका निभाई गई और इसे सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ मिलीं। pic.twitter.com/2VBh8BdKEP— Rashtra Bharat (@RBharatdigital) October 2, 2025
वीडियो में विशेष रूप से यह दिखाया गया है कि लालू यादव के गले में लालटेन बंधी हुई है और जनता की सक्रियता के कारण “रावण” को काबू में रखा गया है। डिजिटल रूप से तैयार यह वीडियो विजय दशमी के अवसर का राजनीतिक संदेश भी देता प्रतीत होता है, जो JDU की चुनावी रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव के नज़दीक आते ही बिहार में इस तरह के AI वीडियो और डिजिटल सामग्री तेजी से फैल रही है। ये वीडियो न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि आम जनता और मतदाताओं तक राजनीतिक संदेश पहुँचाने का प्रभावी माध्यम भी बन चुके हैं। सोशल मीडिया पर इन वीडियो का व्यापक प्रसार यह दर्शाता है कि डिजिटल तकनीक अब चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बन चुकी है।
हालांकि, इस वीडियो के जारी होने के बाद राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएँ मिश्रित रही हैं। कुछ इसे मनोरंजक और प्रतीकात्मक मानकर हल्के में ले रहे हैं, जबकि कुछ इसे संवेदनशील और विवादास्पद बता रहे हैं। विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक स्तर पर भड़काऊ और अनुचित करार दिया है, वहीं JDU का कहना है कि यह केवल विजय दशमी के प्रतीकात्मक अवसर के लिए तैयार किया गया डिजिटल कंटेंट है और किसी भी प्रकार की वास्तविक अभद्रता का इरादा नहीं था।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल AI और डिजिटल मीडिया का उपयोग और बढ़ाने वाले हैं। पिछले वर्षों में सोशल मीडिया, वीडियो और डिजिटल विज्ञापन ने चुनावी रणनीति को पूरी तरह बदल दिया है। बिहार में AI तकनीक का इस्तेमाल पहली बार नहीं हो रहा है, लेकिन इस वीडियो ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी माहौल में डिजिटल रचनाएँ अब मतदाताओं को प्रभावित करने और संदेश देने के लिए अहम हथियार बन चुकी हैं।
इस विवादित AI वीडियो के माध्यम से यह भी देखा जा सकता है कि डिजिटल युग में चुनावी संदेश अब सिर्फ परंपरागत रैली और पोस्टर तक सीमित नहीं रह गए हैं। वीडियो की भाषा, प्रतीक और संदर्भ सीधे जनता के मनोविज्ञान और भावनाओं पर असर डालते हैं। यही कारण है कि राजनीतिक दल चुनावी माहौल में डिजिटल कंटेंट को लेकर अधिक सतर्क और रणनीतिक हो रहे हैं।
सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो ऐसे AI वीडियो जनता में राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने और नेताओं के आदर्श या आलोचना को सशक्त तरीके से प्रस्तुत करने का माध्यम भी बन सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर नैतिक और संवेदनशील मुद्दे भी उठ रहे हैं, जैसे किसी व्यक्ति की छवि का डिजिटल रूप से प्रदूषण, गलत संदेश या भावनाओं को भड़काने का खतरा।
बिहार विधानसभा चुनाव की निकटता को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में और अधिक AI और डिजिटल कंटेंट सार्वजनिक होने की संभावना है। राजनीतिक दलों के लिए चुनौती यह होगी कि कैसे डिजिटल माध्यम का उपयोग करें ताकि संदेश प्रभावी हो, लेकिन संवेदनशीलता और नैतिकता का पालन भी हो।
इस प्रकार, JDU का यह विवादित AI वीडियो केवल विजय दशमी के अवसर तक सीमित नहीं रहेगा। यह बिहार के चुनावी माहौल में डिजिटल माध्यम की शक्ति और राजनीति में AI की भूमिका को उजागर करता है। भविष्य में ऐसे डिजिटल कंटेंट का प्रभाव चुनावी रणनीति और मतदाताओं के निर्णय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।