चुनावी मौसम में दुर्गा पूजा का नया रूप
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र, पूर्णिया जिले में दुर्गा पूजा पंडालों ने एक नया राजनीतिक मोड़ लिया है। जहां एक ओर श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में व्यस्त हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के नेता और उम्मीदवार इन पंडालों को अपनी चुनावी गतिविधियों का केंद्र बना रहे हैं। पंडालों में बैनर-पोस्टर और नेताओं की उपस्थिति ने इसे एक नए राजनीतिक मंच में बदल दिया है।
पंडालों में नेताओं की सक्रियता
स्थानीय पूजा समितियों के सदस्य बताते हैं कि विभिन्न दलों के नेता पंडालों में बैनर लगाने, सहयोग देने और पूजा समितियों के साथ बैठकें करने के लिए सक्रिय हो गए हैं। यहां तक कि कुछ नेता पूजा समितियों के कार्यक्रमों में भी भाग ले रहे हैं, जिससे चुनावी प्रचार का यह नया तरीका सामने आया है।
गांवों में चुनावी रैलियों की धूम
गांवों की गलियों में प्रत्याशियों की चमचमाती गाड़ियां धूल उड़ाती निकल रही हैं, वहीं आसमान में नेताओं के हेलीकाप्टर गड़गड़ाने लगे हैं। सभा की तारीखें तय हो रही हैं, और भीड़ जुटाने के लिए ठेकेदार किस्म के लोग सक्रिय हो गए हैं। यह चुनावी बाजार का नया ठेका तंत्र है, जहां हर सभा लक्ष्मी की बरसात करती है।
पंडालों में राजनीतिक संदेश
कुछ पंडालों में राजनीतिक संदेश भी दिए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक पंडाल में नेताओं के पोस्टर लगाए गए हैं, जबकि दूसरे पंडाल में “वोट डालें, लोकतंत्र बचाएं” जैसे स्लोगन लिखे गए हैं। यह दर्शाता है कि दुर्गा पूजा अब सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि राजनीतिक संवाद का माध्यम भी बन गई है।
चुनावी माहौल में दुर्गा पूजा की भूमिका
पूर्णिया जिले में दुर्गा पूजा की परंपरा बहुत पुरानी है, और इस बार यह उत्सव राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। पंडालों में नेताओं की उपस्थिति और उनके द्वारा किए गए वादे यह संकेत देते हैं कि आगामी चुनाव में धार्मिक और राजनीतिक दोनों ही पहलुओं का मिश्रण देखने को मिलेगा।