अमौर विधानसभा का टिकट ड्रामा
पूर्णिया जिले के अमौर विधानसभा क्षेत्र में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के टिकट को लेकर इस बार हाई-वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। पहले एनडीए ने पूर्व विधायक सबा जफर को प्रत्याशी घोषित किया। इसके बाद पार्टी ने पूर्व राज्यसभा सदस्य साबिर अली को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
शनिवार को तेज हुई इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। रविवार को बिहार सरकार की मंत्री लेशी सिंह की पहल और प्रदेश महासचिव चंदन सिंह की उपस्थिति में पार्टी ने स्थिति को स्पष्ट किया। अंततः सबा जफर को ही अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया, जबकि साबिर अली ने पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्थन देने का भरोसा जताया।
पार्टी नेतृत्व और मंत्री की भूमिका
पार्टी की ओर से स्पष्ट किया गया कि कुछ गलतफहमी के कारण प्रारंभ में सबा जफर का सिंबल रद्द किया गया और साबिर अली को मैदान में उतारा गया। मंत्री लेशी सिंह ने सबा जफर और साबिर अली दोनों से बात कर स्थिति को संतुलित किया।
सबा जफर ने कहा कि अब पार्टी के स्तर से सभी संशय दूर हो चुके हैं और वे पूर्ण रूप से पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे। साबिर अली ने भी अपनी निष्ठा जाहिर की और सबा जफर का समर्थन करने का निर्णय लिया।
साबिर अली का राजनीतिक रुख
साबिर अली ने कहा कि वे हमेशा जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति निष्ठावान रहे हैं। कुछ व्यक्तिगत कारणों से वे कुछ समय अलग रहे, लेकिन अब फिर पार्टी के लिए कार्य करने के लिए तैयार हैं। उन्हें सीमांचल इलाके में पार्टी के लिए काम करने का निर्देश था, और अब उन्होंने सबा जफर के समर्थन में मैदान संभालने की जिम्मेदारी स्वीकार की।
सबा जफर का राजनीतिक महत्व
सबा जफर पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मु. तस्लीमउद्दीन के रिश्तेदार हैं और सीमांचल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्होंने वर्ष 2020 के चुनाव में अमौर से जदयू का प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन जीत नहीं सके थे। पार्टी ने इस बार उन्हें फिर प्रत्याशी घोषित कर उनकी राजनीतिक पहचान को मजबूत करने का निर्णय लिया।
सबा जफर ने कहा कि उनका उद्देश्य पार्टी की नीतियों को मजबूती देना और क्षेत्र के विकास में योगदान करना है। अब वे सबिर अली के सहयोग से अपने चुनावी अभियान को सशक्त बनाएंगे।
किशनगंज का चुनावी इतिहास और हाई-वोल्टेज ड्रामा
अमौर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास किशनगंज जिले से जुड़ा है। वर्ष 2014 में जदयू ने अकबरुल इमान को उम्मीदवार बनाया था, जो बाद में चुनाव हार गए थे। इसी कारण पार्टी इस बार सावधानी बरत रही थी।
सबा जफर के कांग्रेस से संपर्क में रहने की सूचना के चलते पार्टी ने शुरू में उनका सिंबल रद्द किया, लेकिन बाद में सबा जफर की स्थिति स्पष्ट होने पर और मंत्री लेशी सिंह की पहल से उन्हें प्रत्याशी घोषित किया गया।
राजनीतिक निष्कर्ष
अमौर विधानसभा क्षेत्र में जदयू के टिकट को लेकर यह हाई-वोल्टेज ड्रामा यह स्पष्ट करता है कि राजनीति में हलचल और रणनीति का बड़ा प्रभाव होता है। पार्टी ने सही संतुलन और नेतृत्व की पहल से स्थिति को नियंत्रित किया और चुनावी दिशा स्पष्ट की।
सबा जफर और साबिर अली के बीच समझौता और समर्थन से पार्टी ने क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की। यह मामला अन्य राजनीतिक दलों और जनता के लिए यह संदेश देता है कि जदयू संगठित और सामंजस्यपूर्ण राजनीति करने में सक्षम है।