Bijapur Maoists Surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों के सामने 103 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। यह संख्या अब तक का सबसे बड़ा एक साथ सरेंडर माना जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में 22 महिलाएं भी शामिल हैं और इनमें कई उच्च पदों पर रहे माओवादी भी शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वालों पर इनाम
अधिकारियों ने बताया कि 49 माओवादियों पर कुल 1.63 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। इसमें डिविजनल कमेटी सदस्य, प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य, एरिया कमेटी सदस्य, मिलिशिया कमांडर और जनताना सरकार अध्यक्ष जैसे पदों पर रहे माओवादी शामिल थे। उदाहरण के तौर पर:
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लच्छु पूनेम (36), गुड्डू फरसा (30), भीमा सोढी (45) – 8-8 लाख रुपये का इनाम
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चार माओवादियों पर 5-5 लाख रुपये
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15 माओवादियों पर 2-2 लाख रुपये

Bijapur Maoists Surrender: आत्मसमर्पण के पीछे कारण
अधिकारियों के अनुसार, माओवादियों का संगठन से मोहभंग मुख्य रूप से सुरक्षा बलों के सकारात्मक संवाद, सामुदायिक पुलिसिंग, विकास योजनाओं की पहुंच और सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के प्रभाव से हुआ। संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद और नेतृत्वहीनता ने भी मुख्यधारा में लौटने के निर्णय को प्रेरित किया।
सुरक्षा और विकास की भूमिका
आत्मसमर्पण के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में नई सुरक्षा शिविरों की स्थापना, सड़कों का विस्तार, परिवहन, पानी, बिजली और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ने माओवादी समुदाय में विश्वास बढ़ाया। अधिकारियों ने दावा किया कि हाल के महीनों में मुठभेड़ों में शीर्ष माओवादी नेताओं के मारे जाने और संगठन छोड़ने वालों की संख्या बढ़ने से संगठन की रणनीतिक क्षमता पर गहरा असर पड़ा है।

पुनर्वास और प्रोत्साहन
आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को 50-50 हजार रुपये के प्रोत्साहन चेक दिए गए। जनवरी 2025 से अब तक कुल 421 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं और 410 ने आत्मसमर्पण किया। इस दौरान जिले में कुल 137 माओवादी मुठभेड़ में मारे गए।
बीजापुर में 103 माओवादियों का एक साथ आत्मसमर्पण न केवल अब तक का सबसे बड़ा सरेंडर है बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति और ‘नियद नेल्लानार’ योजना की सफलता को भी दर्शाता है। यह घटना माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।