Bilaspur Train Accident: सिग्नल की अनदेखी से छिन गई 12 जिंदगियाँ
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में हुआ भीषण रेल हादसा अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। मंगलवार की शाम को कोरबा-बिलासपुर मार्ग पर मेमू लोकल ट्रेन और एक खड़ी मालगाड़ी के बीच जबरदस्त टक्कर हो गई, जिसमें 12 यात्रियों की मौत हो गई और कई घायल हुए। यह हादसा रेलवे सुरक्षा व्यवस्था और सिग्नलिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
कैसे हुई यह दुर्घटना?
यह हादसा गतोरा रेलवे स्टेशन के पास लाल खदान इलाके में शाम के समय हुआ। कोरबा-बिलासपुर मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) यात्री ट्रेन, तेज रफ्तार में एक खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि मेमू ट्रेन का अगला डिब्बा मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर के बाद यात्रियों की चीख-पुकार मच गई और राहत-बचाव दलों को घटनास्थल पर पहुँचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
जांच में सामने आया कारण
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि मेमू ट्रेन के लोको पायलट ने कई सिग्नलों को अनदेखा किया। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन को पहले डबल येलो और फिर सिंगल येलो सिग्नल मिला था, जिसका अर्थ है कि चालक को गति कम करनी चाहिए थी। लेकिन ट्रेन पूरी रफ्तार से चलती रही।
टक्कर से ठीक पहले ट्रेन को लाल सिग्नल दिखाया गया था, फिर भी वह नहीं रुकी। जब यह हादसा हुआ, तब ट्रेन करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी।
अनुभवहीनता बनी बड़ी वजह
जांचकर्ताओं का कहना है कि ट्रेन के लोको पायलट विद्यासागर को हाल ही में यात्री सेवाओं में प्रमोट किया गया था। अनुभव की कमी के चलते उन्होंने संभवतः सिग्नल को गलत समझ लिया।
संभावना जताई जा रही है कि घुमावदार ट्रैक पर विद्यासागर ने पास की लाइन के सिग्नल को अपनी लाइन का सिग्नल समझ लिया, जिसके कारण यह भयावह दुर्घटना हुई।
इस हादसे में विद्यासागर की मौत हो गई, जबकि सहायक लोको पायलट रश्मि राज गंभीर रूप से घायल हैं और उनका उपचार जारी है।
Bilaspur Train Accident: रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने शुरू की औपचारिक जांच
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) बृजेश कुमार मिश्रा के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय टीम ने जांच शुरू कर दी है। टीम ने बिलासपुर डीआरएम कार्यालय में 19 रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की।
इनसे दोनों ट्रेनों की आवाजाही, सिग्नलिंग और संचालन से संबंधित सभी दस्तावेज और लॉग प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। जांच दो दिनों तक जारी रहेगी और तीन दिनों के भीतर इसकी विस्तृत रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी जाएगी।
किन लोगों से हुई पूछताछ
Bilaspur Train Accident: पूछताछ के लिए बुलाए गए कर्मचारियों में सहायक लोको पायलट रश्मि राज, मालगाड़ी गार्ड सुनील कुमार साहू, सहायक लोको पायलट पुनीत कुमार, मेमू प्रबंधक ए.के. दीक्षित, मालगाड़ी प्रबंधक शैलेश चंद्र और सिग्नलिंग विभाग के कई अधिकारी शामिल हैं।
सभी से घटना के दौरान ट्रेन नियंत्रण और सिग्नल प्रतिक्रिया से जुड़े विवरण मांगे गए हैं।
रेलवे की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
रेल मंत्रालय ने इस दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाए गए किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिग्नलिंग सिस्टम के आधुनिकीकरण और लोको पायलटों के लिए सुरक्षा प्रशिक्षण को और मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है।
स्थानीय प्रशासन और राहत कार्य
घटना के तुरंत बाद एनडीआरएफ और रेलवे राहत दलों ने मोर्चा संभाला। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
राज्य सरकार ने भी इस मामले की निगरानी के लिए एक विशेष समिति गठित की है।
समापन विचार
बिलासपुर रेल हादसा यह दर्शाता है कि तकनीकी लापरवाही और अनुभवहीनता किस तरह एक पल में दर्जनों जिंदगियाँ छीन सकती हैं। यह घटना रेलवे तंत्र के लिए चेतावनी है कि सुरक्षा और सतर्कता पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जा सकता।