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महागठबंधन में उठी अंतर्कलह की लहर: पप्पू यादव का टिकट बंटवारे पर प्रहार, कांग्रेस से आत्ममंथन की अपील

Pappu Yadav on Mahagathbandhan Ticket Distribution
Pappu Yadav on Mahagathbandhan Ticket Distribution – बिहार में टिकट बंटवारे पर उठे सवाल, कांग्रेस पर बरसे पप्पू यादव (file photo)
अक्टूबर 20, 2025

महागठबंधन की रणनीति पर पप्पू यादव का प्रहार

डिजिटल डेस्क, पटना।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी उबाल देखने को मिल रहा है। पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने महागठबंधन की रणनीति और टिकट बंटवारे को लेकर तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि गठबंधन की मौजूदा नीति कार्यकर्ताओं की भावना के विपरीत है और इससे केवल भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।

टिकट बंटवारे में दोहरापन और असमन्वय की बात

पप्पू यादव ने अपने बयान में स्पष्ट कहा कि राज्य की 12 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन ने दोहरे उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि संगठन के भीतर कोई ठोस रणनीतिक समन्वय नहीं है। उन्होंने कहा, “क्या कोई गठबंधन तब सफल हो सकता है जब उसके घटक एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारें? यह जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ है।”

उनके अनुसार, टिकट वितरण की प्रक्रिया में जिस प्रकार मनमानी और गुटबाजी की झलक दिखाई दे रही है, उससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं पर जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्हें एकजुटता लाने के बजाय व्यक्तिगत स्वार्थ साधते हुए देखा जा रहा है।

कांग्रेस पर सीधा निशाना

पप्पू यादव ने कांग्रेस को लेकर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अब गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है। उनके शब्दों में – “कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह जनता की भावनाओं के अनुरूप राजनीति करना चाहती है या केवल सत्ता की डोर थामे रहना उसका उद्देश्य है। जनता अब भ्रमित नहीं होगी, उसे जवाब चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने बिहार में गठबंधन की स्थिति को कमजोर किया है। जनता के मुद्दों पर ठोस योजना और नेतृत्व के अभाव में विपक्ष अपनी साख खो रहा है।

गठबंधन की एकजुटता पर उठे सवाल

पप्पू यादव का यह बयान उस समय आया है जब महागठबंधन के भीतर पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर मतभेद गहराए हुए हैं। कई सीटों पर क्षेत्रीय नेताओं की नाराजगी और स्थानीय समीकरणों को लेकर खींचतान जारी है। इस बीच पप्पू यादव का खुला विरोध महागठबंधन के लिए नई चुनौती साबित हो सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान सीमांचल क्षेत्र में बड़ा प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि पप्पू यादव वहां मजबूत जनाधार रखते हैं। उनके समर्थक उन्हें “जनता का सच्चा प्रतिनिधि” मानते हैं और यह संदेश अब पूरे राज्य में गूंजने लगा है कि वे सिद्धांतों की राजनीति के पक्षधर हैं।

जनता और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

पूर्णिया और आसपास के क्षेत्रों में पप्पू यादव के इस बयान पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कई कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने जो सवाल उठाए हैं, वे बिलकुल उचित हैं। गठबंधन की रणनीति अगर स्पष्ट नहीं हुई तो जमीनी स्तर पर नुकसान तय है।

एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा, “जनता को विश्वास में लिए बिना टिकट बाँटने का कोई अर्थ नहीं। नेता केवल कुर्सी की राजनीति कर रहे हैं।” वहीं कुछ कार्यकर्ताओं का मानना है कि ऐसे वक्त में पप्पू यादव का बयान महागठबंधन की छवि को और कमजोर कर सकता है।

राजनीतिक भविष्य पर असर

पप्पू यादव के इस रुख से आने वाले विधानसभा चुनावों में समीकरण बदल सकते हैं। यदि महागठबंधन अपने अंदरूनी मतभेदों को सुलझाने में विफल रहता है, तो विपक्ष की एकजुटता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान कांग्रेस और राजद दोनों के लिए चेतावनी की तरह है।

आगे की राह और संभावनाएँ

अब यह देखना होगा कि कांग्रेस और अन्य घटक दल इस टिप्पणी पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या वे आत्मचिंतन कर एकजुटता की दिशा में कदम बढ़ाएँगे या फिर आंतरिक मतभेद और गहराएँगे? बिहार की राजनीति के इस नए मोड़ पर पप्पू यादव का यह बयान भविष्य की सियासी दिशा तय कर सकता है।

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