पूर्णिया में प्रशांत किशोर का सियासी संदेश: ‘जात-पात से ऊपर उठकर बच्चों के भविष्य के लिए वोट करें’
पूर्णिया। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार की राजनीति में फिर हलचल मचा दी है। आगामी विधानसभा चुनाव के प्रचार के तहत उन्होंने पूर्णिया, बायसी और अमौर में विशाल रोड शो और नुक्कड़ सभाएँ कीं।
इस दौरान उन्होंने भाजपा और राजद दोनों दलों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि बिहार की जनता अब परिवर्तन के मूड में है और उसे जात-पात की राजनीति नहीं, अपने बच्चों का भविष्य चाहिए।
भाजपा पर तीखा हमला: ‘डर और दमन से सरकार नहीं चलती’
प्रशांत किशोर ने भाजपा सरकार पर सीधा वार करते हुए कहा कि “सरकार चाहे जितनी एसआईआर या एफआईआर करवा ले, जब जनता उसके खिलाफ हो जाती है, तो कोई ताकत उसे नहीं बचा सकती।”
उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार ने अनेक एसआईआर दर्ज कराईं, पर जनता के मन का निर्णय किसी कागज या धमकी से नहीं बदलता।
पीके ने चुनौती भरे स्वर में कहा —
“भाजपा जितनी जुगत लगा ले, इस बार उसकी दाल नहीं गलने वाली। 12 राज्यों में केस दर्ज करने के बावजूद लोगों का मूड नहीं बदला। अगर भाजपा सोचती है कि डर और दमन से जनता को अपने पक्ष में रख लेगी, तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है।”
उन्होंने बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि “भाजपा ने वहां भी पूरी ताकत झोंकी, पर जनता ने नकार दिया। बिहार में भी वही दोहराया जाएगा।”
राजद पर निशाना: ‘30 सालों से मुसलमानों को सिर्फ डर दिखाया गया’
प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“राजद ने 30 सालों से मुसलमानों को केवल भाजपा का डर दिखाकर वोट लिया है। लालटेन का केरोसीन मुसलमान जला रहे हैं और रोशन लालूजी का घर हो रहा है।”
पीके ने आगे कहा कि जन सुराज की सोच साफ है —
“भाजपा से नहीं, अल्लाह से डरिए और अपने हक की बात कीजिए।”
अब जात-पात और धर्म नहीं, बच्चों का भविष्य हो मुद्दा
अपने संबोधन में प्रशांत किशोर ने जनता से भावुक अपील की —
“तीन साल से समझा रहा हूँ, अगर बदलाव चाहिए तो बदलाव का बटन दबाइए। वरना अगले पाँच साल तक गरीबी और बदहाली बनी रहेगी।”
उन्होंने कहा कि छठ पर्व पर लाखों बिहारी प्रवासी मजदूरों की स्थिति देखकर मन व्यथित होता है।
“80 लाख से अधिक लोग ट्रेन और बसों में धक्के खाकर घर लौटते हैं, और फिर उसी व्यवस्था को वोट देते हैं जिसने उन्हें पलायन के लिए मजबूर किया। जो बोएंगे वही काटेंगे,” पीके ने कहा।
अब बिहार को नई सोच की ज़रूरत
पीके ने कहा कि अब बिहार के लोगों को तय करना है कि वे जात-पात और धर्म की राजनीति में उलझे रहेंगे या अपने बच्चों की पढ़ाई, रोज़गार और विकास के लिए वोट देंगे।
उन्होंने जनता से कहा —
“बस एक बार अपने बच्चों के लिए वोट करें। अगर अब भी नहीं बदले, तो अगले पाँच साल भी आंसू बहाने पड़ेंगे।”
जनता का अपार उत्साह, रोड शो में उमड़ा सैलाब
पूर्णिया, बायसी और अमौर में पीके के रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी। जगह-जगह लोगों ने ढोल-नगाड़ों, फूल-मालाओं और नारेबाज़ी के साथ उनका स्वागत किया।
लोगों ने “जन सुराज ज़िंदाबाद” और “बदलाव का बटन दबाओ” जैसे नारे लगाए।
इस जनसंपर्क अभियान ने स्पष्ट कर दिया कि प्रशांत किशोर अब केवल रणनीतिकार नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक सशक्त विकल्प बन चुके हैं।
बदलाव की आहट
पूर्णिया से शुरू हुई यह सियासी यात्रा अब बिहार के अन्य जिलों में भी गूंजने लगी है।
प्रशांत किशोर का संदेश साफ है
“अगर अब भी बिहार नहीं बदला, तो आने वाली पीढ़ियाँ भी उसी बदहाली में जिएंगी।”
उनका यह वक्तव्य न केवल एक राजनीतिक चुनौती, बल्कि जन-जागरण का आह्वान भी बन गया है।