नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास हाल ही में हुए कार धमाके ने देश को हिला कर रख दिया है। इस हमले के बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को एक स्पष्ट और कड़ा संदेश भेजा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर केवल एक ट्रेलर था और भारत हर प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
ऑपरेशन सिंदूर: केवल ट्रेलर नहीं, भारत की तैयारी का परिचायक
सेना प्रमुख ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 88 घंटे में संपन्न हुआ और इससे भारत की सैन्य क्षमता स्पष्ट रूप से सामने आई। उन्होंने बताया कि यह अभियान आतंकवाद और उसकी अंतरराष्ट्रीय सहायता को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। जनरल द्विवेदी ने कहा कि यदि पाकिस्तान ने भविष्य में आतंकवाद को बढ़ावा देने का प्रयास किया तो भारत उसे करारा जवाब देने में पीछे नहीं हटेगा।
आतंकवाद और राज्य-प्रायोजित हिंसा के प्रति भारत का रुख
जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन आतंक को बढ़ावा देने वाले किसी भी देश या संगठन को सहन नहीं करेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आतंकवाद केवल सुरक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह देश की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा, “जब कोई पड़ोसी देश राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का समर्थन करता है, तो यह भारत की आंतरिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा है।”
मल्टी-डोमेन युद्ध की तैयारी
सेना प्रमुख ने यह भी बताया कि आधुनिक युद्ध केवल सीमित क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। वर्तमान और भविष्य के संघर्ष मल्टी-डोमेन होंगे, जिनमें साइबर, वायु, जल और जमीन के साथ-साथ सूचना युद्ध शामिल होगा। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना हर तरह के युद्ध के लिए प्रशिक्षित और तैयार है।
भारत-पाकिस्तान तनाव की पृष्ठभूमि
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव 22 अप्रैल को पाकिस्तान-समर्थित पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ा। इस हमले में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में 26 लोग मारे गए। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर आरंभ किया और पाकिस्तान एवं पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर में कई आतंकी ठिकानों और एयरबेस को निशाना बनाया।
सीमा सुरक्षा और रणनीतिक सतर्कता
भारतीय सेना ने सीमा क्षेत्रों में अपनी सतर्कता और रणनीतिक क्षमता को और सुदृढ़ किया है। सेना प्रमुख ने कहा कि केवल सीमाओं पर बल तैनात करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि वहां की तकनीकी निगरानी और गुप्त खुफिया तंत्र को भी मजबूत करना आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है, लेकिन किसी भी प्रकार की धमकी को नजरअंदाज नहीं करेगा।
आतंकवाद के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
जनरल द्विवेदी ने आतंकवाद के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमले केवल जान-माल का नुकसान नहीं करते, बल्कि व्यापार, पर्यटन और ग्रामीण विकास पर भी गंभीर असर डालते हैं। उन्होंने नागरिकों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए आतंकवाद के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए।
तकनीकी और साइबर युद्ध की तैयारी
आज के समय में युद्ध केवल भौतिक नहीं रह गया है। सेना प्रमुख ने साइबर और सूचना युद्ध के महत्व पर बल देते हुए कहा कि भारत ने तकनीकी और साइबर सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत किया है। उन्होंने बताया कि हर तरह की आक्रमण स्थितियों में सेना का आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित कर्मी तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहते हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कूटनीतिक संदेश
जनरल द्विवेदी ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ केवल देश की सैन्य शक्ति ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि कूटनीतिक प्रयास और वैश्विक स्तर पर समर्थन भी आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत शांति और सहयोग के पक्ष में है, परंतु आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जवाब देना सुनिश्चित करेगा।
शांति की संभावना और भारत का कड़ा रुख
हालांकि पाकिस्तान ने कुछ समय बाद शांति वार्ता शुरू करने का संकेत दिया, भारतीय नेतृत्व ने साफ कर दिया कि ऑपरेशन केवल ‘रोक’ पर है, समाप्त नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि यदि भविष्य में कोई आतंकी हमला होगा, तो उसे भारत द्वारा युद्ध कार्रवाई के रूप में माना जाएगा।
जनता और सुरक्षा बलों के सहयोग की आवश्यकता
जनरल द्विवेदी ने नागरिकों से भी अपील की कि वे आतंकवाद और उसकी अंतरराष्ट्रीय सहायता को रोकने में सरकार और सुरक्षा बलों का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सफलता केवल सेना की ताकत से नहीं, बल्कि पूरे देश की एकजुटता से ही संभव है।
देश की सुरक्षा और आंतरिक शांति बनाए रखने के लिए भारत हर प्रकार की तैयारी में है। ऑपरेशन सिंदूर केवल एक शुरुआत थी, और यदि आवश्यकता पड़ी तो भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा। सेना प्रमुख का संदेश स्पष्ट है: भारत शांतिप्रिय है, परंतु आतंक के समर्थन को कभी नहीं सहन करेगा।