लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर संकट के बीच कांग्रेस का तीखा प्रहार
नई दिल्ली, 18 नवंबर – कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खार्गे ने मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया। इस महत्वपूर्ण मीटिंग में खार्गे ने चुनाव आयोग की विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) प्रक्रिया के बारे में गंभीर आशंका व्यक्त की और यह आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग की जा रही है।
खार्गे के नेतृत्व में कांग्रेस के इस कदम को लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर चिंताओं के एक व्यापक पैटर्न के रूप में देखा जा सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का मानना है कि चुनाव आयोग, जो भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, को अब अपनी स्वतंत्रता और निरपेक्षता से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि जनता का विश्वास लोकतांत्रिक संस्थाओं में पहले से ही कमजोर हो गया है, और इसी समय चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली निराशाजनक साबित हुई है।

बैठक में उपस्थित प्रतिनिधि और उनके आरोप
मल्लिकार्जुन खार्गे की इस बैठक में पार्टी के महासचिव, क्षेत्रीय प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और विभिन्न राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के सचिव शामिल थे। वर्तमान में जहां एसआईआर प्रक्रिया चल रही है, उन राज्यों के नेताओं की विशेष भागीदारी थी ताकि जमीनी हकीकत को समझा जा सके और एक समन्वित रणनीति तैयार की जा सके।
खार्गे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कांग्रेस पार्टी निर्वाचन सूचियों की अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को यह याद रखना चाहिए कि वह सत्तारूढ़ दल के “साया” के रूप में काम नहीं कर सकता। उनका अस्पष्ट इशारा यह है कि वर्तमान सत्ता में बैठी बीजेपी एसआईआर प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रही है।
चुनावी सूची में हेरा-फेरी का आरोप
कांग्रेस नेता के अनुसार, इस विशेष गहन समीक्षा प्रक्रिया का उद्देश्य असल मतदाताओं को चुनावी सूची से हटाना और नकली मतदाताओं को शामिल करना है। खार्गे के शब्दों में, “हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि भाजपा इस एसआईआर प्रक्रिया को वोट चोरी के लिए हथियार बना रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर चुनाव आयोग इस ओर से अनजान रहता है, तो यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं है, बल्कि चुप्पी का साझेदार बन जाना है।
निर्वाचन सूचियों की पवित्रता के लिए संघर्ष
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी घोषणा की कि कांग्रेस के कार्यकर्ता, बूथ स्तरीय अधिकारी और जिला, शहर तथा खंड स्तर के अध्यक्ष पूरी एसआईआर प्रक्रिया के दौरान सतर्कता से निगरानी रखेंगे। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि पार्टी हर प्रयास को उजागर करेगी, भले ही वह कितना भी सूक्ष्म क्यों न हो, जिसका उद्देश्य असल मतदाताओं को हटाना या नकली मतदाताओं को शामिल करना हो। यह कांग्रेस पार्टी की ओर से एक मजबूत संकेत है कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने को तैयार है।

खार्गे ने अपनी पोस्ट में लिखा, “कांग्रेस पार्टी लोकतांत्रिक सुरक्षा को पार्टिसन दुरुपयोग से नष्ट होने देने के लिए तैयार नहीं है।” इस बयान से यह स्पष्ट है कि पार्टी नेतृत्व अपनी गंभीर चिंताओं को लेकर कितना गंभीर है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और बिहार चुनाव
यह आंदोलन उस समय आया है जब कांग्रेस को बिहार विधानसभा चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी को मात्र छह सीटें ही मिली हैं, जो इसके लिए एक बड़ी शर्मस्पदता है। यह हार कांग्रेस की आंतरिक कमजोरियों और बाहरी दबावों दोनों को उजागर करती है। इस संदर्भ में, खार्गे का यह कदम पार्टी को पुनः संगठित करने और अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता को साबित करने का एक प्रयास दिखाई देता है।
चुनाव आयोग की जवाबदेही का सवाल
खार्गे ने चुनाव आयोग से यह अपेक्षा की है कि वह पुनः पुष्टि करे कि वह किसी भी राजनीतिक दल के “साया” के रूप में काम नहीं कर रहा है। यह एक गंभीर आरोप है जो सांस्थानिक स्वतंत्रता के सवाल को केंद्र में रखता है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, निर्वाचन आयोग को पूर्ण तटस्थता और निरपेक्षता से काम करना चाहिए, चाहे सत्ता में कोई भी दल हो।
निष्कर्ष और भविष्य की चुनौतियां
कांग्रेस के इस कदम से साफ है कि देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। अगर एसआईआर प्रक्रिया में किसी भी तरह की राजनीतिक पूर्वाग्रह है, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आने वाले समय में देश की राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक मानदंडों को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।