रोसड़ा में गूंजा मजदूरों का गुस्सा: ‘पांच हजार से काम नहीं, 25 हजार से कम नहीं’
समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड कार्यालय परिसर में शनिवार को मजदूरों का गुस्सा साफ झलक रहा था।
बिहार राज्य भवन निर्माण मजदूर संघ (एटक) के बैनर तले आयोजित एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन में सैकड़ों मजदूरों ने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की और अपने हक की आवाज बुलंद की।
जुलूस में गूंजे मजदूरों के नारे
सुबह से ही मजदूरों का हुजूम महावीर चौक स्थित पार्टी कार्यालय पर जुटा। वहाँ से वे “मजदूर एकता ज़िंदाबाद” और “पांच हजार से काम नहीं, 25 हजार से कम नहीं” जैसे नारों के साथ जुलूस की शक्ल में प्रखंड सह अंचल कार्यालय तक पहुंचे।
कार्यालय परिसर पहुंचकर जुलूस एक सभा में तब्दील हो गया, जिसकी अध्यक्षता वार्ड पार्षद लक्ष्मण पासवान ने की।

नेताओं ने साधा निशाना: ‘सरकारें मजदूर विरोधी नीति पर चल रही हैं’
सभा को संबोधित करते हुए सीपीआई जिला मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ‘मुन्ना’ ने कहा,
“केंद्र और राज्य सरकारें मजदूर विरोधी नीतियां अपना रही हैं। मजदूरों के अधिकारों को कुचला जा रहा है और श्रम कानूनों को खत्म किया जा रहा है। अब समय है कि मजदूर एकजुट होकर संघर्ष तेज करें।”
बकाया भुगतान और नवीनीकरण की उठी मांग
एटक नेता रामविलास शर्मा ने कहा कि भवन निर्माण मजदूरों को पिछले पाँच वर्षों से ₹5500 की वार्षिक सहायता राशि नहीं दी गई, जबकि हाल ही में कुछ को मात्र ₹5000 भेजा गया, जो “एक बड़ा धोखा” है।
उन्होंने सभी पंजीकृत मजदूरों को पाँच वर्षों की बकाया राशि एकमुश्त भुगतान करने की मांग की।
सीपीआई अंचल सचिव अनिल कुमार महतो ने कहा कि नवीनीकरण पोर्टल बंद होने से हजारों मजदूरों का पंजीकरण अधर में लटका है।
उन्होंने सरकार से कैंप लगाकर नवीनीकरण प्रक्रिया शुरू करने और नए मजदूरों को पंजीकृत करने की मांग की।

श्रम विभाग में स्थायी व्यवस्था और पारदर्शिता की मांग
एटक नेता सुधीर कुमार देव ने कहा कि मजदूरों द्वारा दी गई योजनाओं के आवेदन अब तक लंबित हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द समाधान नहीं किया तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
उन्होंने श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी का स्थायी प्रकोष्ठ रोसड़ा अंचल कार्यालय में स्थापित करने और उनकी नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने की भी मांग की।
भूमिहीनों के लिए जमीन और सामाजिक सुरक्षा की मांग
मजदूर संघ के अंचल सचिव रामबाबू राउत और नीरज कुमार बबलू ने कहा कि सरकार को सभी भूमिहीन परिवारों को कम से कम पाँच डिसमिल जमीन आवंटित करनी चाहिए ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।
प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा गया मांगपत्र
अंत में मजदूर संघ का पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) से मिला और उन्हें विस्तृत मांगपत्र सौंपा।
इसमें मजदूरों की बकाया राशि, नवीनीकरण व्यवस्था, भूमि आवंटन, श्रम योजनाओं के पारदर्शी निष्पादन और ₹25,000 न्यूनतम मजदूरी तय करने जैसी प्रमुख मांगें शामिल थीं।

मुख्य मांगें एक नज़र में:
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न्यूनतम मजदूरी ₹25,000 प्रति माह तय की जाए।
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पाँच वर्षों की बकाया सहायता राशि का एकमुश्त भुगतान।
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नवीनीकरण पोर्टल तत्काल खोला जाए।
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श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी का स्थायी प्रकोष्ठ रोसड़ा में स्थापित किया जाए।
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भूमिहीन परिवारों को पाँच डिसमिल जमीन दी जाए।
सरकार को चेतावनी: “अगर मांगें नहीं मानीं तो आंदोलन तेज होगा”
मजदूर संघ ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं हुआ, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।
नेताओं ने कहा कि मजदूर अब और इंतजार नहीं करेंगे — “जो हक हमारा है, वह हमें लेकर रहना है।”