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Bihar Elections: करगहर विधानसभा में बदला चुनावी गणित, रितेश पांडेय की सीट पर नई जातीय रणनीति से बढ़ी सियासी गर्मी

Bihar Elections 2025: Karaghar Assembly में रितेश पांडेय की सीट पर जातीय समीकरणों में बड़ा बदलाव
Bihar Elections 2025: Karaghar Assembly में रितेश पांडेय की सीट पर जातीय समीकरणों में बड़ा बदलाव (Photo: Prashant Kishore Bihar Chunav Campaign, PTI)
नवम्बर 1, 2025

करगहर विधानसभा का सियासी परिदृश्य

करगहर विधानसभा सीट, रोहतास जिले की सबसे चर्चित राजनीतिक भूमि में से एक मानी जाती है। यहां के जातीय समीकरण हर चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर की वजह से चर्चा में रही थी। अब 2025 के विधानसभा चुनाव में यहां का गणित पूरी तरह बदल चुका है।

2020 में हुआ था त्रिकोणीय मुकाबला

पिछले चुनाव में कांग्रेस के संतोष मिश्र ने एनडीए के वशिष्ठ सिंह (जदयू) को लगभग चार हजार मतों से हराया था। कांग्रेस को लगभग 60 हजार वोट, जबकि एनडीए को 56 हजार वोट मिले थे। बसपा उम्मीदवार उदय प्रताप सिंह (कुर्मी) तीसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें करीब 47 हजार वोट मिले। वहीं, लोजपा के राकेश कुमार सिंह उर्फ गबरू सिंह (राजपूत) को करीब 17 हजार वोट प्राप्त हुए थे।

कांग्रेस को ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम समुदायों का बड़ा समर्थन मिला, जबकि जदयू उम्मीदवार को कुर्मी, अतिपिछड़ा और वैश्य समुदायों का झुकाव प्राप्त हुआ। बसपा और लोजपा ने क्रमशः कुशवाहा, रविदास और राजपूत मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित किया था।

जातीय समीकरणों में बड़ा बदलाव

2025 के विधानसभा चुनाव में करगहर का जातीय संतुलन पूरी तरह बदल गया है। इस बार राजपूत उम्मीदवार की अनुपस्थिति ने समीकरण को नया मोड़ दे दिया है। साथ ही, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान की पार्टी के एनडीए में आने से राजपूत, कुशवाहा और पासवान समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं।

इन समुदायों का संयुक्त प्रभाव अब वोटों के बंटवारे को तय करेगा। जहां कांग्रेस एक बार फिर ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम वोटरों पर भरोसा कर रही है, वहीं एनडीए कुर्मी, कुशवाहा, पासवान और राजपूत वोट को एकजुट करने में जुटी है।

रितेश पांडेय की एंट्री ने बदला माहौल

इस बार मैदान में लोकप्रिय भोजपुरी गायक और जनसुराज उम्मीदवार रितेश पांडेय के उतरने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। उनका जनाधार युवा और ग्रामीण मतदाताओं में तेजी से बढ़ा है। रितेश पांडेय न केवल अपनी स्टार छवि के कारण चर्चा में हैं, बल्कि जातीय समीकरणों को भी प्रभावित कर रहे हैं।

स्थानीय स्तर पर उनका प्रभाव राजपूत, पासवान और कुशवाहा वोटरों के बीच देखा जा रहा है, जिससे पारंपरिक वोट बैंक का बिखराव संभव है।

कौन है बढ़त में?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि करगहर में अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। एनडीए, महागठबंधन और जनसुराज — तीनों गठबंधन अपनी-अपनी रणनीति से मैदान में डटे हुए हैं।

  • एनडीए को संगठन और जातीय एकजुटता का फायदा मिल सकता है।

  • महागठबंधन पारंपरिक वोट बैंक पर भरोसा कर रहा है।

  • जबकि रितेश पांडेय नए मतदाताओं और युवाओं के समर्थन पर उम्मीद लगाए हुए हैं।

निर्णायक बनेंगे ये वोटर

विश्लेषकों का कहना है कि इस बार करगहर में राजपूत, कुशवाहा, पासवान और वैश्य वोट निर्णायक रहेंगे। इन समुदायों के मूड पर ही परिणाम निर्भर करेगा। ग्रामीण इलाकों में रितेश पांडेय की लोकप्रियता को देखते हुए कई बूथों पर अप्रत्याशित नतीजे भी देखने को मिल सकते हैं।


11 नवंबर को जब मतदान होगा, तब करगहर की जनता तय करेगी कि इस बदलते जातीय समीकरण में कौन जीत की बाजी मारता है। यह निश्चित है कि इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और अप्रत्याशित रहेगा। रितेश पांडेय की मौजूदगी ने पारंपरिक राजनीति की नींव को हिला दिया है, और परिणाम बिहार की सियासत के लिए एक नया संकेत साबित हो सकता है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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