Delhi Air Pollution: दिल्ली में अक्टूबर माह में सांस लेना हुआ कठिन
नई दिल्ली। राजधानी की हवा एक बार फिर जहरीली हो चली है। रेस्पायरर लिविंग साइंसेज़ द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली ने अक्टूबर 2025 में 23 दिन वायु गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन किया, जिसमें शहर के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा दिल्ली के सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र रहे।
हाइपरलोकल विश्लेषण में प्रदूषण के नए पैटर्न का खुलासा
यह अध्ययन एटलस एक्यू प्लेटफॉर्म के जरिये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और गूगल एयरव्यू प्लस के आंकड़ों को एकीकृत कर तैयार किया गया। विश्लेषण में तीन बाई तीन किलोमीटर के मानचित्र ग्रिड का उपयोग किया गया ताकि उन प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की जा सके जो सरकारी निगरानी नेटवर्क में शामिल नहीं हैं।
निष्कर्ष बताते हैं कि औद्योगिक और आवासीय इलाकों में प्रदूषण की तीव्रता समान रूप से बढ़ी है। जहांगीरपुरी (144.1 माइक्रोग्राम/घन मीटर), रोहिणी (142.0 माइक्रोग्राम/घन मीटर) और शाहदरा (134.8 माइक्रोग्राम/घन मीटर) सबसे अधिक प्रभावित रहे।
त्योहारी उत्सर्जन और शांत मौसम ने बढ़ाई समस्या
20 से 21 अक्टूबर के बीच प्रदूषण अपने चरम पर रहा जब पीएम 2.5 की सांद्रता 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर दर्ज की गई। यह स्तर सामान्य सीमा से छह गुना अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, त्योहारी मौसम के दौरान पटाखों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और शांत मौसम प्रदूषण बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
मंगोलपुरी और मदनपुर खादर में भी स्थिति गंभीर
जहांगीरपुरी के बाद मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र (123.8) और मदनपुर खादर (120.3) का नाम प्रमुख प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हुआ। इन इलाकों में पीएम 2.5 की सांद्रता राष्ट्रीय सुरक्षित सीमा से दोगुनी पाई गई। यह स्थिति साफ दर्शाती है कि औद्योगिक उत्सर्जन और परिवहन घनत्व का संयुक्त प्रभाव वायु गुणवत्ता पर भारी पड़ रहा है।
सरकारी एजेंसियों ने भी रिपोर्ट की पुष्टि की
Delhi Air Pollution: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और सीपीसीबी दोनों ने रिपोर्ट में बताए गए निष्कर्षों की पुष्टि की। दोनों संस्थाओं ने माना कि जहांगीरपुरी–बवाना–वज़ीरपुर कॉरिडोर शहर का सबसे प्रदूषित औद्योगिक क्लस्टर है। यहां औसत पीएम 2.5 सांद्रता 140 से 146 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रही।
कुछ क्षेत्रों में राहत, कुछ में घुटन
इसके विपरीत द्वारका, श्री अरविंदो मार्ग और लोधी रोड जैसे क्षेत्र अपेक्षाकृत स्वच्छ पाए गए, जहां वायु गुणवत्ता ‘संतोषजनक’ श्रेणी के करीब रही। विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिणी और मध्य दिल्ली के ये क्षेत्र हरित आवरण और कम औद्योगिक गतिविधि के कारण राहत में हैं, जबकि उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के औद्योगिक इलाकों में प्रदूषण लगातार बना हुआ है।
विशेषज्ञों ने निगरानी और नीति समन्वय की सिफारिश की
विश्लेषण में सुझाव दिया गया है कि अब वायु गुणवत्ता निगरानी को केवल सरकारी स्तर पर सीमित न रखकर नागरिक और निजी सेंसर डेटा को भी एकीकृत किया जाए।
रेस्पायरर लिविंग साइंसेज़ के संस्थापक रोनक सुतारिया ने कहा, “दिल्ली की वायु प्रदूषण की समस्या अब केवल शहर के केंद्र तक सीमित नहीं है। औद्योगिक क्षेत्रों और आवासीय इलाकों में साझा वायु मंडल बन चुका है, जिसका समाधान केवल नगर और राज्य स्तर की समन्वित योजना से ही संभव है।”
आंकड़ों में दिल्ली के पांच सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र
| क्षेत्र | औसत PM2.5 (माइक्रोग्राम/घन मीटर) |
|---|---|
| जहांगीरपुरी | 144.1 |
| रोहिणी | 142.0 |
| शाहदरा | 134.8 |
| मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र | 123.8 |
| मदनपुर खादर | 120.3 |
राजधानी में प्रदूषण अब स्थायी चुनौती बन चुका है। औद्योगिक विस्तार, बढ़ते वाहनों और सीमित हरित क्षेत्र के कारण हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है। अगर सरकार, उद्योग और नागरिक मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते, तो आने वाले महीनों में दिल्ली की हवा और अधिक जहरीली हो सकती है।