🔔 नोटिस : इंटर्नशिप का सुनहरा अवसर. पत्रकार बनना चाहते हैं, तो राष्ट्रभारत से जुड़ें. — अपना रिज़्यूमे हमें digital@rashtrabharat.com पर भेजें।

Bihar Chunav: चुनावी प्रचार में सोशल मीडिया का प्रभुत्व, रील और लोकगीत से मतदाताओं को रिझाने की होड़

Election Campaign Social Media Reels Lokgeet
Election Campaign Social Media Reels Lokgeet - चुनावी प्रचार में सोशल मीडिया और लोकगीत का प्रभाव
अक्टूबर 25, 2025

चुनाव प्रचार का नया रूप

पूर्णिया। समय के साथ चुनाव प्रचार का स्वरूप पूरी तरह बदल रहा है। अब प्रत्याशी केवल जनसंपर्क और रोड शो तक सीमित नहीं रह गए हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रचार की नई शैली ने इस क्षेत्र में आम जनमानस तक पहुंचने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। खासकर युवा मतदाता और महिला वर्ग को आकर्षित करने के लिए चुनावी अभियान में रील (Reel) और लोकगीत का व्यापक उपयोग हो रहा है।

सोशल मीडिया रील का बढ़ता प्रभाव

वर्तमान चुनावी माहौल में रील का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। प्रतिद्वंदी दलों के प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार की रचनात्मकता को दिखाने के लिए रील के माध्यम से भोजपुरी गानों, छठ गीतों और लोकगीतों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में चर्चित भोजपुरी गीत “जेका बाघ का करेजा देकर ऊपर वाला भेजा” का रील बनाकर प्रचार में इस्तेमाल किया जा रहा है।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यह रील मतदाताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने का माध्यम बन रहा है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में लोकगीत और छठ गीतों का प्रयोग अधिक प्रभावशाली साबित हो रहा है।

युवाओं और महिलाओं पर विशेष ध्यान

चुनावी रणनीतियों में युवाओं और महिलाओं पर विशेष फोकस देखा जा रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रील, वीडियो और लाइव सत्र के माध्यम से मतदाताओं को सीधे प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इस प्रक्रिया में प्रत्याशी और उनके कार्यकर्ता सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से संदेश भेज रहे हैं, ताकि मतदाता उनके विचार और नीतियों से जुड़ सकें।

लोकगीत और छठ गीत का चुनावी उपयोग

पूर्णिया जिले में आस्था और परंपरा का महत्व देखते हुए, चुनावी प्रचार में छठ गीतों का विशेष महत्व है। प्रत्येक दल और प्रत्याशी इस अवसर का लाभ उठाकर स्थानीय लोकगीतों और भक्ति गीतों के माध्यम से मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। यह न केवल भावनात्मक जुड़ाव पैदा करता है, बल्कि ग्रामीण मतदाता वर्ग के बीच प्रत्याशी की लोकप्रियता भी बढ़ाता है।

जनसंपर्क और लाइव बैठकों का संयोजन

डिजिटल प्रचार के साथ-साथ प्रत्यक्ष जनसंपर्क भी जारी है। उम्मीदवार कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें आयोजित कर रहे हैं और उन्हें लाइव प्रसारित कर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। इससे मतदाताओं को यह भरोसा मिलता है कि उम्मीदवार उनके मुद्दों को गंभीरता से सुन रहे हैं और कार्यवाही कर रहे हैं।

चुनावी प्रचार का नया दौर

इस प्रकार, सोशल मीडिया, रील, लोकगीत और लाइव बैठकों का संयोजन चुनाव प्रचार के एक नए युग का संकेत दे रहा है। कैमरा, दृश्य फोकस और प्रचार के रंग को प्रभावी ढंग से दिखाने की यह होड़ मतदाताओं को कितना आकर्षित कर पाएगी, यह चुनाव परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि डिजिटल और पारंपरिक माध्यमों के इस संयुक्त प्रयास से प्रचार की शैली पहले से अधिक सजीव और आकर्षक बन गई है।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Breaking