समस्तीपुर (बिहार):
बिहार में लागू शराबबंदी कानून को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं। इसी कड़ी में ताज़ा मामला Samastipur Drunk Youth Police Controversy के रूप में सामने आया है, जिसने पुलिस की निष्पक्षता और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
समस्तीपुर शराबी युवक विवाद
थाने में हंगामा, दो सिपाही घायल…
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे बड़े सवाल!#Samastipur #BiharPolice #LiquorBan pic.twitter.com/rxoosviUZi— Rashtra Bharat (@RBharatdigital) October 3, 2025
घटना का विवरण
समस्तीपुर जिले के घटहो थाना क्षेत्र में पुलिस ने रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मूसेपुर निवासी राहुल कुमार को हिरासत में लिया। पुलिस का कहना है कि वह शराब के नशे में था और थाने लाने पर उसने जमकर हंगामा किया। मेडिकल जांच के समय भी युवक ने तोड़फोड़ की, जिससे दो सिपाही घायल हो गए।
लेकिन आरोपी राहुल कुमार ने पूरी तरह अलग कहानी सामने रखी। उसका आरोप है कि पुलिस ने उसे बिना किसी ठोस वजह के रोका और गाड़ी से उतारकर मारपीट की। राहुल का दावा है कि पुलिस ने चार लोगों को पकड़ा था, लेकिन तीन को छोड़ दिया और केवल उसे थाने में रखा गया।

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शराबबंदी कानून पर बहस
बिहार में 2016 से लागू शराब प्रतिबंध कानून को लेकर लगातार बहस होती रही है। राहुल कुमार का आरोप है कि यह कानून गरीबों और आम लोगों पर ही लागू होता है, जबकि रसूखदार लोग आसानी से इससे बच निकलते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या शराबबंदी का सख्ती से पालन हो रहा है या यह केवल चुनिंदा लोगों पर ही लागू है।
पुलिस की कार्यप्रणाली कटघरे में
Samastipur Drunk Youth Police Controversy ने पुलिस के व्यवहार और कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं।
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यदि पुलिस का पक्ष सही है तो थाने के अंदर अनुशासन टूटना और दो सिपाहियों का घायल होना पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी दर्शाता है।
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यदि आरोपी की बात सच है तो यह पुलिस की मनमानी और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का उदाहरण हो सकता है।
दोनों ही हालातों में यह मामला बिहार पुलिस की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।

जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोग पूछ रहे हैं कि पुलिस हमेशा आम लोगों पर ही सख्ती क्यों दिखाती है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि शराबबंदी कानून को सही तरीके से लागू करने की बजाय पुलिस इसे कमाई का जरिया बना रही है।
विशेषज्ञों और राजनीतिक पहलू
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी है। यदि राहुल कुमार के आरोप सही पाए जाते हैं तो यह पुलिस की मनमानी का मामला बनेगा।
वहीं, राजनीतिक हलकों में यह विवाद एक नया मुद्दा बन सकता है, क्योंकि बिहार में शराबबंदी पहले से ही बड़ा राजनीतिक बहस का विषय रहा है। विपक्ष इसे सरकार की विफलता के तौर पर भुना सकता है।
वेब स्टोरी:
निष्कर्ष
Samastipur Drunk Youth Police Controversy केवल एक युवक और पुलिस के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह शराबबंदी कानून और पुलिस की कार्यशैली पर गहरी चोट है। इस प्रकरण ने साफ कर दिया है कि बिहार में कानून लागू करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी है।
अब देखना यह होगा कि इस विवाद पर प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करता है और क्या जनता के भरोसे को बहाल कर पाता है या नहीं।