दिल्ली में दिवाली के बाद हवा की स्थिति चिंताजनक
नई दिल्ली। दिवाली के अवसर पर राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता में अचानक गिरावट देखने को मिली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केवल 2 घंटे तक हरित पटाखे जलाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कई क्षेत्रों में यह नियम ध्वस्त हो गया। राजधानी में पारंपरिक पटाखों के अत्यधिक उपयोग से AQI 400 के पार पहुँच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष वाहनों और घरेलू प्रदूषण का योगदान पराली जलाने की तुलना में अधिक रहा।
AQI रिकॉर्ड और स्थिति का विश्लेषण
राजधानी के विभिन्न हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गंभीर स्तर पर पहुँच गया। डिफेंस कॉलोनी में AQI 475, नई दिल्ली 338, शाहदरा 304 और देवली 155 दर्ज किया गया। कई प्रमुख मापन केंद्रों से डेटा गायब होने के कारण वास्तविक स्थिति का पूर्ण आंकलन नहीं हो पाया।
विशेषज्ञों ने यह संकेत दिया कि जब प्रदूषण चरम पर था, कई उपकरण काम नहीं कर रहे थे। डीपीसीसी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. एम. जॉर्ज ने सवाल उठाया, “अगर यह ‘ग्रीन दिवाली’ थी, तो जनता को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि उन्होंने रात में क्या साँस लिया।”
पराली जलाने का प्रभाव नगण्य
आईआईटी-मुंबई और पुणे के निर्णय सहायता प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली में दिवाली के दिन केवल 0.8 प्रतिशत प्रदूषण हुआ। जबकि वाहनों और घरेलू स्रोतों से निकलने वाले उत्सर्जन का योगदान 15–16 प्रतिशत रहा। इसका अर्थ है कि शहर में प्रदूषण का मुख्य कारण स्थानीय गतिविधियाँ थीं, न कि पराली।
मौसम और हवा की गति का प्रभाव
मौसम विभाग के अनुसार, दिवाली की रात हवा की गति बहुत कम थी और दिशा उत्तर-पश्चिमी थी। मंगलवार सुबह हवा की दिशा पूर्वी हुई और 10 किमी प्रति घंटा की गति से चलने लगी। इससे AQI “गंभीर” श्रेणी तक पहुँचने की बजाय “बहुत खराब” श्रेणी में रहा। लेकिन रात में फिर हवा धीमी हुई और पटाखों के लगातार जलने से प्रदूषण स्तर फिर बढ़ गया।
सरकारी लापरवाही और नियमों का उल्लंघन
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ग्रीन पटाखों की समय-सीमा की छूट को स्वीकार किया, लेकिन पालन सुनिश्चित करने में विफल रही। ग्रीन पटाखों की आड़ में पारंपरिक पटाखों की बिक्री और जलाना जारी रहा। दिवाली पर प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस पूर्व तैयारी नहीं की गई। एनवायरोकैटालिस्ट्स के संस्थापक सुनील दहिया कहते हैं कि अक्टूबर और नवंबर के अंत में स्थिर मौसम की वजह से प्रदूषण अधिक फैलता है, और सरकार की लापरवाही स्थिति को और गंभीर बना देती है।
नागरिकों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
नागरिकों ने सोशल मीडिया पर चिंता व्यक्त की कि उनके स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव पड़ा। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि भविष्य में दिवाली के समय सार्वजनिक जागरूकता, समय-सीमा का कड़ाई से पालन और ग्रीन पटाखों की बिक्री पर निगरानी आवश्यक है।
निष्कर्ष
इस वर्ष दिल्ली की दिवाली ने साबित कर दिया कि केवल नियम बनाना पर्याप्त नहीं है, उनका पालन सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। पारंपरिक पटाखों का अत्यधिक उपयोग, सरकारी लापरवाही और मौसम की स्थिर परिस्थितियाँ मिलकर राजधानी की हवा को जहरीली बना देती हैं। यदि इसी तरह की अनदेखी जारी रही, तो आने वाले वर्षों में AQI और भी खतरनाक स्तर पर पहुँच सकता है।