योगी आदित्यनाथ की चुनावी सक्रियता और बिहार में नया राजनीतिक परिदृश्य
बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत ने न केवल राज्य की राजनीति को नया मोड़ दिया है, बल्कि इससे उत्तर प्रदेश की चुनावी बिसात पर भी दूरगामी असर पड़ने की संभावनाएँ उभरकर सामने आई हैं। विशेष रूप से उन 31 विधानसभा क्षेत्रों में जहाँ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी सभाएँ कीं, वहाँ वोटों का पैटर्न पूर्व चुनावों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बदला है। इन सीटों पर जीत के अंतर, जनता की प्रतिक्रिया और माहौल में आए बदलाव से स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ का प्रभाव सीमावर्ती इलाकों में एक निर्णायक कारक बनकर उभरा है।
बिहार में उलटफेर के संकेत और 2027 की तैयारी
इन 31 सीटों पर 2020 के चुनाव में एनडीए को 20 सीटें मिली थीं, जबकि महागठबंधन 11 सीटों पर विजयी रहा था। किंतु 2025 में परिस्थितियाँ उलट गईं और महागठबंधन केवल 5 सीटों पर सिमट गया। इससे यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या यूपी के मुख्यमंत्री ने बिहार को बहाना बनाकर 2027 के लिए अपना राजनीतिक गृहकार्य पूरा कर लिया है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि कानून व्यवस्था को लेकर योगी की सख्त छवि और बुलडोज़र नीति ने मतदाताओं में भरोसा पैदा किया, जो नतीजों में साफ दिखाई देता है।
जीत-हार के मार्जिन में अभूतपूर्व वृद्धि
2025 के चुनाव में दानापुर, अगिआंव, परिहार, बक्सर, सिवान और मुज़फ़्फ़रपुर जैसी सीटों पर जीत का अंतर 2020 की तुलना में कई गुना बढ़ा। दानापुर में जहाँ 2020 में राजद ने 15,924 वोटों से जीत दर्ज की थी, वहीं इस बार बीजेपी के उम्मीदवार ने 29,133 वोटों के अंतर से विजय पाई। इसी प्रकार अगिआंव में सीपीआई की भारी जीत को भाजपा ने चुनौती देते हुए महज़ 95 वोटों से जीत हासिल की, जो मनोवैज्ञानिक रूप से एक बड़ा उलटफेर माना जा रहा है।
आंकड़ों के अनुसार अनेक सीटों पर जीत का अंतर नौ से दस गुना तक बढ़ा है। परिहार की बीजेपी प्रत्याशी गायत्री देवी ने 2020 की अपेक्षा दस गुना अधिक अंतर से जीत दर्ज की। ऐसे ही बक्सर में कांग्रेस की ओर से मिली पिछली जीत इस बार भाजपा के महा-अंतर से हार में बदल गई।
योगी का जनसंपर्क और बिहार की जनता की प्रतिक्रिया
रैलियों के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था और माफिया पर की गई सख्त कार्रवाई को मुख्य मुद्दा बनाकर प्रस्तुत किया। उनकी सभाओं में बुलडोज़र कार्रवाई, अपराधियों के विरुद्ध कठोर रुख और मजबूत प्रशासन की बातें बार-बार गूँजती रहीं। दर्शकों की प्रतिक्रिया और रैलियों में उमड़ी भीड़ से यह स्पष्ट दिखा कि इस मॉडल ने बिहार की जनता पर गहरा असर डाला।
मुज़फ़्फ़रपुर में कांग्रेस उम्मीदवार के 2020 के 6,326 वोटों की जीत को इस बार भाजपा के उम्मीदवार ने 32,657 वोटों के बड़े अंतर में बदल दिया। अतरी सीट पर महागठबंधन की पिछली जीत तीन गुना अंतर से एनडीए में बदल गई। यह प्रतिक्रिया केवल स्थानीय मुद्दों का परिणाम नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तुत की गई सख्त शासन व्यवस्था की छवि का प्रभाव मानी जा रही है।
बुलडोज़र ब्रांड की लोकप्रियता और महागठबंधन का सिमटना
योगी आदित्यनाथ का बुलडोज़र ब्रांड न केवल यूपी बल्कि बिहार के सीमावर्ती जिलों में विशेष प्रभावशाली माना जाता है। 1990 के दशक में बिहार के अनेक परिवार अपराध और अव्यवस्था से परेशान होकर यूपी के पूर्वांचल जिलों—गाज़ीपुर, बलिया, वाराणसी, आज़मगढ़, मऊ और प्रयागराज—में बस गए थे। इन जिलों में बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक भागीदारी अत्यधिक है। लिहाजा, बिहार में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता ने पूर्वांचल में भी एक संदेश भेजा है कि माफिया पर सख्त कार्रवाई की छवि विश्वास पैदा करती है।
2025 में इन 31 सीटों के परिणामों ने न केवल बिहार का राजनीतिक संतुलन बदला बल्कि महागठबंधन को 11 से घटाकर केवल 5 सीटों पर सीमित कर दिया। यह गिरावट सीधे तौर पर उन क्षेत्रों में योगी आदित्यनाथ की सभाओं और उनके संदेशों के प्रभाव से जुड़ी मानी जा रही है।
पूर्वांचल में बदलेगी राजनीतिक हवा
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल अनेक जातिगत समीकरणों और स्थानीय दलों की भूमिका के कारण हमेशा से राजनीतिक रूप से जटिल रहा है। भाजपा को यहाँ चुनावों में गठबंधनों और क्षेत्रीय समीकरणों का सहारा लेना पड़ता रहा है। किंतु बिहार में 2025 के चुनावी परिणामों ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रशासकीय छवि से जनता का भरोसा बढ़ा है।
पूर्वांचल के लोगों के बिहार से गहरे सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध हैं। यह स्वाभाविक है कि जब बिहार की बड़ी आबादी ने योगी मॉडल पर विश्वास जताया है, तो पूर्वांचल में भी 2027 के चुनाव की हवा का रुख बदल सकता है। भाजपा रणनीतिक दृष्टि से इस बदलाव को सकारात्मक संकेत के रूप में देख रही है।
बिहार से उठी लहर, यूपी के चुनावों को दे सकती है दिशा
बिहार के 2025 के विस्तृत आंकड़े यह साबित करते हैं कि योगी आदित्यनाथ अब राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी प्रभाव रखने वाले नेताओं में गिने जा सकते हैं। एनडीए की 202 सीटों की जीत में उनकी रैलियों और छवि का योगदान व्यापक माना जा रहा है। यदि पूर्वांचल में उनके प्रभाव का विस्तार इसी तरह बढ़ता रहा, तो 2027 के विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरण व्यापक रूप से बदलने की संभावना है।