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अवैध क्रिकेट सट्टेबाजी से कमाई गई संपत्ति कुर्क कर सकेगा ईडी: दिल्ली हाई न्यायालय

Cricket Betting: ईडी अब अवैध क्रिकेट सट्टेबाजी से मिली संपत्ति कुर्क कर सकेगा
Cricket Betting: ईडी अब अवैध क्रिकेट सट्टेबाजी से मिली संपत्ति कुर्क कर सकेगा (File Photo)
दिल्ली हाई न्यायालय ने फैसला दिया कि अवैध क्रिकेट सट्टेबाजी से कमाया गया पैसा अपराध की आय है और ईडी उसे कुर्क कर सकती है। अदालत ने कहा कि अपराध के स्रोत से आए धन का दाग कभी समाप्त नहीं होता। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय सट्टा नेटवर्क और हवाला कारोबार पर सख्त कार्रवाई को मजबूत करेगा।
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अवैध क्रिकेट सट्टा और संपत्ति कुर्की पर दिल्ली हाई न्यायालय का बड़ा फैसला

सट्टेबाजी से जुड़ी कमाई को अपराध की आय माना गया

दिल्ली हाई न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायालय ने कहा कि अवैध क्रिकेट सट्टेबाजी से कमाया गया धन अपराध की आय है। भले ही स्वयं सट्टेबाजी को अपराध की सूची में न रखा गया हो, लेकिन इसके पीछे छिपी आपराधिक गतिविधियां जैसे जालसाजी, धोखाधड़ी और साजिश इसे आपराधिक आय बनाती हैं। अदालत का साफ कहना है कि यदि पैसा अपराध के रास्ते आया है, तो वह पैसा चाहे बाद में किसी भी काम में लगाया जाए, उसका दाग नहीं मिटता। वह पैसा हमेशा अपराध से जुड़ा माना जाएगा।

ईडी को मिली सीधी अधिकारिक शक्ति

इस फैसले के बाद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को अब स्पष्ट अधिकार मिलेगा कि वह अवैध क्रिकेट सट्टेबाजी से हुई कमाई, बेनामी संपत्ति, हवाला नेटवर्क से जुड़े खातों और लेनदेन की जांच कर सके। साथ ही, ऐसे पैसों से बनाई गई संपत्ति को कुर्क भी कर सके। इस फैसले से ईडी की ongoing और future जांच दोनों को मजबूती मिलेगी। इससे गुप्त सट्टा नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी गिरोहों पर कड़ी कार्रवाई की राह खुलेगी।

सट्टेबाजी नेटवर्क का पर्दाफाश

इस पूरे मामले में एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सामने आया। यह नेटवर्क भारत से संचालित होता था और यूके आधारित वेबसाइट के माध्यम से सट्टेबाजी कराता था। वडोदरा के एक फार्महाउस से चल रहा यह गिरोह दिसंबर 2014 से मार्च 2015 तक लगभग 2,400 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुका था। यह नेटवर्क हवाला लेनदेन पर आधारित था, जहां सट्टे के पैसे की आवाजाही देश-विदेश के गुप्त चैनलों से होती थी।भारत में सट्टेबाजी नेटवर्क केवल देश तक सीमित नहीं रहता। कई गिरोह विदेशी वेबसाइटों और हवाला चैनलों से जुड़े होते हैं। इन वेबसाइटों पर बने खाते विदेशों में पैसे भेजते हैं और वहीं से भुगतान लेते हैं। अदालत के फैसले से अब ऐसे विदेशी नेटवर्क पर भी निगरानी और कुर्की की कार्रवाई तेज हो सकती है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़ी सट्टेबाजी की कमाई पर सीधी चोट होगी।

गुप्त आईडी और फर्जी खाते का जाल

याचिकाकर्ताओं पर यह आरोप था कि वे ‘सुपर मास्टर आईडी’ बनाकर बिना केवाईसी के फर्जी खातों का इस्तेमाल करते थे। इन खातों से कई देशों में गुमनाम सट्टेबाजी नेटवर्क को सुविधा मिलती थी। भारत, पाकिस्तान, दुबई सहित कई दिक्कतों से पैसा सीधे ट्रांसफर होता था। इन आईडी को अवैध सट्टेबाजी के पैसों से खरीदा जाता था। इससे सरकार को भारी आर्थिक नुकसान होता था और अपराध का पैसा बार-बार घूमकर देश में लौटता था।

अदालत में याचिका और उसका खारिज होना

याचिकाकर्ताओं ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि सट्टा अपराध में शामिल नहीं होने से ईडी कोई संपत्ति कुर्क नहीं कर सकता। साथ ही उन्होंने ईडी के पास पर्याप्त कारण न होने की भी दलील दी। लेकिन न्यायालय ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने यह माना कि सट्टेबाजी भले अपराध सूची में न हो, लेकिन सट्टा नेटवर्क जालसाजी और धोखाधड़ी से पैसा कमाता है, इसलिए उसकी कमाई अपराध से जुड़ी है।अवैध सट्टेबाजी से कमाया गया पैसा अपराध की जड़ माना जाता है। ऐसे धन से अपराधियों को आर्थिक ताकत मिलती है, जिसके सहारे वे अपने नेटवर्क का विस्तार करते हैं। अदालत का मानना है कि जब तक अपराध के स्रोत को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक अपराधियों की ताकत कम नहीं होगी। इसी कारण अवैध धन की कुर्की एक प्रभावी कदम माना जाता है।

न्यायालय का सख्त रुख और उसका प्रभाव

न्यायालय ने साफ कहा कि अपराध की जड़ों को खत्म करने के लिए उसकी कमाई पर प्रहार जरूरी है। ऐसा पैसा यदि बिना कार्रवाई के छोड़ दिया जाए, तो अपराध बढ़ता है और कानूनी कार्यवाही कमजोर पड़ जाती है। अदालत ने माना कि अपराध से कमाई गई आय का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति बाद में किसी भी रूप में करे, वह संपत्ति अपराध का दाग कभी खो नहीं सकती। यही सिद्धांत अब आगे की जांच और कुर्की में इस्तेमाल होगा।अवैध सट्टेबाजी से कमाया गया पैसा अपराध की जड़ माना जाता है। ऐसे धन से अपराधियों को आर्थिक ताकत मिलती है, जिसके सहारे वे अपने नेटवर्क का विस्तार करते हैं। अदालत का मानना है कि जब तक अपराध के स्रोत को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक अपराधियों की ताकत कम नहीं होगी। इसी कारण अवैध धन की कुर्की एक प्रभावी कदम माना जाता है।

यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण

भारतीय खेलों में अवैध सट्टा वर्षों से गुप्त रूप से चलता रहा है। इसके पीछे संगठित गिरोह होते हैं, जो हवाला, डिजिटल भुगतान और फर्जी खातों का प्रयोग करते हैं। इस फैसले के बाद ऐसे गिरोहों पर कड़ा प्रहार संभव होगा। इससे न सिर्फ अवैध सट्टेबाजी पर रोक लगेगी, बल्कि अपराध की आय पर नियंत्रण होगा। यह निर्णय खेल जगत में गलत कमाई को रोकने के लिए एक मजबूत कदम की तरह साबित होगा।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.