Delhi-NCR में विषैली वायु से कोई राहत नहीं, ग्रेटर नोएडा और गाज़ियाबाद में AQI 400 के पार
वर्तमान मौसम और वायु स्थितियों की गंभीरता
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार विकराल होता जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मौसम विभाग के ताज़ा आँकड़े दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकांश शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 400 का स्तर पार कर लिया है। यह स्थिति प्रदूषण के उस गंभीर दायरे में आती है जो न केवल अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए घातक है, बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती है।
ग्रेटर नोएडा और गाज़ियाबाद में हालात सबसे खराब
ग्रेटर नोएडा में AQI 430 तक दर्ज किया गया, जिससे यह क्षेत्र इस समय एनसीआर के सबसे अधिक प्रदूषित इलाक़ों में शामिल हो गया है।
गाज़ियाबाद के कई निगरानी केंद्रों पर AQI का स्तर 404 से 438 के बीच पाया गया, जो इस मौसम का सबसे खराब स्तर है।
नोएडा में सेक्टर 125, सेक्टर 1 और सेक्टर 116 सहित कई इलाक़ों में AQI 324 से 402 तक दर्ज किया गया, जो निवासियों के लिए सांस लेना तक कठिन बना रहा है।
दिल्ली की हवा भी बेहद ख़राब
दिल्ली के स्थानीय इलाक़ों जैसे आनंद विहार, बवाना, चांदनी चौक और अलीपुर में प्रदूषण स्तर 350 से 426 के बीच दर्ज किए गए। यह स्थिति उन लोगों के लिए बेहद चिंताजनक है जिन्हें सांस संबंधी समस्याएँ या हृदय रोग हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी और आगे का अनुमान
मौसम विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगले दिनों में किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।
हवा की रफ़्तार में वृद्धि के कोई संकेत नहीं मिल रहे और बारिश होने की संभावना भी नगण्य है।
अगले हफ़्ते अधिकतम तापमान 26 डिग्री और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहेगा, जबकि अधिकांश दिनों में सुबह-शाम कोहरा रहने का अनुमान लगाया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ठंडी और स्थिर हवा प्रदूषकों को ज़मीन के निकट बनाए रखती है, जबकि कोहरा उन्हें और सघन बनाता है। इससे AQI के और भी बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा और विशेषज्ञों की सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों को अनावश्यक बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है।
विशेष रूप से वृद्धजन, बच्चे और श्वसन रोगियों को सुबह और शाम की सैर से दूर रहने की सलाह दी गई है, क्योंकि इन समयों में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहता है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि मास्क पहनना अनिवार्य किया जाना चाहिए और घर के अंदर भी हवा की सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
प्रशासन पर बढ़ता दबाव और संभावित उपाय
प्रदूषण बढ़ने के साथ ही सरकारी एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वे प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाएँ।
हालाँकि ग्रैप (GRAP) के तहत कई चरण लागू किए जा चुके हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि तब तक राहत असंभव है जब तक हवा की गति नहीं बढ़ती या प्राकृतिक परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं होतीं।
दिल्ली-एनसीआर के निवासियों की चिंता
लोगों का कहना है कि हर साल यह स्थिति बिगड़ती जाती है और प्रशासनिक उपाय पर्याप्त नहीं हैं।
स्कूलों, कार्यालयों और दैनिक यात्रियों पर इस प्रदूषण का सीधा प्रभाव देखा जा रहा है।
कई इलाक़ों में दृश्यता भी कम हो रही है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का ख़तरा बढ़ रहा है।
आगे की राह और समाधान की आवश्यकता
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है, जैसे—
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औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण की सख़्त निगरानी
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निर्माण कार्यों पर कड़ाई
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हरित परिवहन को बढ़ावा
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किसानों के साथ मिलकर पराली प्रबंधन का स्थायी समाधान
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक इन उपायों पर गंभीरता से काम नहीं होगा, दिल्ली-एनसीआर हर वर्ष इसी स्थिति से जूझता रहेगा।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।